पोरबंदर से ओमान के मस्कट तक पहला सफर, खाड़ी देशों से ऐतिहासिक रिश्तों को दोहराएगा पारंपरिक जहाज
भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को एक बार फिर वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करते हुए भारतीय नौसेना का पारंपरिक जहाज INSV Kaundinya अपने पहले ऐतिहासिक समुद्री सफर पर रवाना हो गया है। यह अनूठा जहाज गुजरात के Porbandar से ओमान के Muscat के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकला है। यह यात्रा केवल एक नौसैनिक अभियान नहीं, बल्कि भारत की हजारों वर्ष पुरानी समुद्री परंपराओं, व्यापारिक संपर्कों और सांस्कृतिक रिश्तों की जीवंत झलक है।
INSV कौंडिन्य को प्राचीन भारतीय ‘सिले हुए जहाज’ तकनीक से तैयार किया गया है, जिसे अंग्रेज़ी में स्टिच्ड शिप तकनीक कहा जाता है। इस तकनीक में लोहे की कीलों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि लकड़ी के मजबूत तख्तों को नारियल की रस्सियों और प्राकृतिक रेशों से सिला जाता है। यही तकनीक प्राचीन काल में भारत के समुद्री व्यापारिक जहाजों में प्रयुक्त होती थी, जिनके माध्यम से भारत का व्यापार और सांस्कृतिक प्रभाव अरब, खाड़ी देशों, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला।
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इस ऐतिहासिक पहल को भारत की समुद्री विरासत के पुनर्जागरण के रूप में देखा जा रहा है। INSV कौंडिन्य न केवल तकनीकी दृष्टि से अद्वितीय है, बल्कि यह उस कालखंड की याद दिलाता है जब भारतीय नाविक और व्यापारी बिना आधुनिक उपकरणों के भी विशाल समुद्रों को पार कर लेते थे। यह जहाज प्राचीन भारत की नौवहन क्षमता, शिल्प कौशल और वैज्ञानिक समझ का प्रतीक बनकर उभरा है।
इस अवसर पर भारत सरकार की ओर से कहा गया कि यह अत्यंत गर्व की बात है कि INSV कौंडिन्य अपने पहले सफर पर निकल रहा है। यह जहाज भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को उजागर करता है और यह दिखाता है कि भारत का समुद्री इतिहास कितना गहरा और प्रभावशाली रहा है। इस परियोजना को साकार करने में डिजाइनरों, पारंपरिक कारीगरों, जहाज निर्माताओं और Indian Navy की भूमिका की सराहना की गई है, जिन्होंने अथक परिश्रम और समर्पण के साथ इस अनूठे जहाज को जीवन दिया।
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INSV कौंडिन्य की यह यात्रा भारत और खाड़ी क्षेत्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों को भी रेखांकित करती है। प्राचीन काल में भारत और ओमान सहित खाड़ी देशों के बीच मसालों, वस्त्रों, धातुओं और अन्य वस्तुओं का व्यापक व्यापार होता था। यह जहाज उसी ऐतिहासिक समुद्री मार्ग पर चलते हुए उन संबंधों को फिर से याद करेगा, जिन्होंने सभ्यताओं को एक-दूसरे से जोड़ा था।
इस ऐतिहासिक यात्रा को लेकर देश के शीर्ष नेतृत्व ने भी गर्व व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया पर संदेश साझा करते हुए कहा कि यह अत्यंत आनंददायक है कि INSV कौंडिन्य अपनी पहली समुद्री यात्रा पर पोरबंदर से मस्कट के लिए रवाना हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय सिले हुए जहाज तकनीक से बना यह पोत भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को उजागर करता है। प्रधानमंत्री ने इस अनूठे जहाज को साकार करने वाले डिजाइनरों, कारीगरों, जहाज निर्माताओं और भारतीय नौसेना के प्रयासों की सराहना की और चालक दल को सुरक्षित एवं स्मरणीय यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं।
Wonderful to see that INSV Kaundinya is embarking on her maiden voyage from Porbandar to Muscat, Oman. Built using the ancient Indian stitched-ship technique, this ship highlights India's rich maritime traditions. I congratulate the designers, artisans, shipbuilders and the… pic.twitter.com/bVfOF4WCVm
— Narendra Modi (@narendramodi) December 29, 2025
भारतीय नौसेना के अनुभवी नाविकों का दल इस यात्रा पर जहाज का संचालन कर रहा है।आधुनिक नेविगेशन सुविधाओं के साथ-साथ पारंपरिक समुद्री ज्ञान का भी इस सफर में उपयोग किया जा रहा है, ताकि यह यात्रा सुरक्षित और स्मरणीय बन सके। यह अभियान युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए भी प्रेरणा बनेगा, जो भारत के समुद्री इतिहास और पारंपरिक तकनीकों को समझने में रुचि रखते हैं।
INSV कौंडिन्य की यह पहली यात्रा केवल एक गंतव्य तक पहुंचने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह भारत की उस समुद्री आत्मा का प्रतीक है, जिसने सदियों पहले महासागरों को जोड़कर संस्कृतियों, व्यापार और ज्ञान का आदान-प्रदान संभव बनाया था। यह पहल आने वाले समय में भारत की समुद्री विरासत को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
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