मध्य प्रदेश संतुलित विकास, सांस्कृतिक ऊर्जा और संसाधन प्रबंधन का नया मॉडल

भोपाल में पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित मध्य प्रदेश सुशासन संवाद 2.0 कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश की विकास अवधारणा, जल प्रबंधन, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, शिक्षा सुधार, औद्योगिक नीति और महिला सशक्तिकरण पर विस्तृत विचार साझा किए। कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि आज का मध्य प्रदेश एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत कर रहा है, जहाँ विकास और संस्कृति साथ–साथ आगे बढ़ रहे हैं तथा संसाधनों का उपयोग भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप संतुलित ढंग से किया जा रहा है।

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सबसे पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच लंबे समय से चले आ रहे जल विवाद का उल्लेख किया और कहा कि बातचीत एवं आपसी सहयोग की भावना से इसे सुलझाया गया। उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश नदियों की जन्मभूमि है, इसलिए पड़ोसी राज्य को अधिक जल देना हमारे लिए संघर्ष नहीं, बल्कि समरसता की भावना है।”

उन्होंने बताया कि नदी जोड़ो अभियान प्रदेश में जल प्रबंधन और संरक्षण का प्रभावी उपाय सिद्ध हो चुका है और यह मॉडल भविष्य में देश के अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।

सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना

डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में सांस्कृतिक धरोहर, भारतीय ज्ञान–धारा और परंपरा को नयी ऊर्जा प्रदान करने के लिए योजनाबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि पूरे प्रदेश में गीता जयंती मनाने की पहल की गई है और गीता भवन के निर्माण की तैयारी चल रही है। उनके अनुसार संस्कृति किसी भी राज्य की आत्मा होती है, इसलिए विकास केवल आर्थिक नहीं, बल्कि चेतना आधारित होना चाहिए।

शिक्षा में भारतीय दृष्टि

मुख्यमंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालयों में कुलपति पदनाम की जगह कुलगुरु शब्द का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। उनका कहना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल प्रमाण पत्र प्रदान करना नहीं, बल्कि संस्कार, विचार, कर्तव्य और व्यक्तित्व निर्माण होना चाहिए। यह निर्णय भारतीय शिक्षा दर्शन की गौरवशाली परंपरा को पुनर्स्थापित करेगा।

महिला सशक्तिकरण पर विशेष बल

डॉ. यादव ने कहा कि नारी शक्ति प्रदेश की प्रगति का मर्म है। सरकार महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार, कौशल और आर्थिक स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। इनके माध्यम से महिलाओं को आत्मविश्वास, अवसर और सम्मान प्रदान करना ही शासन का मुख्य ध्येय है। उन्होंने कहा कि योजनाओं का परिणाम प्रत्यक्ष रूप में दिख रहा है और महिलाएँ अब हर क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही हैं।

रोजगार आधारित उद्योग नीति

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उद्योगों को सहायता अब केवल तभी दी जाएगी जब वे राज्य के युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराएँ। उनका मानना है कि रोजगार ही वास्तविक विकास है, इसलिए उद्योग नीति निवेश के साथ–साथ अवसर सृजन पर आधारित की जा रही है।

भोपाल की सांस्कृतिक पहचान का विस्तार

उन्होंने राजधानी भोपाल की सुंदरता और विरासत पर चर्चा करते हुए कहा कि प्राकृतिक संपदा और ऐतिहासिक धरोहर को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। भोपाल में राजा भोज, विक्रमादित्य, भगवान राम तथा भगवान कृष्ण से जुड़े द्वार और मार्ग निर्मित किए जा रहे हैं ताकि शहर की पहचान सांस्कृतिक रूप से और समृद्ध हो सके।

कपास उद्योग के पुनरुद्धार की पहल

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के तेरह जनजाति जिलों में बड़े पैमाने पर कपास उत्पादन होता है, लेकिन पूर्व की सरकारों ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया। वर्तमान शासन ने स्थानीय स्तर पर कपास प्रसंस्करण की दिशा में कदम उठाए हैं, जिससे किसानों, युवाओं और लघु उद्योगों को रोजगार और सम्मानजनक आय के नये अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

संघ के शताब्दी वर्ष पर विशेष सम्मान

कार्यक्रम के अंत में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने मुख्यमंत्री को संघ के शताब्दी वर्ष पर प्रकाशित विशेषांक तथा स्मृति–चिह्न स्वरूप शंख भेंट किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के सह–कार्यवाह हेमन्त मुक्तिबोध तथा मध्य भारत प्रांत के प्रांत संघचालक अशोक पाण्डेय भी मौजूद रहे।

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