हिंदी के 12वें रचनाकार और छत्तीसगढ़ के पहले लेखक जिन्हें मिला यह सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान

रायपुर, 21 नवम्बर (हि.स.)।
हिंदी साहित्य जगत की मौलिकता, संवेदनशीलता और गहन मानवीय दृष्टि के प्रतीक वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को आज उनके रायपुर स्थित निवास पर एक सादगीपूर्ण समारोह में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आर. एन. तिवारी ने उन्हें यह सम्मान सौंपा। समारोह में साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियाँ उपस्थित रहीं और उनके बहुमूल्य साहित्यिक योगदान का सम्मान किया।

हिंदी के 12वें लेखक, छत्तीसगढ़ से पहले साहित्यकार जिन्हें मिला ज्ञानपीठ

88 वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के ऐसे 12वें लेखक बने जिन्हें ज्ञानपीठ की गरिमा मिली है। इसके साथ ही वे छत्तीसगढ़ राज्य से यह गौरव पाने वाले पहले साहित्यकार भी हैं। हिंदी साहित्य के इतिहास में यह क्षण न केवल शुक्ल की उपलब्धि है, बल्कि उनकी रचनात्मक परंपरा और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान का भी महत्त्वपूर्ण अध्याय है।

शांत गहनता, अद्भुत कल्पनाशीलता और अनूठी भाषा—शुक्ल का साहित्यिक संसार

विनोद कुमार शुक्ल समकालीन हिंदी साहित्य के उन विशिष्ट रचनाकारों में गिने जाते हैं जिनकी भाषा सरल होने के बावजूद अत्यंत गहराई लिए होती है। उनकी रचनाओं में कवित्व, मार्मिकता और जादुई यथार्थवाद का अद्भुत मेल दिखाई देता है।
नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में खिड़की रहती थी, लगभग जयहिन्द जैसे उपन्यास और उनकी अनेक काव्य कृतियाँ साधारण मनुष्यों के छोटे-छोटे अनुभवों, जीवन की विसंगतियों और मानवीय संवेदनाओं को अत्यंत सहज और प्रभावी ढंग से सामने लाती हैं।

उनकी लेखन शैली को धीमी रोशनी में चमकते सत्य की तरह बताया जाता है—सरल, शांति भरी और गहरी संवेदनाओं से स्पंदित। यही कारण है कि वह समकालीन साहित्य में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं।

कृतियों को मिला व्यापक सम्मान—फिल्म और साहित्य अकादमी पुरस्कार भी शामिल

वर्ष 1999 में फिल्मकार मणि कौल ने उनके चर्चित उपन्यास नौकर की कमीज पर इसी नाम की फिल्म बनाई, जिसे 'केरल अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह' में सम्मान भी मिला।
उनके दूसरे उपन्यास दीवार में एक खिड़की रहती थी को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। ये उपलब्धियाँ उनके साहित्यिक कौशल, मौलिक दृष्टि और सामाजिक बोध की पुष्टि करती हैं।

ज्ञानपीठ संस्थान की ओर से प्रशंसा—“हिंदी की मौलिकता और मानवीय दृष्टि का अद्वितीय प्रमाण”

भारतीय ज्ञानपीठ के अध्यक्ष न्यायाधीश विजयेंद्र जैन (सेवानिवृत्त), प्रवर परिषद की अध्यक्षा प्रतिभा राय और प्रबंध न्यासी साहू अखिलेश जैन ने अपने संदेशों में कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का साहित्य हिंदी की मौलिकता और संवेदनशीलता का अद्वितीय उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि शुक्ल का सम्मान संपूर्ण हिंदी साहित्य जगत के लिए गौरव का विषय है।

सम्मान ग्रहण करते हुए शुक्ल ने कही दिल छू लेने वाली बात

सम्मान ग्रहण करते समय उन्होंने भारतीय ज्ञानपीठ और साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा—
"साहित्य मनुष्य को अपने भीतर झांकने की क्षमता देता है। लेखक का कर्तव्य है कि वह जीवन की छोटी-छोटी रोशनियों को शब्दों में सहेजता रहे।"

उनकी यह बात उनके लेखन की आत्मा को बखूबी अभिव्यक्त करती है—सादगी, संवेदना और मनुष्य के भीतर बसे प्रकाश को खोजने का आग्रह।

✨ स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!

दुबई एयर शो में भारतीय वायुसेना का तेजस फाइटर जेट क्रैश, पायलट शहीद

एकता के लिए एकरूपता नहीं, चेतना की समानता ही भारत की शक्ति : मोहन भागवत

टी-20 वर्ल्ड कप 2026 का संभावित शेड्यूल तैयार, भारत–पाकिस्तान मुकाबला 15 फरवरी को कोलंबो में होने की चर्चा तेज

26 बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने डार्क पैटर्न्स बंद किए, डिजिटल उपभोक्ता सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम