जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन, अपहरण और हिंसा के मामलों पर विदेश मंत्रालय की दो टूक
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों का हवाला देते हुए भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान में हर साल करीब एक हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों का अपहरण कर जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है और फिर उनकी शादी उम्रदराज मौलवियों या अन्य लोगों से कर दी जाती है। यह कोई छिपा हुआ सच नहीं, बल्कि वर्षों से सामने आता रहा एक भयावह यथार्थ है, जिसे कोई भी आरोप-प्रत्यारोप ढक नहीं सकता।
भारत सरकार ने यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों के बाद दी है। पाकिस्तानी प्रवक्ता ने भारत में क्रिसमस के दौरान हुई कुछ छिटपुट घटनाओं को लेकर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा उठाया था। इसी पर पलटवार करते हुए भारत ने पाकिस्तान को उसके ही रिकॉर्ड की याद दिलाई है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट और पाकिस्तान की हकीकत
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी विभिन्न रिपोर्टों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के आकलन में यह बात बार-बार सामने आई है कि पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यक लगातार भय और असुरक्षा के माहौल में जीने को मजबूर हैं। हिंदू और ईसाई नाबालिग लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह के मामले वहां आम हैं। इसके अलावा ईशनिंदा के आरोपों में भीड़ द्वारा हत्या, घरों और पूजा स्थलों पर हमले तथा सामाजिक बहिष्कार जैसी घटनाएं भी बार-बार सामने आती रही हैं।
इन हालातों के बावजूद पाकिस्तान द्वारा भारत को अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर उपदेश देना भारत सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि जिस देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न सुनियोजित और संस्थागत रूप में होता हो, उसे दूसरों पर उंगली उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय का सख्त बयान
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान की टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भारत उस देश की कथित टिप्पणियों को सिरे से खारिज करता है, जिसका मानवाधिकारों और अल्पसंख्यक संरक्षण का रिकॉर्ड खुद ही सब कुछ बयां करता है। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान में विभिन्न धर्मों के अल्पसंख्यकों पर हो रहा भयावह और सुनियोजित उत्पीड़न एक सर्वविदित तथ्य है, जिसे किसी भी तरह के आरोपों से छिपाया नहीं जा सकता।
विदेश मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां कानून का राज है और किसी भी प्रकार की घटना पर संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके विपरीत पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है या उसे सामाजिक स्वीकृति मिल जाती है।
Our response to media queries regarding remarks of the Spokesperson of the Pakistani Ministry of Foreign Affairs on incidents in India ⬇️
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) December 29, 2025
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पाकिस्तान के फर्जी आरोप और अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोशिश
भारत में क्रिसमस के दौरान हुई कुछ अलग-अलग घटनाओं को आधार बनाकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने भारत पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के आरोप लगाए थे। उन्होंने इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस पर ध्यान देने की अपील की और भारत को अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की नसीहत दी।
भारत ने इन आरोपों को फर्जी, मनगढ़ंत और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी आंतरिक विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के बयान देता रहा है, लेकिन सच्चाई दुनिया से छिपी नहीं है।
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने से पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए। जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण और हिंसा जैसे मामलों पर चुप्पी साधे रखना और फिर दूसरों पर आरोप लगाना न केवल पाखंड है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश भी है।
भारत का यह रुख साफ संकेत देता है कि वह अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर किसी भी तरह के दोहरे मापदंड को स्वीकार नहीं करेगा और तथ्यों के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात मजबूती से रखता रहेगा।
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