65 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी और रोजाना 2,200 उड़ानों के बीच कॉम्पिटिशन नियमों के उल्लंघन की पड़ताल

नई दिल्ली। देश के एविएशन सेक्टर में सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का एकतरफा दबदबा अब सवालों के घेरे में आ गया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा नियामक संस्था कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया यह जांच कर रही है कि क्या इंडिगो ने अपनी मजबूत स्थिति का गलत इस्तेमाल करते हुए प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया है। एविएशन बाजार में करीब 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो रोजाना लगभग 2,200 उड़ानों का संचालन करती है, जिससे उसका दबदबा बाकी एयरलाइनों की तुलना में कहीं अधिक नजर आता है।

कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 4 के उल्लंघन का आरोप

कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 4 के तहत कोई भी कंपनी अपने प्रभुत्व का उपयोग कर मनमाने दाम वसूलने, सेवाओं में पक्षपात करने या ग्राहकों और प्रतिस्पर्धियों पर दबाव डालने की हकदार नहीं है। नियामक एजेंसियों के अनुसार, इंडिगो पर आरोप है कि उसने कुछ खास रूट्स पर अपने वर्चस्व का इस्तेमाल कर किराया तय करने में मनमानी की और सेवाओं के संचालन में ऐसा ढांचा अपनाया, जिससे यात्रियों के पास सीमित विकल्प ही बचे। यदि किराया बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा को सीमित करने के आरोप सही पाए जाते हैं, तो आयोग औपचारिक जांच के आदेश दे सकता है।

खास रूट्स और किराया नीति पर नजर

कॉम्पिटिशन कमीशन अंदरूनी तौर पर यह भी जांच कर रहा है कि इंडिगो का कुछ रूट्स पर लगभग एकाधिकार जैसा नियंत्रण तो नहीं है। माना जा रहा है कि जिन मार्गों पर विकल्प कम हैं, वहां यात्रियों को अधिक किराया चुकाना पड़ता है। यदि यह साबित होता है कि कंपनी ने अपनी बाजार ताकत के सहारे किराया नीति को यात्रियों के खिलाफ इस्तेमाल किया, तो यह सीधे तौर पर प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन माना जाएगा।

क्रू संकट और हजारों उड़ानों की रद्दीकरण ने बढ़ाई मुश्किलें

दिसंबर के पहले सप्ताह में एविएशन नियमों में बदलाव के चलते इंडिगो को भारी क्रू संकट का सामना करना पड़ा। इस संकट के कारण 1 से 10 दिसंबर के बीच इंडिगो की 5,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। अचानक बड़ी संख्या में उड़ानों के कैंसिल होने से यात्रियों को भारी परेशानी हुई और एयरलाइन की संचालन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हुए।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ से कराई जा रही आंतरिक जांच

इस संकट के बाद इंडिगो प्रबंधन ने आंतरिक जांच का जिम्मा अंतरराष्ट्रीय स्तर के एविएशन विशेषज्ञ को सौंपने का फैसला किया है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एल्बर्स हाल ही में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन की समिति के सामने पेश हुए थे। इंडिगो ने पहले ही विश्व प्रसिद्ध एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन जॉन इल्सन को स्वतंत्र जांच की जिम्मेदारी दे दी है। चार दशक से अधिक का अनुभव रखने वाले इल्सन ने कई वैश्विक संस्थानों का नेतृत्व किया है। यह नियुक्ति इंडिगो बोर्ड के क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की सिफारिश पर की गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी अपने ऑपरेशनल मॉडल और प्रबंधन प्रक्रियाओं की गहन समीक्षा के दबाव में है।

डीजीसीए की सख्ती, चार अधिकारी बर्खास्त

इंडिगो मामले में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने भी कड़ा रुख अपनाया है। डीजीसीए ने एयरलाइन के चार फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर—ऋषि राज चटर्जी, सीमा झामनानी, अनिल कुमार पोखरियाल और प्रियम कौशिक—को बर्खास्त कर दिया है। ये अधिकारी एयरलाइन की सेफ्टी और ऑपरेशनल कंप्लायंस की निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इस कार्रवाई को एविएशन सेक्टर में नियामकीय सख्ती के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

एविएशन सेक्टर में प्रतिस्पर्धा पर बड़ा सवाल

इंडिगो की मोनोपोली पर उठे सवाल सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे एविएशन सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मक संरचना पर बहस को तेज कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसी एक एयरलाइन का अत्यधिक दबदबा बना रहता है, तो इसका असर किराए, सेवाओं की गुणवत्ता और यात्रियों के अधिकारों पर पड़ सकता है। आने वाले समय में कॉम्पिटिशन कमीशन और डीजीसीए की जांच यह तय करेगी कि इंडिगो के खिलाफ आरोप कितने ठोस हैं और आगे क्या कार्रवाई की जाएगी।