गृहमंत्री ने राहुल गांधी के आरोपों का दिया जवाब, कहा—आरएसएस की विचारधारा देश की संस्कृति का ध्वजवाहक


कांग्रेस पर वामपंथ को बढ़ावा देने का आरोप

नई दिल्ली। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने शिक्षा संस्थानों में वामपंथी विचारधारा के लोगों को स्थापित कर देश के युवाओं को भ्रमित करने का काम किया। शाह ने कहा कि वामपंथी विचारधारा कभी भी भारत की प्रकृति और स्वभाव के अनुरूप नहीं रही, इसलिए देश ने उसे स्वीकार नहीं किया।

गृहमंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों के शीर्ष पदों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों को बिठा रही है।


‘प्रधानमंत्री जनादेश से आए हैं, किसी की कृपा से नहीं’: शाह का राहुल गांधी को जवाब

अमित शाह ने राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री स्वयं आरएसएस की विचारधारा से हैं और वे जनादेश द्वारा चुने गए हैं, किसी के आशीर्वाद से नहीं। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी संघ की विचारधारा से प्रेरित हैं और इसमें कोई अनुचित बात नहीं है, क्योंकि किसी कानून में यह नहीं लिखा कि किसी संगठन से जुड़े लोग पदों पर नहीं रह सकते।

शाह ने आगे कहा कि 2014 में केंद्र में सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक ढंग से संस्थानों को परिष्कृत किया और देश की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने का कार्य किया।


इंदिरा गांधी के काल का उल्लेख कर कांग्रेस पर निशाना

अपने संबोधन में शाह ने 1969 की उस घटना का भी जिक्र किया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति चुनाव में अपने समर्थित उम्मीदवार को जिताने के लिए वामपंथी दलों से समझौता किया था। शाह के अनुसार, इस समझौते के बाद विभिन्न संवैधानिक पदों और उच्च शिक्षा संस्थानों में वामपंथी विचारधारा के लोगों की नियुक्ति की गई, जिसका देश की विचारधारा और युवाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

उन्होंने कहा कि इस रणनीति से देश के विमर्श को प्रभावित किया गया और युवाओं को उस दिशा में मोड़ा गया जो राष्ट्र की मूल प्रकृति के अनुकूल नहीं थी। समय के साथ जब यह विचार जमीन नहीं पकड़ पाया तो वह स्वतः लुप्त हो गया।


देश की संस्कृति का ध्वजवाहक बताया आरएसएस को

लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान शाह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को देश की संस्कृति का 'झंडा बुलंद करने वाली शक्ति' बताया। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक अस्मिता और सामाजिक मूल्यों पर आधारित है और इसे भारत की व्यापक सोच का हिस्सा माना जाना चाहिए।

शाह ने दावा किया कि कांग्रेस के विपरीत भाजपा ने संस्थानों को राजनीतिक नहीं बनाया, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप उन्हें मजबूत किया है।


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