RBI का बड़ा कदम: बाजार में 1 लाख करोड़ रुपए डालने की प्रक्रिया शुरू
आरबीआई यानी भारतीय रिज़र्व बैंक ने 50,000 करोड़ रुपए के बॉण्ड खरीद लिए। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा पैसे (लिक्विडिटी) आ सकें। जब बाजार में पैसे की कमी होती है, तो ब्याज दरें बढ़ने लगती हैं। इसे रोकने के लिए आरबीआई पैसा डाल रहा है।
यह खरीदारी पिछले हफ्ते घोषित मौद्रिक नीति का हिस्सा है। आरबीआई ने कहा था कि वह
1 लाख करोड़ का सरकारी बॉन्ड खरीदेगा, और
5 अरब डॉलर के बराबर पैसा बैंकिंग सिस्टम में डालेगा (फॉरेक्स स्वैप के जरिए)।
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आरबीआई हाल ही में डॉलर बेच रहा है क्योंकि रुपये को ज्यादा गिरने से बचाना है। डॉलर बिकने से बैंकिंग सिस्टम से नकदी कम हो गई थी। इसी कमी को भरने के लिए अब बॉन्ड खरीदकर पैसा वापस बाजार में डाला जा रहा है।
आरबीआई गवर्नर की बात
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि बैंकिंग सिस्टम में हमेशा काफी लिक्विडिटी होनी चाहिए, चाहे एनडीटीएल का 0.5%, 0.6% या 1% हो असली बात यह है कि बैंकों के पास काम करने के लिए पैसा कम न पड़े।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी बैंकिंग सिस्टम की नकदी कम हो जाती है और कभी ज्यादा हो जाती है, लेकिन आरबीआई इसे बैलेंस में रखने की कोशिश करेगा।
कैसे बढ़ाई जाएगी लिक्विडिटी ?
आरबीआई दो तरीके इस्तेमाल कर रहा है:
1. ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO)
कुल 1 लाख करोड़ के सरकारी बॉन्ड खरीदे जाएंगे।
यह खरीद दो हिस्सों में होगी
• 50,000 करोड़ (11 दिसंबर के आसपास)
• 50,000 करोड़ (18 दिसंबर के आसपास)
2. फॉरेक्स बाय-सेल स्वैप
16 दिसंबर को
5 अरब डॉलर का 3 साल के लिए स्वैप किया जाएगा। इन दोनों कदमों से बाजार में नकदी बढ़ेगी और ब्याज दरों पर दबाव कम होगा।
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