डोंबिवली, महाराष्ट्र: राष्ट्रभक्ति, कला और संस्कृति का जीवंत संगम

राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे जिले स्थित डोंबिवली ने राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक चेतना का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। डोंबिवली जिमखाना मैदान में 2.5 लाख रंगीन मिट्टी के दीयों से निर्मित 95 फीट ऊंची और 75 फीट चौड़ी भारत माता की भव्य मोजैक कलाकृति ने न केवल जनमानस को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि World Records India में भी अपना नाम दर्ज कराया है। इन दिनों डोंबिवली केवल एक शहर नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम, कला और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत तीर्थ बन गया है।

रात के समय जब हजारों दीयों की रोशनी एक साथ प्रज्ज्वलित होती है, तो पूरा मैदान दिव्य प्रकाश से नहा उठता है। लाल, केसरिया, नीले और हरे रंगों के दीयों से सजी भारत माता की यह मोजैक ऐसी प्रतीत होती है मानो भारत माता स्वयं प्रकाशमान होकर अपनी संतानों को आशीर्वाद दे रही हों। यह दृश्य केवल देखने भर का नहीं, बल्कि अनुभूति का विषय बन गया है, जिसे देखकर लोग भावुक हो उठते हैं।

जनसैलाब और भावनात्मक जुड़ाव

इस भव्य कलाकृति को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों नागरिक, परिवार, युवा और कला-प्रेमी डोंबिवली जिमखाना मैदान पहुंच रहे हैं। कई लोग इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बता रहे हैं, तो कई की आंखें राष्ट्रप्रेम की भावना से नम हो रही हैं। यह आयोजन लोगों के लिए केवल एक दृश्य नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और भावनात्मक यात्रा बन गया है, जिसमें कला के माध्यम से राष्ट्र के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जा रही है।

संकल्प से साकार हुआ विश्व रिकॉर्ड

इस ऐतिहासिक आयोजन की संकल्पना भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र चव्हाण के डोंबिवलीकर सांस्कृतिक परिवार द्वारा की गई। रविंद्र चव्हाण ने बताया कि भारत माता का पूजन और वंदन उनके जीवन के संस्कारों का अभिन्न हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर इसे केवल स्मरण तक सीमित न रखते हुए, भारत माता को एक अद्वितीय और स्थायी मानवंदना अर्पित करने का संकल्प लिया गया। उनका मानना है कि इस प्रकार के आयोजन नई पीढ़ी में देशभक्ति, संस्कृति और कला के प्रति सम्मान की भावना को और अधिक गहरा करते हैं।

कलाकारों का नौ दिन का अथक परिश्रम

इस विशाल और जटिल मोजैक कलाकृति को प्रसिद्ध कलाकार चेतन राऊत, प्रभु कापसे और वैभव कापसे की पिता–पुत्र जोड़ी ने अपनी पूरी टीम के साथ मिलकर साकार किया। कलाकारों ने लगातार नौ दिनों तक दिन-रात अथक परिश्रम किया। मिट्टी के दीयों को रंगना, उन्हें सही क्रम में सजाना और भारत माता के भावों को जीवंत रूप देना अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था। रविंद्र चव्हाण ने कलाकारों और पूरी टीम की खुले दिल से सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने कला के माध्यम से सनातन संस्कृति, भारतीय परंपरा और राष्ट्रप्रेम को जीवंत रूप दिया है।

वार्षिक उत्सव मेले का मुख्य आकर्षण

यह भव्य मोजैक कलाकृति डोंबिवली जिमखाना द्वारा आयोजित वार्षिक उत्सव मेले का मुख्य आकर्षण बनी हुई है। मेले में आने वाला हर व्यक्ति सबसे पहले भारत माता की इस अलौकिक छवि के दर्शन करने पहुंचता है। यह कलाकृति 28 दिसंबर 2025 तक आम नागरिकों के लिए खुली रहेगी, जिससे अधिक से अधिक लोग इस ऐतिहासिक और भावनात्मक अनुभव का साक्षी बन सकें।

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