कांग्रेस मुख्यालय के बाहर बैनर-पोस्टर के साथ जुटे कार्यकर्ता, जी परमेश्वर को मुख्यमंत्री बनाने की उठी आवाज

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। राजधानी दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की अहम बैठक शुरू हुई, लेकिन बैठक के साथ ही बाहर सियासी हलचल भी तेज देखने को मिली। कर्नाटक से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए राज्य में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाई। प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग करते हुए पार्टी नेतृत्व से इस दिशा में ठोस फैसला लेने की अपील की।

कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पहुंचे करीब एक दर्जन कार्यकर्ता अपने हाथों में बैनर और पोस्टर लिए नजर आए। इन पोस्टरों पर साफ तौर पर दलित मुख्यमंत्री बनाने की मांग लिखी हुई थी। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना था कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने में दलित समाज की अहम भूमिका रही है, ऐसे में अब नेतृत्व की जिम्मेदारी भी दलित चेहरे को दी जानी चाहिए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि जी परमेश्वर लंबे समय से पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे हैं और प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ सामाजिक संतुलन बनाने की क्षमता भी रखते हैं।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा सामाजिक न्याय और समानता की बात करती रही है, ऐसे में यदि पार्टी वास्तव में अपने सिद्धांतों पर अमल करना चाहती है तो कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री बनाकर एक मजबूत संदेश देना चाहिए। उनका कहना था कि इससे न केवल दलित समाज का विश्वास और मजबूत होगा, बल्कि पार्टी की विचारधारा को भी जमीन पर उतारने का अवसर मिलेगा।

इधर, कांग्रेस मुख्यालय के भीतर चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को पार्टी के भविष्य और आगामी रणनीतियों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं। इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी बैठक में भाग ले रहे हैं।

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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस वर्किंग कमेटी की इस बैठक में आगामी लोकसभा सत्र, राज्यों में संगठनात्मक स्थिति, चुनावी तैयारियों और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर व्यापक चर्चा की जा रही है। ऐसे समय में कर्नाटक से आए कार्यकर्ताओं का यह प्रदर्शन पार्टी नेतृत्व के लिए एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर दलित नेतृत्व को लेकर अपेक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर कर्नाटक नेतृत्व को लेकर पहले से ही चर्चाएं चलती रही हैं और इस प्रदर्शन ने उन चर्चाओं को एक बार फिर सार्वजनिक मंच पर ला दिया है। हालांकि पार्टी नेतृत्व की ओर से इस प्रदर्शन को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के लिए सामाजिक संतुलन और नेतृत्व का सवाल आने वाले समय में और अहम होने वाला है।

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