तीनों सेनाओं की मारक क्षमता और तैयारी बढ़ाने पर जोर, आधुनिक हथियार और तकनीक को मिली हरी झंडी

देश की सुरक्षा तैयारियों को और मजबूत करने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। तीनों सशस्त्र बलों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हथियारों, गोला-बारूद और आधुनिक रक्षा प्रणालियों की खरीद के लिए लगभग 79 हजार करोड़ रुपये के रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। यह अहम फैसले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में लिए गए। सरकार का मानना है कि इन मंजूरियों से थलसेना, नौसेना और वायुसेना की परिचालन क्षमताएं मजबूत होंगी और बदलते सुरक्षा परिदृश्य में भारत की सैन्य तैयारी और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

बैठक में जिन प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई, उनमें मौजूदा युद्धक प्रणालियों की मरम्मत और उन्नयन के साथ-साथ नई अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल करने पर विशेष जोर दिया गया। इसका उद्देश्य केवल नई खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि पहले से मौजूद रक्षा संपत्तियों की सेवा अवधि बढ़ाकर उनकी ऑपरेशनल तैयारी को भी सुनिश्चित करना है।

थलसेना को मिले आधुनिक हथियार और ड्रोन रोधी सिस्टम

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय सेना के लिए कई महत्वपूर्ण प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी है। इसमें टी-90 मुख्य युद्धक टैंक की मरम्मत और एमआई-17 हेलीकॉप्टर के मिड-लाइफ अपग्रेड के प्रस्ताव शामिल हैं। इन फैसलों से इन प्लेटफॉर्म्स की कार्यक्षमता और सेवा अवधि में इजाफा होगा, जिससे सेना की युद्धक तैयारी और भरोसेमंद बनेगी।

इसके अलावा आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए लॉइटर म्यूनिशन सिस्टम की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। यह प्रणाली टैक्टिकल टारगेट पर सटीक हमला करने में सक्षम है और आधुनिक युद्ध की जरूरतों के अनुरूप मानी जा रही है। लो लेवल लाइट वेट रडार की मंजूरी से कम ऊंचाई पर उड़ने वाले छोटे ड्रोन और अन्य अनमैन्ड एरियल सिस्टम का पता लगाने और उन्हें ट्रैक करने की क्षमता बढ़ेगी।

पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम के लिए लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट एम्युनिशन की खरीद से सेना की लंबी दूरी तक सटीक हमला करने की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। वहीं इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-2 की अधिक रेंज सेना की महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों को ड्रोन हमलों से सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

नौसेना की समुद्री ताकत होगी और मजबूत

नौसेना के लिए भी कई अहम प्रस्तावों को आवश्यकता की स्वीकृति दी गई है। इसमें बोलार्ड पुल टग्स की खरीद शामिल है, जिससे बंदरगाहों में जहाजों और पनडुब्बियों की पैंतरेबाजी आसान होगी। यह नौसैनिक संचालन की सुरक्षा और दक्षता दोनों को बढ़ाएगा।

इसके साथ ही हाई फ्रीक्वेंसी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो मैनपैक की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। यह प्रणाली बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशन के दौरान लंबी दूरी तक सुरक्षित संचार सुनिश्चित करेगी। नौसेना के लिए हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम को लीज पर लेने का फैसला भी लिया गया है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार खुफिया जानकारी, निगरानी, टोही और समुद्री क्षेत्र की जागरूकता को मजबूत किया जा सकेगा।

वायुसेना की मारक और प्रशिक्षण क्षमता में इजाफा

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने वायुसेना के लिए भी कई अत्याधुनिक प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी है। इसमें ऑटोमैटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम शामिल है, जो हर मौसम में टेक-ऑफ और लैंडिंग की हाई डेफिनिशन रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराएगा। इससे एयरोस्पेस सुरक्षा से जुड़े जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।

वायुसेना के लड़ाकू विमानों के लिए एस्ट्रा एमके-2 मिसाइल की खरीद से दुश्मन के विमानों को लंबी दूरी से ही निष्क्रिय करने की क्षमता बढ़ेगी। लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के लिए फुल मिशन सिम्युलेटर पायलटों की ट्रेनिंग को अधिक सुरक्षित, प्रभावी और किफायती बनाएगा। वहीं स्पाइस-1000 लॉन्ग रेंज गाइडेंस किट वायुसेना की सटीक लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को और मजबूत करेगी।

आपातकालीन खरीद शक्तियों का विस्तार

इन फैसलों के साथ-साथ केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों की आपातकालीन खरीद शक्तियों को भी बढ़ा दिया है। रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसके तहत सेनाएं अब अगले वर्ष 15 जनवरी तक आपातकालीन खरीद शक्तियों के अंतर्गत समझौते कर सकेंगी। इससे पहले इस तरह के समझौते करने की समय सीमा 19 नवंबर तय थी।

ये आपातकालीन खरीद शक्तियां ऑपरेशन सिंदूर के बाद दी गई थीं, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति या उभरते खतरे के समय सेनाएं तेजी से जरूरी उपकरण और संसाधन हासिल कर सकें। सरकार का मानना है कि इससे भविष्य की किसी भी आपात स्थिति में भारत की सैन्य प्रतिक्रिया और अधिक प्रभावी और त्वरित होगी।

कुल मिलाकर रक्षा मंत्रालय के ये फैसले भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण, युद्ध तैयारी को मजबूत करने और उन्नत तकनीकों को तेजी से शामिल करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं, जिससे देश की सुरक्षा को नई मजबूती मिलेगी।

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