दिल्ली, गुरुग्राम और रोहतक में दो दिन चला सर्च ऑपरेशन, नकदी, लग्जरी कारें और डिजिटल सबूत जब्त
गुरुग्राम में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में गैंगस्टर इंद्रजीत सिंह यादव के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उसके 10 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। यह कार्रवाई 26 और 27 दिसंबर को दिल्ली, गुरुग्राम और रोहतक में की गई, जिसमें ईडी की टीम को बड़ी मात्रा में नकदी, लग्जरी वाहन, अहम दस्तावेज और डिजिटल उपकरण हाथ लगे हैं। ईडी के अनुसार, इस कार्रवाई के दौरान पांच महंगी कारें और करीब 17 लाख रुपये नकद जब्त किए गए हैं, जबकि कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो अवैध लेनदेन और जबरन वसूली से जुड़े नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय के गुरुग्राम जोनल कार्यालय की ओर से की गई इस कार्रवाई का संबंध एक संगठित आपराधिक गिरोह से है, जिसमें इंद्रजीत सिंह यादव को मुख्य कड़ी बताया जा रहा है। ईडी ने यह जांच प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत दर्ज मामलों के आधार पर शुरू की है। एजेंसी का कहना है कि यह मामला केवल अवैध उगाही तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जबरन लोन सेटलमेंट, हथियारों के दम पर धमकी, धोखाधड़ी और बड़े पैमाने पर काले धन के लेनदेन के संकेत मिले हैं।
जांच एजेंसी के मुताबिक, इंद्रजीत सिंह यादव पर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 15 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें आर्म्स एक्ट, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराएं शामिल हैं। इन्हीं मामलों में दाखिल चार्जशीट के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को आगे बढ़ाया। ईडी का दावा है कि इन आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन को अलग-अलग कंपनियों और लेनदेन के जरिए सफेद करने की कोशिश की गई।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इंद्रजीत सिंह यादव मेसर्स जेम रिकॉर्ड्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड का मालिक और मुख्य नियंत्रक है। एजेंसी का आरोप है कि वह एक प्रभावशाली बाहुबली के रूप में काम करता रहा है और हत्या, उगाही, धोखाधड़ी, अवैध जमीन हड़पने और हिंसक अपराधों जैसी गतिविधियों में लंबे समय से संलिप्त रहा है। जांच एजेंसी का मानना है कि इन आपराधिक गतिविधियों से अर्जित धन को कॉर्पोरेट और निजी वित्तीय लेनदेन के जरिए छिपाया गया।
ईडी को जांच में कुछ बड़े कॉर्पोरेट लेनदेन के भी सुराग मिले हैं। एजेंसी के अनुसार, अपोलो ग्रीन एनर्जी लिमिटेड सहित कुछ अन्य कंपनियों ने झज्जर के डीघल क्षेत्र के प्राइवेट फाइनेंसरों से कथित तौर पर नकद में बड़ी रकम उधार ली थी। इन लेनदेन के बदले सुरक्षा के तौर पर पोस्ट-डेटेड चेक दिए गए थे। बाद में जब इन वित्तीय सौदों को लेकर विवाद खड़े हुए, तो इंद्रजीत सिंह यादव ने कथित रूप से एक जबरन वसूली करने वाले के रूप में हस्तक्षेप किया और हथियारों के बल पर इन सौदों का सेटलमेंट कराया।
ईडी का कहना है कि इन जबरन सेटलमेंट मामलों में सैकड़ों करोड़ रुपये के वित्तीय विवाद शामिल हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि इंद्रजीत सिंह यादव इन लेनदेन से मोटा कमीशन वसूलता था और इसी के जरिए उसने अपनी अवैध संपत्ति और प्रभाव का दायरा बढ़ाया। एजेंसी के अनुसार, वह वर्तमान में हरियाणा पुलिस के कई मामलों में वांछित है और लंबे समय से फरार चल रहा है।
ईडी की इस कार्रवाई को संगठित अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है। जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल उपकरणों का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अवैध धन का प्रवाह किन-किन माध्यमों से हुआ और इसमें और कौन-कौन लोग या संस्थाएं शामिल हैं। ईडी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं तथा कार्रवाई का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
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