ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा केस में नई पूरक चार्जशीट दाखिल की

दिल्ली की एक अदालत में शनिवार को एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा वाले मनी लॉन्ड्रिंग केस में हलचल बढ़ गई। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में नया पूरक आरोप पत्र (सप्लीमेंट्री चार्जशीट) दाखिल कर दिया। अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया और अब इस केस की अगली सुनवाई 24 जनवरी को रख दी गई है।

यह पूरा मामला कई सालों से चल रहा है और इसमें कथित हथियार कारोबारी संजय भंडारी का नाम सबसे ज्यादा आता है। ईडी का कहना है कि संजय भंडारी ने विदेशों में कई शेल कंपनियां बनाई थीं और उन्हीं के सहारे करोड़ों रुपये आगे-पीछे किए गए। इन पैसों को कभी यूएई के खातों में भेजा गया, कभी यूके के खातों में। यानी पैसा एक जगह से दूसरी जगह घुमाया जाता रहा ताकि असली स्रोत छिप जाए।

ईडी का दावा है कि 2009 से 2016 के बीच संजय भंडारी ने विदेशों में कई संपत्तियां खरीदीं। बताया जाता है कि इन संपत्तियों, लेनदेन और पैसों के पीछे एक बहुत गहरी और जटिल चेन थी। यह नेटवर्क ऐसा बनाया गया था कि असली मालिक और असली फायदेमंद लोग सामने न आएं। इसी नेटवर्क का पता लगाते-लगाते जांच एजेंसी के सामने रॉबर्ट वाड्रा का नाम आया।

इसके बाद से ही वाड्रा से कई बार पूछताछ हो चुकी है। जुलाई में भी ईडी ने उनसे घंटों तक सवाल-जवाब किए थे और उनका बयान मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत दर्ज किया गया था। वाड्रा को अभी भी 2019 की अग्रिम जमानत का फायदा मिल रहा है। इस वजह से उन्हें गिरफ्तारी से फिलहाल राहत है।

अदालत ने ईडी को यह भी अनुमति दे दी है कि वे चार्जशीट के साथ जो दस्तावेज लगाए गए हैं, उनकी समेकित सूची रिकॉर्ड पर जोड़ सकें। यह सूची आगे की सुनवाई में काफी अहम मानी जा रही है।

ईडी का आरोप है कि संजय भंडारी सिर्फ रक्षा सौदों में कमीशन लेने का आरोपी नहीं है, बल्कि उसने ऐसे कई विदेशी लेनदेन भी किए जिनका असली स्रोत पता नहीं चलता। ईडी अब यह पता लगाने में लगी है कि क्या इस पूरे नेटवर्क में किसी विदेशी कंपनी का कनेक्शन रॉबर्ट वाड्रा या उनके करीबियों से है। यानी यह देखना है कि कहीं वाड्रा का कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रिश्ता तो नहीं जुड़ता।

यह केस वाड्रा के खिलाफ चल रहे मामलों में से एक बड़ा मामला है। इससे पहले हरियाणा के शिकोहपुर जमीन सौदा केस में भी ईडी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। इसके अलावा राजस्थान और हरियाणा की पिछली सरकारों के समय में जमीन खरीद-फरोख्त में मिली कथित विशेष रियायतों की जांच भी अभी जारी है।

अब सबकी निगाहें 24 जनवरी पर हैं, जब मामले की अगली सुनवाई होगी और अदालत यह देखेगी कि आगे क्या कदम उठाए जाएं।

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