तटीय सुरक्षा, पनडुब्बी रोधी क्षमता और माइन बिछाने की ताकत में अहम इजाफा

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा क्षमता को और सशक्त बनाते हुए सोमवार को तीसरा एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अंजदीप’ नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। चेन्नई में आयोजित कार्यक्रम में यह अत्याधुनिक युद्धपोत औपचारिक रूप से Indian Navy को सौंपा गया। यह पोत स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उन आठ जहाजों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिन्हें कोलकाता स्थित Garden Reach Shipbuilders & Engineers द्वारा तैयार किया जा रहा है। ‘अंजदीप’ के शामिल होने से नौसेना की तटीय निगरानी, पनडुब्बी रोधी अभियान और समुद्री सुरक्षा व्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी।

स्वदेशी रक्षा निर्माण की बड़ी उपलब्धि

‘अंजदीप’ एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट परियोजना के तहत निर्मित तीसरा जहाज है। इन जहाजों को इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग के वर्गीकरण मानकों के अनुरूप डिजाइन और निर्मित किया गया है। इसके निर्माण में जीआरएसई और कट्टुपल्ली स्थित Larsen & Toubro शिपयार्ड की भागीदारी रही है, जो सरकारी और निजी क्षेत्र के सफल सहयोग का उदाहरण है। रक्षा क्षेत्र में इस तरह का तालमेल देश की स्वदेशी उत्पादन क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

नौसेना को मिला तीसरा एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट 'अंजदीप'
नौसेना को मिला तीसरा एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट 'अंजदीप'

अत्याधुनिक तकनीक से लैस युद्धपोत

लगभग 77 मीटर लंबे ये जहाज भारतीय नौसेना के सबसे बड़े वॉटरजेट चालित युद्धपोतों में गिने जाते हैं। ‘अंजदीप’ में पानी के नीचे निगरानी के लिए अत्याधुनिक सोनार प्रणाली, हल्के टॉरपीडो और आधुनिक सेंसर लगाए गए हैं, जो उथले समुद्री क्षेत्रों में पनडुब्बियों का सटीक पता लगाने और उन पर प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम हैं। डीजल इंजन आधारित वॉटर जेट प्रोपल्शन प्रणाली इसे 25 नॉट्स तक की गति प्रदान करती है, जिससे यह तेज, फुर्तीला और चुनौतीपूर्ण समुद्री परिस्थितियों में भी कारगर साबित होता है।

पुराने जहाजों की जगह नई पीढ़ी

नौसेना के अनुसार ‘अंजदीप’ नाम पहले के आईएनएस अंजादीप की विरासत को आगे बढ़ाता है, जो 2003 में सेवा से निवृत्त हुआ पेट्या श्रेणी का कार्वेट था। नए जहाज का नाम कर्नाटक के कारवार तट के पास स्थित अंजादीप द्वीप के नाम पर रखा गया है। यह नामकरण भारत की विस्तृत समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और समुद्री विरासत से जुड़े गौरव को दर्शाता है।दम

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इस युद्धपोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरण और प्रणालियां उपयोग में लाई गई हैं। यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत विजन के अनुरूप घरेलू रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार का प्रमाण है। ‘अंजदीप’ जैसे जहाज न केवल आयात पर निर्भरता कम करते हैं, बल्कि भविष्य में रक्षा निर्यात की संभावनाओं को भी मजबूत करते हैं। नौसेना के लिए यह आपूर्ति स्वदेशी जहाज निर्माण अभियान में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है।

बहुआयामी अभियानों में सक्षम

एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अंजदीप’ को विशेष रूप से तटीय जल क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है। इसके साथ ही यह माइन बिछाने, कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों और खोज एवं बचाव कार्यों में भी प्रभावी भूमिका निभा सकता है। ‘अर्नाला’ श्रेणी के तहत आने वाले ये जहाज पुराने प्लेटफॉर्म की जगह लेंगे और भारतीय नौसेना को आधुनिक हथियारों व सेंसर से लैस एक नई पीढ़ी का बेड़ा उपलब्ध कराएंगे।

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