मंदिर बोर्ड ने सभी टेंडर रद्द किए, फैब्रिक की वैज्ञानिक जांच में खुली पोल, एसीबी–सीआईडी ने शुरू की गहन जांच
मंदिर की आस्था के नाम पर बड़ा खेल: सिल्क दुपट्टों की जगह पॉलिएस्टर की सप्लाई
तिरुपति। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर एक बार फिर गंभीर घोटाले की चपेट में है। मंदिर में प्रसाद और पूजा के दौरान उपयोग किए जाने वाले ‘अंगवस्त्रम’ यानी सिल्क दुपट्टों की जगह पिछले कई वर्षों से सस्ते पॉलिएस्टर दुपट्टों की आपूर्ति की जा रही थी। इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब मंदिर प्रबंधन ने सिल्क दुपट्टों के नमूने वैज्ञानिक जांच के लिए भेजे। दो लैब रिपोर्टों में साफ हो गया कि दुपट्टे शुद्ध मुलबेरी सिल्क नहीं, बल्कि सस्ते पॉलिएस्टर से बने थे।
इस धोखाधड़ी में लगभग 54 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। मंदिर प्रबंधन ने संबंधित कंपनी के सभी मौजूदा टेंडर रद्द कर दिए हैं और पूरे मामले की जांच राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दी है।
54 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा: 350 रुपये का दुपट्टा 1,300 रुपये में बेचा
जांच में सामने आया कि ठेकेदार ने एक पॉलिएस्टर दुपट्टे की कीमत बाजार में लगभग 350 रुपये तय की थी, लेकिन उसे मंदिर प्रबंधन को मुलबेरी सिल्क बताकर 1,300 रुपये में बेचा गया। यह कृत्य वर्ष 2015 से लगातार जारी था। इस अवधि में मंदिर प्रशासन ने ठेकेदार को करीब 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
मंदिर में बड़ी संख्या में दानदाता और विशेष पूजा-अनुष्ठानों में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के तौर पर सिल्क दुपट्टा ओढ़ाया जाता है। इन विशेष अवसरों के लिए भी पॉलिएस्टर दुपट्टे ही उपयोग में लाए गए, जिससे आस्था के साथ-साथ वित्तीय क्षति भी हुई।
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उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने जारी की जानकारी, भ्रष्टाचार पर सख्ती का आश्वासन
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने प्रेस वार्ता में बताया कि सिल्क दुपट्टों की जगह पॉलिएस्टर फैब्रिक की आपूर्ति कर बड़ा आर्थिक घोटाला किया गया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी है, जबकि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार सीआईडी इस मामले की गहराई तक जाने की तैयारी में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस घोटाले में मंदिर प्रशासन के कुछ प्रभावशाली लोगों की भी संलिप्तता हो सकती है, जिनका पर्दाफाश आवश्यक है।
उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि परकामनी—जहां भक्तों के चढ़ावे की गिनती होती है—वहां भी पहले बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप सामने आए थे। यहां विदेशी मुद्रा के दुरुपयोग की शिकायतें भी दर्ज की जा चुकी हैं।
लैब रिपोर्टों ने खोला राज: ‘सिल्क होलोग्राम’ भी गायब
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् (टीटीडी) के अध्यक्ष बीआर नायडू ने बताया कि दुपट्टों के नमूने केंद्रीय रेशम बोर्ड सहित दो वैज्ञानिक लैब्स में भेजे गए थे। दोनों रिपोर्टों में दुपट्टे पॉलिएस्टर के पाए गए। इतना ही नहीं, दुपट्टों पर असली सिल्क की पुष्टि करने वाला अनिवार्य ‘सिल्क होलोग्राम’ भी नहीं था।
चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 10 वर्षों से एक ही कंपनी और उससे जुड़ी इकाइयां मंदिर को दुपट्टे सप्लाई कर रही थीं, लेकिन गुणवत्ता की जांच कभी गंभीरता से नहीं की गई। आंतरिक जांच शुरू होते ही पूरा घोटाला सामने आ गया।
मंदिर बोर्ड ने किए सभी टेंडर रद्द, अब मामले की जांच तेज
मामला सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन और ट्रस्ट बोर्ड ने तत्काल सभी मौजूदा टेंडर रद्द कर दिए हैं और इसे राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंप दिया है। जांच एजेंसियां अब दस्तावेज़, पेमेंट रिकॉर्ड और फैब्रिक टेस्टिंग रिपोर्टों की जांच कर रही हैं। प्रारंभिक अनुमान है कि इसमें कई स्तरों पर मिलीभगत हुई है।
श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस बड़े घोटाले ने एक बार फिर मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में कठोर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
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