कैलिफोर्निया की अगुवाई में राज्यों ने बताया गैर-कानूनी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर का दावा

वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बहुचर्चित ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ वीजा प्रोग्राम को लेकर बड़ा कानूनी विवाद खड़ा हो गया है। इस वीजा के लिए 1 मिलियन डॉलर यानी करीब 9 करोड़ रुपये की भारी-भरकम फीस लगाए जाने के फैसले के खिलाफ कैलिफोर्निया के नेतृत्व में कुल 20 अमेरिकी राज्यों ने संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया है। राज्यों का आरोप है कि यह फैसला न सिर्फ गैर-कानूनी है, बल्कि इससे अमेरिका में पहले से जूझ रहे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम क्षेत्रों की समस्याएं और गंभीर हो जाएंगी।

राज्यों का आरोप: बिना संसद की मंजूरी बढ़ाई गई फीस

मुकदमा दायर करने वाले राज्यों का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन ने संसद की मंजूरी के बिना ही वीजा फीस में अचानक भारी बढ़ोतरी कर दी, जो कानून के खिलाफ है। राज्यों ने दलील दी कि पहले H-1B जैसे वीजा की फीस 1,000 से 7,500 डॉलर के बीच होती थी, जबकि अब इसे सीधे 1 मिलियन डॉलर कर देना न केवल असंगत है, बल्कि यह वीजा प्रोसेसिंग की वास्तविक लागत से सैकड़ों गुना ज्यादा है। राज्यों ने इसे प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इतने बड़े फैसले से पहले न तो कोई सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया और न ही लोगों से राय ली गई।

कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल का बयान: टैलेंट से आगे बढ़ता है अमेरिका

कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने कहा कि यह वीजा डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, वैज्ञानिक और शिक्षक जैसे उच्च कुशल पेशेवरों के लिए बनाया गया था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दुनिया भर से टैलेंट अमेरिका आता है, तभी देश आगे बढ़ता है। इस मुकदमे में कैलिफोर्निया के साथ न्यूयॉर्क, इलिनॉय, वॉशिंगटन, मैसाचुसेट्स समेत कुल 20 बड़े राज्य शामिल हैं, जो इस फैसले को अमेरिकी अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं के लिए नुकसानदायक मानते हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर गहराता संकट

राज्यों का तर्क है कि इस फैसले का सबसे ज्यादा असर स्कूलों, यूनिवर्सिटी और अस्पतालों जैसी सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थाओं पर पड़ेगा। पहले इन संस्थानों को विदेशी डॉक्टरों और शिक्षकों की नियुक्ति में वीजा फीस पर छूट मिलती थी, लेकिन अब एक विदेशी शिक्षक या डॉक्टर लाने के लिए 9 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इससे या तो ये संस्थान अपनी सेवाएं कम करेंगे या फिर दूसरी जरूरी योजनाओं से बजट काटना पड़ेगा।

अमेरिकी शिक्षा विभाग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस समय अमेरिका के लगभग 75 प्रतिशत डिस्ट्रिक्ट स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। खासतौर पर स्पेशल एजुकेशन, साइंस और बाइलिंगुअल शिक्षकों की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं। वर्ष 2024 में करीब 17 हजार विदेशी डॉक्टरों और नर्सों को वीजा दिया गया था, जबकि अनुमान है कि साल 2036 तक अमेरिका में डॉक्टरों की कमी 86 हजार तक पहुंच सकती है, जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण और गरीब इलाकों में दिखेगा।

व्हाइट हाउस का पक्ष: अमेरिकियों के हित में फैसला

व्हाइट हाउस और ट्रम्प प्रशासन इस फैसले को पूरी तरह सही ठहरा रहे हैं। सरकार का कहना है कि वीजा फीस बढ़ाने का मकसद वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकना और अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों व वेतन की रक्षा करना है। प्रशासन का दावा है कि इससे घरेलू श्रम बाजार को मजबूती मिलेगी। हालांकि आलोचकों का कहना है कि इस फैसले से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा और भारत जैसे देशों से आने वाले 70 प्रतिशत से ज्यादा कुशल पेशेवरों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।

कुशल प्रोफेशनल्स का रुझान दूसरे देशों की ओर

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले के बाद अमेरिका अब विदेशी टैलेंट के लिए कम आकर्षक बनता जा रहा है। प्रोफेशनल्स अब कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे देशों की ओर रुख कर सकते हैं, जहां वीजा नियम अपेक्षाकृत सरल और किफायती हैं। इसके अलावा ट्रम्प प्रशासन ने वीजा आवेदकों से पिछले पांच साल का सोशल मीडिया रिकॉर्ड भी मांगा है, जिससे जांच प्रक्रिया और सख्त हो गई है। इससे कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए अमेरिका जाना पहले से कहीं ज्यादा महंगा और मुश्किल होता जा रहा है।

ट्रम्प ने शुरू की गोल्ड कार्ड आवेदन प्रक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। इस कार्ड की कीमत 1 मिलियन डॉलर रखी गई है, जबकि कंपनियों के लिए यह शुल्क 2 मिलियन डॉलर तय किया गया है। ट्रम्प ने इसी साल फरवरी में इस वीजा प्रोग्राम की घोषणा की थी, तब इसकी कीमत 5 मिलियन डॉलर बताई गई थी। सितंबर में इसे घटाकर 1 मिलियन डॉलर कर दिया गया। ट्रम्प का कहना है कि यह अमेरिका फर्स्ट एजेंडे का हिस्सा है, जिसका मकसद टॉप टैलेंट को अमेरिका में रोकना और बड़ी कंपनियों को देश के भीतर निवेश के लिए आकर्षित करना है। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम के मुताबिक यह योजना दुनिया के सफल उद्यमियों को अमेरिका की ओर खींचेगी। वहीं ट्रम्प प्रशासन जल्द ही प्लेटिनम कार्ड शुरू करने की भी तैयारी में है, जिसकी फीस करीब 5 मिलियन डॉलर हो सकती है।