भारतीय बल्लेबाज़ी बिखरी, दक्षिण अफ्रीकी स्पिन और अनुशासित गेंदबाज़ी बनी निर्णायक
भारत को कोलकाता के ईडन गार्डन्स मैदान में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट मुकाबले में 30 रन से हार का सामना करना पड़ा। यह हार कई मायनों में अहम है, क्योंकि भारत को घरेलू मैदान पर 15 वर्ष बाद दक्षिण अफ्रीका से पराजय मिली। इससे पहले वर्ष 2010 में नागपुर में कप्तान ग्रीम स्मिथ की अगुवाई वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम ने भारत को हराया था। इस मुकाबले में जीत का लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं था, लेकिन दबाव, गलत शॉट चयन और लगातार गिरते विकेटों ने भारत को जीत से दूर कर दिया।
मैच में भारत को दूसरी पारी में 124 रन का लक्ष्य प्राप्त करना था, लेकिन पूरी टीम 9 विकेट पर मात्र 93 रन ही बना सकी। कप्तान शुभमन गिल गर्दन में ऐंठन की समस्या के कारण बल्लेबाज़ी करने मैदान पर नहीं आए, जिससे बल्लेबाज़ी क्रम पर दबाव और बढ़ गया। वॉशिंगटन सुंदर ने संघर्षपूर्ण 31 रन बनाए जो किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर रहा। इससे स्पष्ट हुआ कि भारतीय बल्लेबाज़ी पूरी तरह असफल रही।
दक्षिण अफ्रीका की तरफ से स्पिन गेंदबाज़ साइमन हार्मर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पूरे मैच में आठ विकेट हासिल किए। उनकी सटीक लाइन और लंबाई, साथ ही परिस्थिति को समझते हुए गेंदबाज़ी करना, भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। उन्हें उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मैच का श्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया। वहीं दक्षिण अफ्रीका की तरफ से कप्तान टेम्बा बावुमा ने दूसरी पारी में 55 रन की नाबाद अर्धशतकीय पारी खेलकर अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुँचाया। पूरे मुकाबले में वे अकेले बल्लेबाज़ रहे जिन्होंने अर्धशतक लगाया।
मैच का घटनाक्रम और दोनों टीमों का प्रदर्शन
टॉस दक्षिण अफ्रीका ने जीता और पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया। पहली पारी में पूरी टीम मात्र 159 रन पर सिमट गई। भारतीय गेंदबाज़ों ने शुरुआती झटके देकर मेहमान टीम पर दबाव बनाया, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज़ों ने छोटी-छोटी साझेदारियाँ कर सम्मानजनक स्कोर तक पहुँचने की कोशिश की। इसके बाद भारत ने अपनी पहली पारी में 189 रन बनाए और 30 रन की बढ़त हासिल की। हालांकि, भारतीय टीम बड़े स्कोर की दिशा में आगे बढ़ने में असफल रही और महत्वपूर्ण मौकों पर विकेट गंवाकर बढ़त को मजबूत बनाने का मौका गंवा दिया।
दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका 153 रन पर आलआउट हो गई। इस प्रकार भारत के सामने जीत के लिए 124 रन का लक्ष्य था, जो टेस्ट क्रिकेट के लिहाज़ से मुश्किल नहीं माना जाता, लेकिन पिच का व्यवहार बदलना और स्पिन गेंदबाज़ों का प्रभावी होना भारतीय टीम पर भारी पड़ा।
भारत की हार के प्रमुख कारण
भारतीय टीम की हार का सबसे बड़ा कारण दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी क्रम का पूरी तरह ढह जाना रहा। शुरुआत से ही टीम दबाव में दिखी। पहले विकेट के रूप में यशस्वी जायसवाल बिना खाता खोले लौट गए, जिससे टीम को झटका लगा। इसके बाद के एल राहुल भी केवल 1 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। लगातार गिरते विकेटों ने भारतीय बल्लेबाज़ों का आत्मविश्वास गिराया और टीम संभल नहीं सकी। वॉशिंगटन सुंदर और ध्रुव जुरेल के बीच 32 रन की साझेदारी जरूर हुई, लेकिन हार्मर ने जुरेल को आउट कर यह साझेदारी भी तोड़ दी।
टीम का मध्यक्रम दक्षिण अफ्रीका के स्पिन और अनुशासित गेंदबाज़ी के सामने बेबस नज़र आया। सटीक लाइन पर गेंदबाज़ी करते हुए हार्मर ने भारत के मुख्य बल्लेबाज़ों को दबाव में लाकर विकेट चटकाए। दूसरी ओर भारतीय बल्लेबाज़ों ने विकेट पर अधिक समय बिताने, हालात को समझने और टिककर खेलने के बजाय जल्दबाजी में शॉट खेले, जिसका नुकसान अंत में दिखा।
आगे की चुनौतियाँ और टीम के लिए सीख
इस हार के बाद भारतीय टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती बल्लेबाज़ी क्रम की मजबूती और विपरीत परिस्थितियों में संयमित खेल की आवश्यकता पर ध्यान देना है। कप्तान शुभमन गिल का चोट के कारण अंतिम समय में बाहर रहना भी टीम के लिए बड़ा झटका साबित हुआ, लेकिन बाकी बल्लेबाज़ों को इस चुनौती का सामना करना ही था। घरेलू मैदान पर इस प्रकार की हार चयन, मानसिक तैयारी और तकनीकी कमियों की ओर संकेत करती है।
वर्तमान समय में टेस्ट क्रिकेट मानसिक धैर्य और तकनीकी क्षमता की परीक्षा लेता है। भारत के पास बेहतरीन गेंदबाज़ी आक्रमण है, लेकिन बल्लेबाज़ी में स्थिरता लाने की आवश्यकता है। साथ ही घरेलू मैदान पर स्पिन के सामने संघर्ष करना बड़ा सवाल खड़ा करता है। टीम प्रबंधन को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा।
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