संसद में SIR के मुद्दे पर आज दूसरे दिन भी जोरदार हंगामा हुआ।

लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होते ही विपक्षी सांसद नारे लगाने लगे। कई सांसद वेल तक पहुंच गए। स्पीकर ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष करीब 20 मिनट तक लगातार “वोट चोर–गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाता रहा। स्थिति न संभलने पर लोकसभा की कार्यवाही पहले 12 बजे और बाद में 2 बजे तक के लिए रोक दी गई।

राज्यसभा में भी माहौल तनावपूर्ण रहा। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने SIR पर तुरंत चर्चा की मांग की और जमकर नारेबाजी की। हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक भी 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।

विपक्ष क्या चाहता है?

विपक्ष का कहना है कि SIR एक बेहद जरूरी मुद्दा है और इस पर तुरंत चर्चा होनी चाहिए।
राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संसद में विरोध जताना ज़रूरी है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह SIR पर खुलकर चर्चा नहीं करना चाहती।

सुबह 10:30 बजे विपक्षी दलों ने संसद परिसर में मकर द्वार के सामने धरना भी दिया। विपक्ष की मांग है कि सरकार बिना देरी किए इस विषय को सदन में लाए।

सरकार का क्या कहना है?

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार SIR या चुनावी सुधारों पर चर्चा के लिए तैयार है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष चर्चा के लिए समय सीमा न थोपे। रिजिजू ने बताया कि सरकार इस विषय पर सलाह-मशविरा कर रही है और जल्द फैसला ले सकती है।

सूत्रों के अनुसार, विपक्ष मान गया है कि अगर सरकार चाहे तो चर्चा के दौरान SIR शब्द इस्तेमाल न करे। सरकार चाहे तो इसे “इलेक्टोरल रिफॉर्म” या किसी और नाम से एजेंडे में शामिल कर सकती है। माना जा रहा है कि सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है और इसे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में रखा जाएगा।

लोकसभा– राज्यसभा में क्या हुआ ?

दोपहर 12 बजे जब लोकसभा की बैठक दोबारा शुरू हुई, विपक्ष फिर से SIR पर चर्चा की मांग करते हुए नारे लगाने लगा।
पीठासीन अध्यक्ष पीसी मोहन ने माहौल शोरगुल भरा देखकर कार्यवाही को 2 बजे तक रोक दिया।

राज्यसभा में भी यही स्थिति रही। नारेबाजी बढ़ने पर वहां भी 2 बजे तक रोक लगा दी गई।

कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला

कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने रिजिजू के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था “विपक्ष सदन नहीं चलने देने के बहाने ढूंढता है।”

रेणुका चौधरी ने कहा “अगर तुम नालायक हो तो हमारी क्या गलती ? तुम्हें सदन चलाना नहीं आता तो हम क्या करें? हम मुद्दे क्यों न उठाएं? हम सांसद हैं और जनता की आवाज उठाना हमारा काम है।”

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