शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर टकराव, विपक्ष का वॉकआउट

नई दिल्ली, 1 दिसंबर। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। सभापति सीपी राधाकृष्णन के स्वागत सत्र के बाद जैसे ही नियमित कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने एसआईआर, आंतरिक सुरक्षा और श्रम संहिता पर त्वरित चर्चा की मांग की। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने हंगामा किया और इसके बाद वॉकआउट कर दिया। लगातार शोरगुल के बीच सभापति ने सदन की कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित कर दी।

शुरुआत शोक प्रस्ताव से, फिर उठे विवाद
कार्यवाही की शुरुआत में सभापति राधाकृष्णन ने राज्यसभा के दो पूर्व सदस्यों— चंद्रकला पाण्डेय और प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा के निधन पर शोक व्यक्त किया। इसके बाद शून्यकाल और स्पेशल मेंशन शुरू हुआ, जिसमें कई सदस्यों को अपने मुद्दे उठाने का अवसर दिया गया।

इसी दौरान विपक्षी दलों ने एसआईआर पर चर्चा की मांग तेज कर दी।
टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि चुनाव सुधार एक गंभीर विषय है और इस पर चर्चा अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “यह मांग हम कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी रख चुके हैं।”

सरकार बोली,आज चर्चा संभव नहीं
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष की मांगों को कम नहीं आंका, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि:

“आज की कार्यसूची में तत्काल चर्चा शामिल करना संभव नहीं है। कई दलों और अनेक राज्यों के मुद्दे लंबित हैं। सरकार किसी भी विषय से भाग नहीं रही।”

इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष एकजुट है और सरकार उन्हें विभाजित करने की कोशिश न करे।
सीपीएम के जॉन ब्रिटास और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने भी एसआईआर को तत्काल चर्चा के लिए महत्वपूर्ण बताया। प्रमोद तिवारी ने यह भी दावा किया कि—

“एसआईआर से जुड़े 23 अधिकारी आत्महत्या कर चुके हैं, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

सरकार ने इन दावों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन कार्यवाही में पैदा हुए व्यवधान के बीच विपक्षी दलों ने वॉकआउट कर दिया।

हंगामे के बीच भी चले विविध मुद्दे
हंगामे के बावजूद सभापति ने कुछ सदस्यों को बोलने का मौका दिया।

राघव चड्ढा और अब्दल्ल वहाब ने सदन की अव्यवस्था का हवाला देते हुए बोलने में असमर्थता जताई।

एक रोचक वाकये में भाजपा की संगीता यादव और जदयू की धर्मशीला गुप्ता अपने मुद्दे तो उठाना चाहती थीं, लेकिन उनके पास पेपर नहीं होने से वे बोल नहीं पाईं।

भाजपा के बृजलाल ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया।

भाजपा सदस्य बाबूभाई देसाई ने बच्चों में बढ़ते कैंसर को राष्ट्रीय चुनौती बताया और विशेष कैंसर अस्पताल स्थापित करने की मांग की।

डॉक्टर बी. थंबीदुरई ने दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को लेकर चिंता जताई।

लगातार शोर-शराबे और विपक्ष के वॉकआउट के बाद सभापति राधाकृष्णन ने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

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