इंडिगो की 900 करोड़ रुपये की ड्यूटी वापसी याचिका पर हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इंडिगो एयरलाइन की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन की याचिका पर कस्टम विभाग को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कस्टम विभाग से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल 2026 को होगी।
याचिका में इंटरग्लोब ने मांग की है कि विदेश में मरम्मत के बाद भारत लौटाए गए विमान इंजनों और उनके पुर्जों पर अदा की गई 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की कस्टम ड्यूटी वापस की जाए। कंपनी का तर्क है कि ऐसा कर लगाना संविधान के खिलाफ है और यह एक ही लेनदेन पर दो बार टैक्स वसूलने जैसा है।
इंटरग्लोब ने अदालत को बताया कि विमान इंजनों और पार्ट्स की मरम्मत एक सेवा है, जिस पर उन्होंने पहले ही रिवर्स चार्ज के तहत जीएसटी चुका दिया था। बाद में जब उन्होने इन्हें भारत वापस आयात किया, तो कस्टम अधिकारियों ने वही लेनदेन वस्तु आयात मानते हुए दोबारा ड्यूटी लगाने की मांग की। कंपनी का कहना है कि कस्टम्स ट्रिब्यूनल पहले ही इस तरह के मामलों में स्पष्ट कर चुका है कि मरम्मत के बाद दोबारा आयात पर कस्टम ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती।
इंटरग्लोब ने यह भी कहा कि भले ही कस्टम ड्यूटी से जुड़ी अधिसूचना में बाद में बदलाव हुआ हो, ट्रिब्यूनल ने इसे केवल भविष्य के मामलों पर लागू माना था। इसके बावजूद, कंपनी ने विरोध दर्ज कराते हुए 4,000 से अधिक बिल ऑफ एंट्री पर 900 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए।
कस्टम विभाग की ओर से याचिका का विरोध किया गया। विभाग ने अदालत को बताया कि इस मामले से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अभी इस पर कोई रोक नहीं लगी है। विभाग ने अदालत से समय मांगा, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
बता दें कि इंडिगो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन में से एक है और यह मामले का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है। कंपनी का कहना है कि ड्यूटी की यह राशि उनके लिए भारी है और इसे वापस मिलने से उनके कामकाज में आसानी होगी।
कस्टम ड्यूटी की यह समस्या उन विमान इंजनों और पार्ट्स पर उठी है, जिन्हें पहले विदेश में मरम्मत के लिए भेजा गया था। मरम्मत के बाद जब इन्हें भारत लाया गया, तो ड्यूटी लगाने का विवाद शुरू हुआ। इंटरग्लोब का कहना है कि यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि उद्योग में अन्य कंपनियों के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है।
अदालत में सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि कंपनी ने इस मामले में पहले ही ट्रिब्यूनल में कई बार अपनी दलीलें रखी हैं और उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है। इंडिगो का तर्क है कि उन्होंने सभी नियमों और कानूनों का पालन किया है, फिर भी ड्यूटी दोबारा लगाई जा रही है।
इस फैसले का असर एयरलाइन उद्योग पर भी पड़ेगा। यदि अदालत कंपनी के पक्ष में फैसला देती है, तो ऐसे कई मामले जिनमें दोबारा ड्यूटी लगाने का विवाद है, उनका समाधान हो सकता है। वहीं कस्टम विभाग के विरोध के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है। इस तरह, इंडिगो की 900 करोड़ रुपये की ड्यूटी वापसी याचिका अब हाईकोर्ट के ध्यान में है और आने वाले समय में इस पर बड़ा फैसला आने की संभावना है।
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