विज्ञापन और जनसंपर्क में एआई ने बढ़ाई रोचकता, काम हुआ और आसान  एमसीयू में बड़ी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस

कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई आज हमारी दुनिया को बहुत तेजी से बदल रही है। खासकर विज्ञापन और जनसंपर्क (एडवर्टाइजिंग और पीआर) के क्षेत्र में एआई ने इतना बदलाव ला दिया है, जिसे देखकर हर कोई हैरान है। इसी विषय को ध्यान में रखते हुए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विज्ञापन और जनसंपर्क विभाग ने एक बड़ी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में देश और दुनिया के 200 से ज्यादा शोध छात्र, शिक्षक, विशेषज्ञ और विद्वानों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन जुड़कर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। सभी ने एआई की वजह से विज्ञापन, जनसंपर्क और लोगों की लाइफस्टाइल में आ रहे बड़े बदलावों पर अपने विचार, चिंताएं और संभावनाएं साझा कीं।

इस कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में एआई विशेषज्ञ श्री जयप्रकाश पाराशर शामिल हुए। उन्होंने कहा कि एआई चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए, लेकिन वह इंसान की रचनात्मक सोच और कल्पना जैसी क्षमता नहीं ला सकता। लेकिन फिर भी आज हर क्षेत्र में एआई की जरूरत है। इसलिए जितनी जल्दी हम एआई को सहयोगी बना लेंगे, उतना ही फायदा होगा। उन्होंने बताया कि हर हफ्ते एक नया एआई टूल आ रहा है, इसलिए सबको लगातार सीखते रहना होगा। जो चीज़ हम आज सीखते हैं, वह कुछ दिनों में पुरानी हो जाती है। उन्होंने कई दिलचस्प उदाहरणों से समझाया कि एआई कैसे लोगों के व्यवहार, पसंद और जरूरतों का विश्लेषण कर सकता है और उसी के आधार पर विज्ञापन रणनीति में तुरंत बदलाव ला सकता है। एआई डिजाइन, वॉयसओवर, कॉपी राइटिंग जैसे कामों में भी बड़ी मदद करता है। लेकिन एआई को अभी इतनी समझ नहीं है कि कौन सा शब्द या बात समाज पर क्या असर डाल सकती है, इसलिए इंसान का दिमाग हमेशा जरूरी रहेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि एआई पर होने वाले ऐसे आयोजन सिर्फ इवेंट तक सीमित नहीं रहने चाहिए, बल्कि एआई को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में मजबूती से शामिल करना होगा। एमसीयू इस दिशा में पहले से ही तेजी से आगे बढ़ रहा है। कुलगुरु ने कहा कि पिछले 200 साल में जो बदलाव हुए वह अद्भुत थे, लेकिन पिछले 30 साल की तकनीकी क्रांति उससे भी ज्यादा तेज है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उन्होंने “नकली मेधा” कहा और कहा कि यह आज की सच्चाई है कि नकली मेधा भी हमारे जीवन का बड़ा हिस्सा बन गई है। वे चाहते हैं कि यहां से निकलने वाले विद्यार्थी पूरी तैयारी के साथ जाएं, ताकि वे अपने पेशे में टिक सकें और आगे बढ़ सकें।

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कुलसचिव प्रो. पी. शशिकला ने बताया कि पिछले दिनों हर विभाग में एआई पर मास्टर क्लास, वर्कशॉप और ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने ज्ञान आधारित और तथ्य आधारित एआई के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि मीडिया में एआई का इस्तेमाल कंवर्जन्स और इंटीग्रेशन के साथ किया जा सकता है। जो भी जानकारी हम शेयर कर रहे हैं, उसे सही तरीके से ट्रांसफॉर्म भी करना बेहद जरूरी है।

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विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण में बताया कि इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए अमेरिका, बहरीन, बुल्गारिया, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और दुबई सहित कई देशों से शोध पत्र आए हैं। सम्मेलन को कुल 16 सत्रों में बांटा गया है और प्रस्तुति के आधार पर तीन श्रेणियों में अवॉर्ड भी दिए जाएंगे। सभी शोध पत्रों के सार (एब्स्ट्रेक्ट) को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है।

उद्घाटन सत्र के बाद ऑनलाइन प्रस्तुति में सोफिया यूनिवर्सिटी (बुल्गारिया) की डॉ. डायना पेट्कोवा, श्रीलंका के केलानिया विश्वविद्यालय के डॉ. मनोज जिनदासा और बांग्लादेश के चिटगांव विश्वविद्यालय के प्रो. मोहम्मद शाहिदुल्लाह शामिल हुए। अगले दिन 9 दिसंबर के सत्र में अमेरिका की जॉर्ज मैसन यूनिवर्सिटी के डॉ. सर्गेई सैमोइलैंको, बहरीन पॉलिटेक्निक के डॉ. मनीष वर्मा, नेपाल की काठमांडू यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. निर्मलमणि अधिकारी और सीबीएमडी, एआई के संस्थापक श्री विनोद नागर अपने शोध प्रस्तुत करेंगे। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. जया सुरजानी ने किया और अंत में आभार डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने व्यक्त किया।

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