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March 12, 2025 9:14 PM

अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड भारत का दौरा करेंगी

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नई दिल्ली। अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (डीएनआई) तुलसी गबार्ड हिंद-प्रशांत क्षेत्र की बहु-राष्ट्रीय यात्रा के तहत जापान, थाईलैंड और भारत की यात्रा करने वाली हैं। इस दौरे का उद्देश्य अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है।

यात्रा का उद्देश्य
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रणनीतिक नीतियों के तहत, तुलसी गबार्ड की यह यात्रा शांति एवं स्वतंत्रता के उद्देश्यों को प्राप्त करने, आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने और क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हो रही है। गबार्ड ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा, “मैं हिंद-प्रशांत की बहु-राष्ट्रीय यात्रा पर हूं, एक ऐसा क्षेत्र जिसे मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूं, क्योंकि मैं प्रशांत क्षेत्र में पली-बढ़ी हूं। मैं जापान, थाईलैंड और भारत की यात्रा करूंगी। अमेरिका लौटते समय मैं फ्रांस में कुछ समय के लिए रुकूंगी।”

भारत यात्रा और रणनीतिक महत्त्व
यह गबार्ड की पहली भारत यात्रा होगी, जो उन्होंने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में कार्यभार संभालने के बाद तय की है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक और खुफिया सहयोग को देखते हुए यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी से संभावित मुलाकात
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए फरवरी में अमेरिका गए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गबार्ड की मुलाकात हुई थी। वह 12 फरवरी को राष्ट्रपति के अतिथि गृह ब्लेयर हाउस में मोदी से मिलने वाली पहली अमेरिकी अधिकारी थीं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस यात्रा के दौरान भी गबार्ड प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर सकती हैं और भारत-अमेरिका के बीच खुफिया व सुरक्षा सहयोग पर बातचीत कर सकती हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव
गबार्ड की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह यात्रा दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

तुलसी गबार्ड की इस यात्रा पर भारत और अमेरिका की सरकारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजर होगी, क्योंकि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक राजनीति के लिए एक अहम घटनाक्रम साबित हो सकता है।

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