एकाग्रता की कमी और थकान आम समस्या बन चुकी

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक तनाव, एकाग्रता की कमी और थकान आम समस्या बन चुकी है। ऐसे में योग का सरल लेकिन प्रभावी अभ्यास सिद्धासन मन को शांत करने और ध्यान को गहरा करने में सहायक माना जाता है। यह योग-विज्ञान के सबसे प्राचीन ध्यानात्मक आसनों में से एक है। ‘सिद्ध’ का अर्थ है पूर्ण या सिद्धि प्राप्त करना—यानी ऐसा आसन जो साधना को स्थिरता देता है।

सिद्धासन क्या है?

सिद्धासन में एड़ियों की विशेष स्थिति के साथ रीढ़ को सीधा रखते हुए ध्यान किया जाता है। इस मुद्रा में बैठकर मन स्वाभाविक रूप से शांत होता है और शरीर की ऊर्जा (प्राण) ऊपर की ओर प्रवाहित होने में मदद पाती है। आयुष परंपरा में इसे ध्यान और प्राणायाम के लिए अत्यंत उपयोगी माना गया है।

कैसे करें सिद्धासन?

योग मैट पर दंडासन में बैठें।
बाएं पैर को मोड़कर उसकी एड़ी को पेरिनियम के पास टिकाएं।
अब दाएं पैर को मोड़ें और उसकी एड़ी को बाएं पैर की एड़ी के ऊपर रखें।
दाएं पैर की उंगलियों को बाईं जांघ और पिंडली के बीच के जोड़ में सेट करें।
रीढ़, गर्दन और सिर को सीधा रखें, आंखें बंद करें और सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
शुरुआत में 5–10 मिनट पर्याप्त है; धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।

नियमित अभ्यास के लाभ

सिद्धासन मन को स्थिर कर तनाव और बेचैनी कम करता है तथा एकाग्रता बढ़ाता है।
ध्यान और प्राणायाम में सहायता से मानसिक स्पष्टता आती है।
पाचन में सुधार और श्वसन से जुड़ी समस्याओं में सहायक माना जाता है।
कूल्हों, घुटनों और टखनों में हल्का स्ट्रेच देता है।
दीर्घकालिक अभ्यास से मानसिक संतुलन बेहतर होता है।

सावधानियां

यदि घुटनों या कूल्हों में दर्द हो तो धीरे-धीरे करें या कुर्सी का सहारा लें।
उच्च रक्तचाप वाले लोग प्राणायाम के दौरान गहरी सांस सावधानी से लें।
दर्द या असहजता महसूस हो तो आसन रोक दें।