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April 26, 2025 3:30 PM

शिवपुरी में वायुसेना के ड्रॉप टैंक गिरने से मकान क्षतिग्रस्त, वायुसेना ने जताया खेद

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शिवपुरी/नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में शुक्रवार को भारतीय वायुसेना के एक लड़ाकू विमान से गलती से गिरे ड्रॉप टैंक (Drop Tank) की वजह से एक आम नागरिक के मकान को गंभीर नुकसान पहुंचा। हादसा शिवपुरी की पिछोर तहसील के ठाकुर बाबा कॉलोनी में हुआ, जहां मनोज सागर नामक व्यक्ति के घर की छत पर यह टैंक गिरा। इस घटना में हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन घर के दो कमरे पूरी तरह से तबाह हो गए और पास खड़ी एक कार को भी नुकसान पहुंचा।

क्या है ड्रॉप टैंक?
ड्रॉप टैंक एक प्रकार का अतिरिक्त ईंधन टैंक होता है जिसे जरूरत पड़ने पर लड़ाकू विमान से अलग किया जा सकता है। इस मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि ड्रॉप टैंक “गैर-विस्फोटक” था, लेकिन इसका वजन और गिरने की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मकान को भारी क्षति पहुंची।

परिवार बाल-बाल बचा
जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय मनोज सागर अपने बच्चों के साथ घर के भीतर भोजन कर रहे थे और उनकी पत्नी रसोई में थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक तेज धमाके के साथ मकान की छत टूटी और आंगन में लगभग 8 से 10 फीट गहरा गड्ढा बन गया। मलबा गिरने से परिवार स्तब्ध रह गया, लेकिन सौभाग्यवश किसी को शारीरिक चोट नहीं आई।

वायुसेना ने जताया खेद, जांच शुरू
भारतीय वायुसेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर आधिकारिक बयान जारी कर खेद जताया है। वायुसेना ने पुष्टि की कि उनके एक विमान से “नॉन-एक्सप्लोसिव एयर स्टोर” यानी गैर-विस्फोटक सामग्री अनजाने में गिर गई, जिससे संपत्ति को नुकसान हुआ। फिलहाल घटना की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।

पुलिस व प्रशासन ने संभाली स्थिति
शिवपुरी के पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौर ने जानकारी दी कि सुबह करीब 11 बजे यह घटना हुई, जिसकी सूचना तत्काल ग्वालियर एयरबेस को दी गई। वहां से वायुसेना की टीम मौके पर पहुंच गई है और जांच में जुटी है कि गिरा हुआ टैंक किस प्रकार का था और कैसे गिरा।

मुआवजे की संभावना, फैसला कलेक्टर पर
घटना के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता देने की बात कही गई है। पुलिस अधीक्षक राठौर ने बताया कि इस प्रकार की घटनाओं में आमतौर पर मुआवजा दिया जाता है, लेकिन इसका निर्णय जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। परिवार को नुकसान की भरपाई को लेकर औपचारिक प्रक्रिया जल्द शुरू की जा सकती है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आबादी वाले क्षेत्रों में वायुसेना के उड़ानों को लेकर सुरक्षा मानकों की समीक्षा कितनी ज़रूरी है।


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