प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में जाएंगे, आपदा राहत और पुनर्निर्माण सहयोग पर होगी अहम बातचीत

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (हि.स.)। विदेश मंत्री S. Jaishankar मंगलवार को प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में Sri Lanka के दौरे पर रवाना होंगे। इस उच्चस्तरीय यात्रा के दौरान वह श्रीलंकाई नेतृत्व से मुलाकात कर हाल ही में आए भीषण चक्रवात ‘दित्वा’ के बाद राहत, पुनर्वास और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण सहयोग पर विस्तृत चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार यह दौरा भारत की मानवीय प्रतिबद्धताओं और पड़ोसी देशों के प्रति प्राथमिकता को मजबूती से रेखांकित करता है।

ऑपरेशन सागर बंधु के संदर्भ में यात्रा
यह दौरा विशेष रूप से भारत द्वारा शुरू किए गए Operation Sagar Bandhu के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस अभियान के तहत भारत ने आपदा के तुरंत बाद राहत सामग्री, आवश्यक वस्तुएं और तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया। अब अगले चरण में पुनर्वास, आधारभूत ढांचे की बहाली और प्रभावित समुदायों के जीवन को सामान्य बनाने के प्रयासों पर समन्वय बढ़ाने पर जोर है।

चक्रवात ‘दित्वा’ से हुई भारी तबाही
पिछले महीने आए चक्रवात ‘दित्वा’ ने श्रीलंका में व्यापक तबाही मचाई थी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा में 600 से अधिक लोगों की जान चली गई, जबकि लगभग 23 लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित हुए। कई क्षेत्रों में घर, सड़कें, बिजली-पानी की आपूर्ति और आजीविका के साधन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए, जिससे सामान्य जनजीवन लंबे समय तक प्रभावित रहा।

भारत की त्वरित मानवीय प्रतिक्रिया
पड़ोसी और भरोसेमंद साझेदार के रूप में भारत ने आपदा के तुरंत बाद सहायता का हाथ बढ़ाया। राहत सामग्री, दवाइयां, भोजन, तिरपाल, और अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए। इसके साथ ही भारतीय एजेंसियों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत वितरण और जरूरतों के आकलन में सहयोग किया। अब भारत का फोकस राहत से आगे बढ़कर रिकवरी और पुनर्निर्माण के ठोस उपायों पर है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में टिकाऊ बहाली सुनिश्चित की जा सके।

नेबरहुड फर्स्ट नीति की झलक
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह दौरा भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ का जीवंत उदाहरण है। इस नीति के तहत भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ समय पर सहायता, आपसी विश्वास और दीर्घकालिक सहयोग को प्राथमिकता देता है। श्रीलंका के साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को देखते हुए यह सहयोग दोनों देशों के बीच साझेदारी को और सुदृढ़ करेगा।

आगे की रणनीति और सहयोग के क्षेत्र
दौरे के दौरान पुनर्निर्माण परियोजनाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा ढांचे की बहाली, आजीविका सृजन, तथा आपदा-रोधी क्षमताओं के निर्माण जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श होने की संभावना है। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन में तकनीकी सहयोग और भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए संयुक्त तंत्र को मजबूत करने पर भी चर्चा हो सकती है।

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