पांडिचेरी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले उपराष्ट्रपति, शिक्षा को समाज और राष्ट्र सेवा से जोड़ने पर दिया जोर
पुदुचेरी में आयोजित पांडिचेरी विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने स्नातक छात्रों से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों को विकसित भारत 2047 का शिल्पकार बताते हुए कहा कि देश का भविष्य आज के युवाओं के विचारों, मूल्यों और कर्मों से तय होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत केवल एक शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी का नया आरंभ है।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने छात्रों को उपाधि प्राप्त करने पर बधाई दी और कहा कि यह डिग्री केवल व्यक्तिगत सफलता का प्रमाण नहीं है, बल्कि ज्ञान का उपयोग जनकल्याण और राष्ट्र प्रगति के लिए करने का दायित्व भी साथ लाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षित युवा ही किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी होते हैं और उनके निर्णय आने वाली पीढ़ियों की दिशा तय करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने पुदुचेरी को सांस्कृतिक समृद्धि और आध्यात्मिक विरासत की भूमि बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र हमेशा से विचार, साहित्य और दर्शन का केंद्र रहा है। उन्होंने सुब्रमण्यम भारती, भरथिदासन और श्री अरबिंदो जैसे महान व्यक्तित्वों के योगदान को स्मरण करते हुए कहा कि श्री अरबिंदो का दर्शन ज्ञान, आध्यात्मिकता और कर्म के संतुलन पर आधारित है, जो आज की उच्च शिक्षा के लिए भी मार्गदर्शक सिद्धांत बन सकता है।
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विकसित भारत 2047 और नई शिक्षा नीति पर जोर
उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत 2047 के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक व्यापक रोडमैप है, जो भारत को समृद्ध, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा दिखाता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की भूमिका सबसे अहम है।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को शिक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव बताते हुए कहा कि यह नीति रटने की पुरानी पद्धति से हटकर आलोचनात्मक सोच, एकल विषयों से आगे बढ़कर बहुविषयक शिक्षा और केवल परीक्षा आधारित मूल्यांकन से आगे बढ़कर समग्र विकास पर बल देती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह नीति छात्रों को न केवल कुशल पेशेवर, बल्कि जागरूक और संवेदनशील नागरिक बनाने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करती है।
तकनीक और नैतिकता के संतुलन का संदेश
अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालन, जैव प्रौद्योगिकी और डिजिटल कनेक्टिविटी के कारण दुनिया में हो रहे तेज बदलावों की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति आवश्यक है, लेकिन इसके साथ नैतिक सजगता और मानवीय मूल्यों का संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे तकनीक का उपयोग मानव कल्याण और सामाजिक विकास के लिए करें, न कि केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए।
इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने युवाओं से नशे के खिलाफ दृढ़ता से ‘ना’ कहने की अपील की। उन्होंने कहा कि नशा न केवल व्यक्ति के भविष्य को बर्बाद करता है, बल्कि परिवार और समाज को भी कमजोर करता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे स्वयं नशे से दूर रहें और अपने साथियों को भी इसके प्रति जागरूक करें।
अपने संबोधन के अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल रोजगार पाना नहीं, बल्कि अच्छा इंसान, जिम्मेदार नागरिक और सामाजिक रूप से जागरूक पेशेवर बनना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान विनम्रता से, प्रौद्योगिकी मानवीय मूल्यों से और सफलता सामाजिक जिम्मेदारी से निर्देशित होनी चाहिए।
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स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आवास परियोजना का उद्घाटन
दीक्षांत समारोह से पहले उपराष्ट्रपति पुदुचेरी में आयोजित एक नागरिक स्वागत समारोह में भी शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत तैयार की गई एक आवास परियोजना का उद्घाटन किया और लाभार्थियों को 216 नवनिर्मित फ्लैटों की चाबियां सौंपी। यह समारोह उपराष्ट्रपति पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी पहली पुदुचेरी यात्रा के अवसर पर आयोजित किया गया था।
समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुदुचेरी अपनी अनूठी सभ्यतागत, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान के लिए विश्वभर में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र हमेशा से एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र रहा है, जहां विभिन्न विचारधाराओं और संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है।
आवास परियोजना के समय से पहले पूरा होने पर संतोष व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि घर केवल ईंट और सीमेंट का ढांचा नहीं होता, बल्कि यह परिवारों के लिए गरिमा, सुरक्षा और बेहतर भविष्य का आधार होता है। उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने इस परियोजना की प्रगति पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखी थी, ताकि यह समय पर और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरी हो सके।
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