भगवान गणेश की पूजा से मिलते हैं विघ्नों से मुक्ति, ज्ञान–बुद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद
हिंदू पंचांग में चतुर्थी तिथि सदैव भगवान श्रीगणेश की उपासना के लिए शुभ मानी गई है, किंतु मार्गशीर्ष मास में आने वाली विनायक चतुर्थी का महत्व अन्य सभी चतुर्थियों से अधिक बताया गया है। यह तिथि देवताओं की प्रिय मानी जाती है और शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन की गई पूजा से साधक की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। इस वर्ष विनायक चतुर्थी 24 नवंबर को मनाई जाएगी।
गणेश पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण जैसे प्रमुख धर्मग्रंथों में मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी को सर्व सिद्धिप्रद तिथि कहा गया है। मान्यता है कि इस दिन श्रीगणेश की आराधना करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और साधक को ज्ञान, विवेक तथा सौभाग्य का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। नए कार्य की शुरुआत, शिक्षा, करियर और व्यवसाय में सफलता के लिए इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है।
विनायक चतुर्थी का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि मार्गशीर्ष मास स्वयं देवताओं को प्रिय होता है, इसलिए इस मास में की गई उपासना का फल सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक प्राप्त होता है। विनायक चतुर्थी पर विशेष रूप से:
नए कार्यों के आरंभ में सफलता,
शिक्षा और करियर में प्रगति,
परिवार में शांति,
तथा रुकावटों और विघ्नों का नाश
मिलने की मान्यता है।
गणेश पुराण के अनुसार, यदि इस तिथि पर श्रद्धा और नियमपूर्वक गणेश जी की पूजा की जाए, तो साधक की साधन–सिद्धि और मनोकामना की पूर्ति सुनिश्चित होती है।
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विनायक चतुर्थी की विधिविधान सहित पूजा पद्धति
इस पवित्र तिथि पर पूजा की शुरुआत घर के मंदिर या किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर की जाती है। पूजन विधि इस प्रकार है—
पूजन स्थान की तैयारी
लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर श्रीगणेश की प्रतिमा या स्वच्छ तस्वीर स्थापित की जाती है।
संकल्प
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठकर व्रत का संकल्प लिया जाता है। संकल्प में भगवान गणेश से परिवार की सुख–समृद्धि, ज्ञान–वृद्धि और विघ्नों के नाश की प्रार्थना की जाती है।
अभिषेक और श्रृंगार
भगवान गणेश पर गंगाजल छिड़ककर जलाभिषेक किया जाता है। तत्पश्चात चंदन, रोली, अक्षत, दुर्वा, लाल पुष्प और सुगंधित धूप–दीप अर्पित किए जाते हैं।
गणेश जी के प्रिय नैवेद्य
धार्मिक मान्यता है कि श्रीगणेश दूर्वा, मोदक और गुड़–तिल से बने लड्डू अत्यंत प्रिय मानते हैं। इसलिए इनका भोग अवश्य लगाया जाता है।
मंत्र जाप और स्तुति
पूजा के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, या फिर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जप अत्यंत शुभ माना गया है।
यह मंत्र साधक की एकाग्रता बढ़ाता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
व्रत का पालन
व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिनभर सात्त्विक आचरण का पालन करना चाहिए। फलाहार किया जा सकता है या एक समय भोजन का नियम भी रखा जा सकता है।
शाम को पुनः दीप प्रज्वलित कर भगवान गणेश की आरती की जाती है, जिससे पूजा पूर्ण होती है।
आस्था और परंपरा का पर्व
मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी केवल पूजा–विधि का दिन नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, विश्वास और आत्मबल का प्रतीक माना जाता है। पूरे भारत में इस अवसर पर भक्त गणेश जी की आराधना करते हैं और अपने जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और सौभाग्य की कामना करते हैं।
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