चाणक्य डिफेंस संवाद कार्यक्रम में जनरल उपेंद्र द्विवेदी का संबोधन, आतंकी नेटवर्क, आधुनिक युद्ध, रक्षा बजट और भारत की रणनीतिक तैयारी पर विस्तृत विचार

नई दिल्ली, 18 नवम्बर। भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस संवाद कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में देश की सुरक्षा नीति, आधुनिक युद्ध परिदृश्य, रक्षा सुधार, सैन्य कूटनीति और पड़ोसी देशों के रवैये पर खुलकर विचार साझा किए। जनरल द्विवेदी के बयान का सबसे प्रभावशाली हिस्सा पाकिस्तान और आतंकवाद से जुड़ा था, जब उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऑपरेशन सिंदूर केवल 88 घंटे का ट्रेलर था, असली फिल्म तो अभी शुरू भी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान दोबारा भारत की सीमाओं और सुरक्षा को चुनौती देता है, तो भारत बिना किसी झिझक के जवाब देने के लिए तैयार है और दुनिया को यह भी बताएगा कि जिम्मेदार राष्ट्र कैसे व्यवहार करते हैं।

कार्यक्रम में मौजूद रक्षा विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों, रणनीतिकारों और अंतरराष्ट्रीय रक्षा विश्लेषकों ने उनके वक्तव्य को भारत की सामरिक दृढ़ता और भविष्य की सैन्य योजना का स्पष्ट संकेत माना। जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत प्रगति और विकास की बात करता है, लेकिन जो शक्तियां समाज और राष्ट्र के खिलाफ हिंसा और आतंक का सहारा लेती हैं, उन्हें रोकने और खत्म करने के लिए निर्णायक कदम उठाना अनिवार्य है।

भूमि से जुड़ी रणनीति, आधुनिक युद्ध और तत्परता पर जोर

जनरल द्विवेदी ने बताया कि भारतीय सेना भविष्य को जमीन पर खड़े होकर देखती है। आज की परिस्थितियों में युद्ध का स्वरूप मूल रूप से बदल चुका है। पहले निर्णय लेने में कई दिन लग जाते थे, योजनाओं को क्रियान्वित करने में देरी होती थी, लेकिन अब यह समय बीत चुका है। आज यदि देश को केवल 48 घंटे के भीतर युद्ध लड़ने की जरूरत पड़े, तो भारत अपनी पूरी राष्ट्रीय क्षमता के साथ तत्काल कार्रवाई करने की क्षमता रखता है।

उन्होंने कहा कि असली ताकत केवल हथियारों और सेना की संख्या में नहीं, बल्कि इस विश्वास में होती है कि दुश्मन को यह संदेश साफ समझ आए कि भारत पर हमला करने की कीमत तुरंत और निर्णायक प्रतिक्रिया के रूप में चुकानी पड़ेगी। यही रणनीतिक संतुलन किसी भी राष्ट्र की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

डिफेंस कूटनीति और वैश्विक संबंधों में सेना की भूमिका

जनरल द्विवेदी ने कहा कि रक्षा कूटनीति में भारतीय सेना की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय विश्व स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत बनाता है। पिछले वर्ष विदेश मंत्री द्वारा दी गई सलाह के अनुसार सेना की जिम्मेदारी केवल युद्ध तक सीमित नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोग, सैन्य साझेदारी और वैश्विक रक्षा समझौतों में योगदान बढ़ाना भी है। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा नीति आज केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि अग्रिम सोच वाली है।

भारत-चीन संबंधों में बदलाव और सीमाई समझौता

आर्मी चीफ ने कहा कि वर्ष 2024 के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में अहम परिवर्तन आया है। पूर्वी लद्दाख में 21 अक्टूबर 2024 को हुए महत्वपूर्ण समझौते से दोनों देशों को लाभ मिला है। यह समझौता तनाव कम करने और सीमाई स्थिरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। उनके अनुसार सीमा पर शांति केवल सैन्य मजबूती से ही नहीं, बल्कि संतुलित संवाद और कूटनीति से भी स्थापित होती है।

जम्मू–कश्मीर में सकारात्मक माहौल और आम जनजीवन में सुधार

उन्होंने कहा कि आज पूरे भारत के लोग स्वतंत्र रूप से जम्मू–कश्मीर की यात्रा करना चाहते हैं। जिन परिवारों ने पहले सुरक्षा स्थिति बिगड़ने पर घाटी छोड़ी थी, वे अब वापस लौटकर समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान देना चाहते हैं। यह परिवर्तन सुरक्षा व्यवस्था और विकासात्मक प्रयासों का परिणाम है।

सेना में सुधार और दस वर्षीय परिवर्तन अभियान

उन्होंने जानकारी दी कि सेना निरंतर सुधार की दिशा में कार्य कर रही है। रक्षा मंत्री ने वर्ष 2024 को सुधार वर्ष घोषित किया था, जबकि सेना ने इससे आगे बढ़कर इसे दस वर्षीय बड़े परिवर्तन अभियान का रूप दे दिया है। इसमें नई सैन्य संरचना, अत्याधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण में सुधार, समन्वित ऑपरेशन प्रणाली और आधुनिक उपकरण शामिल हैं।

आधुनिक युद्ध का चेहरा और नई चुनौतियां

आर्मी चीफ ने कहा कि अब युद्ध केवल भूमि, समुद्र और आकाश तक सीमित नहीं है। आज युद्ध में साइबर, अंतरिक्ष, सूचना युद्ध, विद्युतचुंबकीय तरंग युद्ध और मनोवैज्ञानिक रणनीति भी शामिल हो चुकी हैं। इसीलिए भविष्य की थिएटर कमान प्रणाली दोहरी सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयार की जा रही है।

रक्षा बजट और संसाधनों में वृद्धि

आर्मी चीफ ने बताया कि पदभार ग्रहण करने के बाद शीर्ष नेतृत्व ने आश्वासन दिया कि रक्षा बजट की कोई कमी नहीं रहेगी। वर्ष 2024–25 में रक्षा खरीद के लिए जारी राशि को और बढ़ा दिया गया, ताकि सेना भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा कर सके और अपने आधुनिकीकरण कार्यक्रम को तेज गति से आगे बढ़ा सके।

भारत के सैन्य प्रमुख का यह वक्तव्य केवल बयान भर नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति, आत्मविश्वास और भविष्य की तैयारी का स्पष्ट संदेश माना जा रहा है।

✨ स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!

मदीना के पास दर्दनाक सड़क हादसा, उमराह यात्रा पर गए 42 भारतीय तीर्थयात्रियों की मौत की आशंका, पहचान की चुनौती बढ़ी

दिल्ली ब्लास्ट कांड में नदिया जेल में बंद सबीर अहमद की संदिग्ध भूमिका, जांच एजेंसियां गहरी पड़ताल में जुटीं

डिजिटल लाइफ में बैलेंस कैसे बनाए रखें?

अब ग्रीन एनर्जी हब के रूप में उभर रही है महाकाल की नगरी