दिल्ली में ऐतिहासिक वार्ता, ऊर्जा, व्यापार, रक्षा और मानवीय क्षेत्रों में सहयोग को नई दिशा

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दिल्ली में हुई उच्चस्तरीय मुलाकात भारत–रूस संबंधों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं के बीच विस्तृत वार्ता के बाद कई महत्वपूर्ण समझौतों का आदान-प्रदान हुआ, जो आने वाले वर्षों में दोनों देशों की साझेदारी को नई गति और मजबूती प्रदान करेंगे।

यह समझौते न केवल आर्थिक और ऊर्जा सहयोग को बढ़ाएंगे, बल्कि रक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, शिक्षा और मानव संसाधन जैसे व्यापक क्षेत्रों में भी नया ढांचा तैयार करेंगे। दोनों नेताओं ने हस्ताक्षरित समझौतों को अपनी-अपनी साझेदारी के “नए अध्याय” के रूप में वर्णित किया।


आर्थिक और ऊर्जा सहयोग को नई मजबूती

बैठक के दौरान रूस ने भारत को निरंतर और बाधारहित ऊर्जा आपूर्ति का भरोसा दिया। पुतिन ने कहा कि रूस भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को ध्यान में रखते हुए सप्लाई चेन को और सुदृढ़ बनाएगा।
भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की रूपरेखा भी तय की।

समझौतों में शामिल प्रमुख बिंदु:

  • तेल और गैस आपूर्ति में स्थिरता

  • संयुक्त निवेश बढ़ाना

  • लॉजिस्टिक्स, शिपिंग और बंदरगाह विकास में सहयोग

  • व्यापारिक बाधाओं को कम करने का निर्णय


रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में गहरा सहयोग

भारत–रूस की पारंपरिक रक्षा साझेदारी इस बैठक का प्रमुख स्तंभ रही।
दोनों देशों ने नई रक्षा तकनीकों, संयुक्त उत्पादन, अनुसंधान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सुरक्षा उपकरणों पर सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

पुतिन ने स्पष्ट कहा कि रूस भविष्य में भी भारत को सबसे विश्वसनीय रक्षा साझेदार की तरह समर्थन देता रहेगा।

मोदी–पुतिन बैठक
मोदी–पुतिन बैठक Photograph: (X)


स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा क्षेत्र पर विशेष फोकस

बैठक में स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया।
समझौतों में शामिल हैं:

  • मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान में संयुक्त कार्यक्रम

  • खाद्य सुरक्षा से जुड़े मानकों पर सहयोग

  • महामारी और स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने में संयुक्त कार्यप्रणाली

  • युवा आदान-प्रदान और शिक्षा सहयोग

रूस ने भारत को उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और मेडिकल प्रशिक्षण में विशेष अवसर देने की घोषणा भी की।


श्रम, माइग्रेशन और मानव संसाधन सहयोग

एक महत्वपूर्ण समझौता मनुष्यों के आवागमन और श्रमिकों की आवाजाही से जुड़ा रहा। भारत और रूस दोनों ने प्रवासन प्रक्रियाओं को सुगम बनाने, वर्क परमिट व्यवस्था में सुधार और विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कौशल आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।


वैश्विक शांति और संतुलन पर जोर

दोनों नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और रूस की साझेदारी किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शांति, संतुलन और स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक साझा प्रयास है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया आज कई भू-राजनीतिक चुनौतियों से गुजर रही है, ऐसे में भारत–रूस जैसी पुरानी और भरोसेमंद दोस्ती वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

पुतिन ने भी भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना की और कहा कि भारत दुनिया में स्थिरता का स्तंभ बन चुका है।


भारत–रूस समझौतों का महत्व

  • रणनीतिक सहयोग में बढ़ोतरी

  • दोनों देशों के बीच व्यापार और ऊर्जा साझेदारी का विस्तार

  • तकनीकी और नवाचार क्षेत्रों में नई संभावनाएँ

  • रक्षा संबंधों को और मजबूत आधार

  • वैश्विक परिदृश्य में संतुलन बनाने में भारत–रूस की भूमिका और प्रभाव बढ़ेगा

भारतीय और रूसी प्रतिनिधिमंडल का मानना है कि ये समझौते आने वाले वर्षों में भारत–रूस संबंधों को एक नई मजबूती और स्थिरता प्रदान करेंगे।

दोनों नेताओं की यह मुलाकात सिर्फ औपचारिकता नहीं रही—यह दो ऐतिहासिक साझेदारों की आगे की यात्रा का एक निर्णायक और दूरदर्शी कदम साबित हुई।

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