मनी लॉन्ड्रिंग जांच में रियल एस्टेट सेक्टर की बड़ी गिरफ़्तारी

नई दिल्ली, 13 नवंबर। रियल एस्टेट क्षेत्र के एक बड़े नाम जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) मनोज गौड़ को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले की जांच के तहत गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला उन हजारों घर खरीदारों की शिकायतों से जुड़ा है, जो लंबे समय से फ्लैट न मिलने, परियोजनाओं के अधूरे रहने और धोखाधड़ी के आरोपों से परेशान रहे हैं। ईडी की यह कार्रवाई उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो पिछले कई वर्षों से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं।

घर खरीदारों से धोखाधड़ी का आरोप, पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी

ईडी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मनोज गौड़ को घर खरीदारों के साथ कथित धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है। एजेंसी का आरोप है कि कंपनी ने घर खरीदारों से करोड़ों रुपये की भारी-भरकम रकम तो वसूल ली, लेकिन निर्धारित समयसीमा में परियोजनाएं पूरी नहीं कीं।
इसके अलावा, कई मामलों में परियोजनाओं का पैसा अन्य उपयोगों में लगाया गया, जिससे खरीदारों को भारी नुकसान हुआ।

मई 2024 की छापेमारी में मिले अहम सबूत

ईडी ने इस साल मई में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और उनकी संबद्ध कंपनियों के 15 ठिकानों पर व्यापक छापेमारी की थी। इस दौरान 1.7 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई थी। छापेमारी में एजेंसी को मिले दस्तावेजों में शामिल थे—

प्रमोटरों और उनके परिजनों के नाम पर दर्ज संपत्ति से जुड़े दस्तावेज

बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन-देन के रिकॉर्ड

डिजिटल डेटा, जिसमें बैंक ट्रांजैक्शन, निवेश और रियल एस्टेट परियोजनाओं की जानकारी शामिल

ईडी का कहना है कि इन दस्तावेजों से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि खरीदारों से जुटाई गई भारी रकम को मनोज गौड़ और उनकी कंपनियों ने अन्य परियोजनाओं, कर्ज चुकाने और व्यक्तिगत संपत्तियों के विस्तार में लगाया।

सैकड़ों घर खरीदारों के सपनों पर लगा विराम, अब एजेंसी की नजर करोड़ों की संपत्ति पर

जेपी इंफ्राटेक कई वर्षों से गृह खरीदारों की शिकायतों को लेकर विवादों में रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में कंपनी की आवासीय परियोजनाएं लंबे समय तक अधर में लटकी रहीं, जिससे हजारों खरीदारों का पैसा फंसा रहा।

ईडी इन परियोजनाओं में लगाए गए पैसों की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश में है कि खरीदारों के पैसे को किन खातों और किन संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया। एजेंसी यह भी जांच कर रही है कि समूह की कंपनियों के नाम पर जो संपत्तियाँ मिली हैं, उनका फंड किस स्रोत से आया।

कानूनी पेंचों में फंसी कंपनी, दिवाला प्रक्रिया में भी फंस चुकी है

जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड पहले ही दिवालिया प्रक्रिया (इंसॉल्वेंसी) के दौर से गुजर चुकी है। कई कंपनियों ने इसे खरीदने और पुनर्जीवित करने का प्रयास किया, लेकिन घर खरीदारों को अभी भी संतोषजनक समाधान नहीं मिला है।
अब ईडी की इस कार्रवाई के बाद कंपनी और उसके अधिकारियों की कानूनी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ईडी यह साबित करने में सफल होती है कि खरीदारों के धन का दुरुपयोग हुआ, तो कंपनी की संपत्तियाँ कुर्क हो सकती हैं और बड़े स्तर पर कानूनी कार्रवाई संभव है। यह कदम घर खरीदारों को न्याय की दिशा में आगे बढ़ा सकता है।

डिजिटल डेटा, वित्तीय दस्तावेज और जमीन सौदों की गहन जांच जारी

छापेमारी के दौरान मिले डिजिटल डेटा और भूमि सौदों से जुड़ी फाइलों की गहन जांच जारी है। ईडी ने कई वित्तीय सलाहकारों, रियल एस्टेट एजेंटों और कंपनी से जुड़े कर्मचारियों से पूछताछ की है।
एजेंसी की जांच का मुख्य फोकस है—

खरीदारों से जुटाई गई रकम

रकम के उपयोग के वास्तविक दस्तावेज

और रकम को अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट करने की प्रक्रिया

ईडी सूचनाओं के आधार पर आगे और गिरफ्तारी या संपत्ति कुर्की की तैयारी भी कर सकती है।

घटित घटनाक्रम ने रियल एस्टेट उद्योग को झकझोरा

कोर्ट केसों, देरी से चल रही परियोजनाओं और खरीदारों की बढ़ती नाराजगी के बीच इस कार्रवाई ने पूरे रियल एस्टेट उद्योग को झकझोर दिया है। विशेषज्ञ इसे भविष्य के लिए एक बड़ा संदेश मान रहे हैं कि घर खरीदारों के पैसे की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि कोई कंपनी खरीदारों के पैसे का गलत इस्तेमाल करती है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होना तय है।

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