एफईआई एशियन इक्वेस्ट्रियन चैंपियनशिप 2025
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एफईआई एशियन इक्वेस्ट्रियन चैंपियनशिप 2025 में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय घुड़सवारी टीम को सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह शुक्रवार को नई दिल्ली में हुआ। इस प्रतियोगिता का आयोजन थाईलैंड के पटाया शहर में हुआ था। इस टूर्नामेंट में भारत की छह सदस्यीय टीम ने कुल 5 पदक जीतकर इतिहास बना दिया। भारतीय टीम ने टीम और व्यक्तिगत दोनों तरह की प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
भारतीय खिलाड़ी आशीष लिमये ने इवेंटिंग स्पर्धा में कमाल कर दिया। उन्होंने व्यक्तिगत मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता और टीम इवेंट में रजत पदक हासिल किया। इसके अलावा, ड्रेसाज स्पर्धा में श्रुति बोरा ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कुल तीन रजत पदक जीते दो व्यक्तिगत और एक टीम इवेंट में। टीम में बाकी खिलाड़ी थे इवेंटिंग में शशांक सिंह कटारिया और शशांक कनमुड़ी, और ड्रेसाज में दिव्याकृति सिंह और गौरव पुंडीर।
एथलीटों को सम्मानित करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत अब उन खेलों में भी सफलता पा रहा है, जिनमें पहले हमारी अंतरराष्ट्रीय पहचान बहुत कम थी। उन्होंने कहा कि यह पहले वाला भारत नहीं है, बल्कि पिछले दस सालों में हमारा खेल जगत काफी आगे बढ़ा है। सरकार का लक्ष्य है कि खिलाड़ी और उनके पदकों के बीच आने वाली हर रुकावट को दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार भारत में घुड़सवारी (इक्वेस्ट्रियन) के लिए एक मजबूत स्पोर्ट्स सिस्टम बनाएगी, ताकि खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए विदेश न जाना पड़े।
डॉ. मांडविया ने यह भी घोषणा की कि सरकार अगले एक साल के अंदर देश में एक क्वारंटाइन सेंटर बनाएगी। यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोड़ों की आवाजाही में आने वाली समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर देगा। अभी घोड़ों को विदेश ले जाने और वापस लाने में काफी दिक्कत होती है, जिससे खिलाड़ियों की तैयारी पर असर पड़ता है। यह नयी सुविधा खिलाड़ियों को बहुत मदद देगी।
तीन रजत पदक जीतने वाली श्रुति बोरा ने भी मंत्री की तारीफ की। उन्होंने कहा कि जैसे ही टीम ने अपनी समस्याएँ साझा कीं, मंत्री ने तुरंत एक्शन लिया और “इक्वाइन डिज़ीज़-फ्री ज़ोन” बनाने के निर्देश दे दिए। श्रुति बोरा ने बताया कि मंत्री ने उनसे कहा कि केवल कुछ खिलाड़ियों को विदेश भेजना समाधान नहीं है। हमें पूरा सिस्टम यहीं भारत में तैयार करना होगा। जब यह सिस्टम बन जाएगा, तो भारत के खिलाड़ी यहीं ट्रेनिंग कर सकेंगे, यहीं क्वालिफाई कर सकेंगे और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में आसानी से हिस्सा ले सकेंगे।
इस ऐतिहासिक सफलता के बाद भारत में इक्वेस्ट्रियन खेल का भविष्य और भी उज्ज्वल माना जा रहा है। सरकार की ओर से मिल रही लगातार मदद और खिलाड़ियों की मेहनत मिलकर इस खेल को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती है।
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