दिल्ली धमाके की जांच में नया खुलासा: विस्फोट मामले से जुड़ी लाल ईको स्पोर्ट्स कार अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर

गणतंत्र दिवस और दीवाली पर बड़े हमलों की थी साजिश, जांच में सामने आए शिक्षित आतंकियों के नेटवर्क के चौंकाने वाले तथ्य

नई दिल्ली, 12 नवंबर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके (delhi bomb blast) की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सुरक्षा एजेंसियों के सामने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। एक ओर जहां एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल के कई अहम सदस्यों को गिरफ्तार कर बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है, वहीं दूसरी ओर जांच में सामने आई एक लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है, जो एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार, यह कार दिल्ली के रजिस्ट्रेशन नंबर डीएल-10 सीके 045.. पर दर्ज है और इसे आखिरी बार चांदनी चौक क्षेत्र में देखा गया था। पुलिस के मुताबिक, यह वही कार है जो आई-20 कार के साथ दिल्ली में एक साथ आई थी। दोनों वाहनों को चांदनी चौक पार्किंग में एक ही समय पर देखा गया था। अधिकारियों का मानना है कि यह कार भी आतंकी गतिविधियों में शामिल थी और इसका चालक अभी भी दिल्ली में सक्रिय हो सकता है। इस खुलासे के बाद राजधानी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों तथा वीवीआईपी क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

साजिश का मकसद था गणतंत्र दिवस और दीवाली पर हमला

गिरफ्तार आतंकी डॉ. मुजम्मिल और मारे गए आतंकी डॉ. उमर मोहम्मद की पूछताछ से पता चला है कि यह विस्फोट किसी आकस्मिक घटना का परिणाम नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित आतंकी साजिश का हिस्सा था। पूछताछ और तकनीकी साक्ष्यों से यह खुलासा हुआ कि आतंकियों का मकसद गणतंत्र दिवस और दीवाली जैसे राष्ट्रीय अवसरों पर बड़े धमाके कर देश में दहशत फैलाना था।

सूत्रों के अनुसार, जनवरी के पहले सप्ताह में उमर मोहम्मद और मुजम्मिल ने लाल किले की रेकी (जांच-पड़ताल) भी की थी। उनके मोबाइल फोन, लोकेशन डेटा और अन्य तकनीकी साक्ष्यों से पता चला कि वे गणतंत्र दिवस समारोह को अपना पहला निशाना बनाना चाहते थे। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से यह योजना सफल नहीं हो सकी।

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red car Photograph: (google)

अंदर से उभर रहा था आतंकी नेटवर्क

इस आतंकी मॉड्यूल की विशेषता यह थी कि इसमें समाज के भीतर से उभरने वाले, उच्च शिक्षित और प्रतिष्ठित पेशेवर शामिल थे। डॉक्टर, शिक्षक और तकनीकी विशेषज्ञ इसमें सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। जांच से यह भी सामने आया है कि यह मॉड्यूल जैश-ए-मुहम्मद जैसे विदेशी आतंकी संगठनों के संपर्क में था और सोशल मीडिया के माध्यम से वैचारिक रूप से प्रेरित हुआ था।

धमाके वाली आई-20 कार चला रहा डॉ. उमर मोहम्मद अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद घबरा गया था। सूत्रों का कहना है कि उसने सुनहरी मस्जिद की पार्किंग में करीब तीन घंटे तक कार में रखे विस्फोटकों से शक्तिशाली बम बनाने की कोशिश की। जल्दबाजी और तकनीकी चूक के कारण बम पूरी तरह सक्रिय नहीं हो सका, जिससे धमाका सीमित रहा।

एजेंसियों ने खुलासा किया कि इस आतंकी मॉड्यूल ने देशभर में एक साथ कई स्थानों पर धमाके करने की योजना बनाई थी। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की समय पर कार्रवाई से यह साजिश असफल हो गई। एजेंसियों ने 2900 किलो विस्फोटक और 300 किलो से अधिक आरडीएक्स बरामद कर लिया था, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई।

दो रहस्यमय कारतूस ने बढ़ाई जांच की जटिलता

घटनास्थल के पास पुलिस को दो कारतूस मिले हैं जो सरकारी नहीं हैं, यानी वे पुलिस या सुरक्षा बलों के नहीं हैं। यह तथ्य जांच एजेंसियों के लिए एक और रहस्य बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कारतूस किसी विदेशी निर्मित हथियार से दागे गए हो सकते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि हमले में विदेशी तकनीकी या हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।

फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. शाहीन के आतंकी कनेक्शन का खुलासा

इस मामले में पकड़ी गई डॉ. शाहीन सईद का नाम अब जांच का केंद्र बन गया है। शाहीन सईद कभी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के फार्माकोलॉजी विभाग में प्रवक्ता थीं। कॉलेज रिकॉर्ड के अनुसार, उन्होंने 2006 में पद ग्रहण किया था और सात साल तक अध्यापन कार्य किया, लेकिन वर्ष 2013 में बिना सूचना दिए अचानक नौकरी छोड़कर गायब हो गईं।

2021 में शासन ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, शाहीन का संबंध सहारनपुर निवासी परवेज और जम्मू-कश्मीर के डॉक्टर आदिल अहमद से रहा है, जिन्हें पहले ही आतंकी साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। शाहीन और परवेज दोनों के सहारनपुर कनेक्शन भी सामने आए हैं।

डॉ. शाहीन ने 2003 में प्रयागराज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और 2005 में एमडी किया था। उसके बाद वह सरकारी सेवा में आईं। लेकिन वर्षों बाद अचानक गायब होना और अब इस आतंकी नेटवर्क में शामिल होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल के बीच लगातार संपर्क था। शाहीन का काम विस्फोटक तैयार करने में रासायनिक संयोजन संबंधी तकनीकी मदद देना था। एजेंसियों को संदेह है कि शाहीन ही वह व्यक्ति थी जिसने इस मॉड्यूल को फार्मास्यूटिकल विशेषज्ञता के आधार पर बम निर्माण की दिशा में प्रशिक्षित किया।

दिल्ली में अब भी मंडरा रहा खतरा

राष्ट्रीय राजधानी में आतंकियों की गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां लगातार निगरानी बढ़ा रही हैं। हालांकि कई आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन लाल रंग की ईको स्पोर्ट्स कार और उसका चालक अभी तक फरार है। यह कार और उसके सवार आतंकी अब भी किसी संभावित हमले की योजना में हो सकते हैं।

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब पूरी राजधानी में ड्रोन निगरानी, नाइट पेट्रोलिंग और सीसीटीवी एनालिसिस के जरिए कार की तलाश जारी है। चांदनी चौक, पुरानी दिल्ली, जामा मस्जिद, और कश्मीरी गेट इलाकों में विशेष जांच अभियान चलाया जा रहा है।

यह मामला इस तथ्य को एक बार फिर रेखांकित करता है कि आतंकवाद अब सीमाओं से नहीं, बल्कि समाज के भीतर से भी उभर रहा है। शिक्षित और पेशेवर व्यक्तियों का इसमें शामिल होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।

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