सोशल समूहों के जरिये आतंकी मॉड्यूल से कथित संपर्क, भाई की हिरासत के बाद बढ़ा शक
कोलकाता, 17 नवम्बर। दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हाल ही में हुए भीषण विस्फोट मामले की जांच में नया मोड़ सामने आया है। इस कांड में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अब पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की जेल में बंद सबीर अहमद की कथित भूमिका पर शक है। प्रारंभिक स्तर पर संकेत मिले हैं कि सबीर बंदी अवस्था में रहते हुए सोशल माध्यमों के जरिए संदिग्ध नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। जांच टीमें इस बात का पता लगा रही हैं कि जेल के अंदर रहकर वह कथित तौर पर देश विरोधी गतिविधियों से कैसे जुड़ा रहा और किस तकनीक या स्रोत का उपयोग कर साजिश को अंजाम देने वालों तक पहुंच बना सका।
धमाके में अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार 13 लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल हुए थे। सुरक्षा एजेंसियों ने प्रारंभिक जांच में यह माना था कि इस घटना के पीछे किसी सक्रिय आतंकी मॉड्यूल की भूमिका रही है। जांच एजेंसियों ने यह भी संकेत दिए थे कि सोशल माध्यमों पर सक्रिय कुछ गुप्त समूहों के जरिए संवाद स्थापित करके पूरी साजिश को आगे बढ़ाया गया था। इसी डिजिटल नेटवर्क के प्रमुख संचालनकर्ता शाहिन साहिद को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, जिसके बाद कथित रूप से यह जानकारी सामने आई कि नदिया जिले के पलाशीपाड़ा क्षेत्र का निवासी और जेल में बंद सबीर भी उन समूहों में शामिल था।/swadeshjyoti/media/post_attachments/34671dc9-592.jpg)
भाई की हिरासत से बढ़ी जांच की रफ्तार
इस मामले में संदिग्ध कड़ी तब और मजबूत हुई जब राज्य विशेष कार्य बल ने 12 नवम्बर की रात पलाशीपाड़ा थाना पुलिस की सहायता से सबीर के भाई फैज़ल अहमद को बड़े नलदह क्षेत्र से हिरासत में लिया। हालांकि, पुलिस ने इस संबंध में औपचारिक गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में यह चर्चा तेजी से फैल गई कि सबीर का नाम दिल्ली विस्फोट साजिश से जुड़ सकता है। इस खबर के प्रसार से स्थानीय नागरिकों के बीच गंभीर चिंता और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई।
परिवार और स्थानीय लोगों ने आरोपों को नकारा
सबीर अहमद के परिवार ने इन संदिग्ध आरोपों को पूरी तरह असत्य और निराधार बताया। स्थानीय निवासी मिथुन शेख ने कहा कि वे सबीर के किसी भी आतंकी संगठन से जुड़े होने की बात पर यकीन नहीं कर पा रहे और उनका मानना है कि मामला अभी केवल शक और जांच के स्तर पर है। क्षेत्र के कई लोगों ने यह भी कहा कि किसी भी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आधिकारिक जांच के परिणामों की प्रतीक्षा जरूरी है।
जांच एजेंसियों की प्राथमिकता : जेल के अंदर लिंक की पड़ताल
कृष्णनगर ग्रामीण पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उत्तम घोष ने इस पूरी प्रक्रिया को लेकर कहा कि कुछ दिन पूर्व राज्य विशेष कार्य बल ने सबीर के भाई को पूछताछ के उद्देश्य से लिया था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अभी एजेंसियां विभिन्न बिंदुओं पर गहनता से अध्ययन कर रही हैं और किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष संलिप्तता पर आधिकारिक टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। जांच एजेंसियां इस बात की विस्तृत पड़ताल कर रही हैं कि जेल के अंदर रहते हुए सबीर सोशल माध्यमों पर सक्रिय कैसे रहा और डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से देश विरोधी प्रचार के आरोपों पर क्या तथ्य सामने आते हैं।
इसके साथ ही जांच अधिकारी यह भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या किसी बाहरी सहायता या जेल तंत्र में किसी ढिलाई के कारण ऐसा संभव हो सका या यह मामला किसी उच्च तकनीकी संचार स्रोत के माध्यम से संचालित हुआ। यदि ऐसा पाया जाता है तो यह जेल सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया निगरानी प्रणाली के लिए एक गंभीर चेतावनी साबित होगी।
पूरी जांच रिपोर्ट सामने आने से पहले यह मामला केवल संदिग्ध आधार पर है और आधिकारिक पुष्टि के लिए जांच एजेंसियों द्वारा संकलित साक्ष्यों की प्रतीक्षा की जा रही है। फिलहाल घटनाक्रम पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें टिकी हैं और यह मामला देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील विषय के रूप में देखा जा रहा है।
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