चांदी की पालकी में नगर भ्रमण, परंपरागत पूजन, गार्ड ऑफ ऑनर और शिप्रा तट पर अभिषेक की व्यवस्था

उज्जैन, 17 नवम्बर। मध्य प्रदेश के पवित्र धार्मिक नगर उज्जैन में आज सोमवार की शाम भगवान महाकालेश्वर की कार्तिक–मार्गशीर्ष मास की अंतिम एवं शाही सवारी पूरे पारंपरिक, आध्यात्मिक और राजसी वैभव के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से होकर निकलेगी। यह सवारी अवंतिकानाथ भगवान महाकाल की उन विशेष सवारियों में से एक है, जो वर्ष भर धार्मिक कैलेंडर और पुरातन परंपराओं के अनुसार निकाली जाती हैं। आज की यह चौथी और अंतिम सवारी भक्तों के लिए विशेष मानी जा रही है क्योंकि इसमें भगवान महाकाल अपने चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देंगे।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि परंपरा के अनुरूप आज शाम चार बजे मंदिर परिसर में विधि-विधान के साथ पूजा–अर्चना के पश्चात भगवान को रजत पालकी में विराजित किया जाएगा। इसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल की उपस्थिति में भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, जो इस सवारी की राजसी धार्मिक गरिमा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भव्य शोभायात्रा का मार्ग और पारंपरिक आकर्षण

राजसी सवारी मंदिर से निकलकर महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट तक पहुंचेगी, जहां पवित्र मां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक और विशेष पूजन किया जाएगा। रामघाट से सवारी गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होते हुए पुनः महाकालेश्वर मंदिर वापस पहुंचेगी।

इस दिव्य शोभायात्रा में अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, मंदिर समिति का बैंड, भजन मंडलियां, डमरू वादक, कड़ाबीन, तोपची दल तथा सशस्त्र पुलिस बल के जवान शामिल रहेंगे, जो सवारी को शाही, अनुशासित और आध्यात्मिक रूप से और अधिक प्रभावी बनाते हैं। डमरू की ध्वनि, भक्तिमय संगीत और जयकारों के साथ पूरा शहर भक्ति और सांस्कृतिक उल्लास से सराबोर होगा।

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भस्म आरती में भगवान का राजा स्वरूप श्रृंगार

आज तड़के हुए भस्म आरती में भगवान महाकाल का विशेष रूप से राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। सुबह चार बजे मंदिर के द्वार खुलते ही पंडे–पुजारियों ने विधिवत मंत्रोच्चार के साथ गर्भगृह में स्थापित देव प्रतिमाओं का पूजन किया। तत्पश्चात भगवान महाकाल का जलाभिषेक, पंचामृत स्नान (दूध, दही, घी, शक्कर, फलों के रस), चंदन, भस्म तथा कपूर से पूजन और श्रृंगार किया गया।

श्रृंगार के पश्चात भगवान को शेषनाग का रजत मुकुट, रजत मुण्डमाला, रुद्राक्ष की माला और पुष्पों से अलंकृत किया गया। मोगरा और गुलाब की सुगंधित मालाओं से किए गए अलंकरण ने गर्भगृह में आभामंडल जैसा दिव्य वातावरण बना दिया। मान्यता है कि भस्म अर्पित होने के पश्चात भगवान निराकार स्वरूप से साकार रूप में दर्शन देते हैं, इसलिए यह आरती सांप्रदायिक रीतियों में अत्यंत विशेष स्थान रखती है।

श्रद्धालुओं में उत्साह, उज्जैन में तीर्थ माहौल चरम पर

सवारी के प्रति श्रद्धालुओं में अत्यधिक उत्साह देखा जा रहा है। देशभर से हजारों भक्त उज्जैन पहुंचे हैं ताकि वे बाबा महाकाल के इस दुर्लभ चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का साक्षात्कार कर सकें। प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था, यातायात नियोजन तथा भंडारों और जल वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

धार्मिक आयोजनों, भक्ति भजन, मंत्रोच्चार, श्रद्धा–भाव के साथ उज्जैन का वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक रंग में रंग चुका है। यह सवारी उज्जैन की सदियों पुरानी शैव संस्कृति, आध्यात्मिक समृद्धि, परंपरा और श्रद्धा का जीवंत प्रतीक है।

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