USCC की 800 पन्नों की रिपोर्ट में पहलगाम घटना को ‘विद्रोही हमला’ बताया, राफेल विमानों को लेकर भी विवादित निष्कर्ष

भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को लेकर अमेरिकी संस्था यूएस–चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन (USCC) की नई रिपोर्ट ने एक बड़ी राजनीतिक और सामरिक बहस को जन्म दे दिया है। 800 पन्नों की इस विस्तृत रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई 2025 में दोनों देशों के बीच हुई 4 दिन की झड़प—जिसे पाकिस्तान अपनी ओर से “ऑपरेशन सिंदूर” कहता है—में पाकिस्तान को “महत्वपूर्ण सैन्य बढ़त” मिली थी।

रिपोर्ट के सामने आने के बाद पाकिस्तान ने इसे अपनी “जीत का प्रमाण” बताने की कोशिश की है, जबकि भारत में इसे लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने रिपोर्ट को “जीत की पुष्टि” बताया

रिपोर्ट जारी होते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे अपने देश की सैन्य सफलता की औपचारिक मुहर बताते हुए कहा कि अमेरिकी संसद में पेश की गई यह रिपोर्ट “पाकिस्तानी सेना के उत्कृष्ट प्रदर्शन का प्रमाण” है।
पाकिस्तानी अख़बार डॉन के अनुसार, शरीफ ने कहा:

“पाकिस्तानी सेना के बेहतरीन प्रदर्शन ने दुश्मन को घुटनों पर ला दिया। इस सफलता में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की रणनीतिक भूमिका निर्णायक रही।”

पाकिस्तान ने इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने सैन्य प्रतिष्ठान की उपलब्धि के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है।

रिपोर्ट में पहलगाम हमले को ‘आतंकी हमला’ नहीं माना गया

रिपोर्ट का सबसे विवादित हिस्सा वह है, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले को “आतंकी हमला” न मानकर ‘विद्रोही हमला’ (Rebel Attack) कहा गया है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे स्पष्ट रूप से लश्कर–ए–तैयबा से जुड़ा आतंकी हमला बताया था। लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट की इस शब्दावली ने भारत में आक्रोश पैदा कर दिया है।

कांग्रेस ने सरकार से सवाल पूछा—क्या पीएम विरोध दर्ज कराएंगे?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की कूटनीति के लिए एक “गंभीर झटका” है। उन्होंने पूछा:

“क्या प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय इस रिपोर्ट पर आधिकारिक आपत्ति दर्ज कराएंगे? भारत की विदेश नीति बार–बार ऐसे झटके क्यों झेल रही है?”

कांग्रेस का आरोप है कि भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक मंचों पर प्रभावी तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पा रहा।

राफेल विमानों पर रिपोर्ट के दावे

USCC रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने इस झड़प में कम से कम छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया, जिनमें राफेल जेट भी शामिल हैं।
हालांकि रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि स्वतंत्र जांच में सिर्फ तीन भारतीय विमानों के गिराए जाने की पुष्टि होती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी प्रचार के कारण राफेल विमानों की छवि पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक असर पड़ा। हालांकि भारत ने इन दावों को पहले ही “प्रचार युद्ध” का हिस्सा बताया था।

चीन की भूमिका पर भी बड़ा दावा

USCC ने कहा है कि पाकिस्तान ने इस युद्ध का इस्तेमाल चीन के आधुनिक हथियारों की “अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन–योजना” के रूप में किया। रिपोर्ट के अनुसार:

पाकिस्तान ने चीन की HQ–9 एयर डिफेंस सिस्टम,

PL–15 मिसाइलें,

और J–10 लड़ाकू विमान

का उपयोग किया।

रिपोर्ट यह भी कहती है कि पाकिस्तान को चीन से खुफिया इंटेलिजेंस मिली थी।
भारत का यह पुराना दावा है कि चीन पाकिस्तान की सैन्य सहायता के लिए सक्रिय है, लेकिन पाकिस्तान इन दावों से इंकार करता है।
चीन ने भी इस मामले में कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की है।

USCC के अनुसार 2019–2023 के बीच पाकिस्तान के 82% हथियार चीन से आए, जो दोनों देशों की गहरी सामरिक निर्भरता को दर्शाता है।

चीन के हथियारों का ‘विज्ञापन युद्ध’

लड़ाई के बाद दुनिया भर में चीनी दूतावासों ने सार्वजनिक तौर पर अपने हथियारों की तारीफ की और कहा कि पाकिस्तान ने “हमारे हथियारों की मदद से भारतीय विमानों को मार गिराया।”
इन दावों के तुरंत बाद चीन ने इंडोनेशिया को लगभग 75 हजार करोड़ रुपये की डील में 42 J–10C जेट बेचने की घोषणा की।

रिपोर्ट के अनुसार यह चीन की विदेश नीति का नया मॉडल है
“लाइव युद्ध से हथियारों की बिक्री बढ़ाना।”

USCC क्या है और उसकी रिपोर्टें कितनी प्रभावी होती हैं?

USCC (यूएस–चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन) अमेरिकी कांग्रेस के अंतर्गत एक विश्लेषणात्मक निकाय है।

इसका काम:

चीन की आर्थिक और सैन्य गतिविधियों की निगरानी

अमेरिका की सुरक्षा के लिए संभावित जोखिमों का आकलन

और कांग्रेस को वार्षिक रिपोर्ट देना

है।

यह संस्था खुद कोई कार्रवाई नहीं करती, बल्कि अपनी सिफारिशें अमेरिकी संसद को सौंपती है।
रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कम से कम 8 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है।

रिपोर्ट पर भारतीय प्रतिक्रिया क्या होगी?

भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि:

पहलगाम हमले को ‘आतंकवाद’ की श्रेणी से हटाना गंभीर मुद्दा है,

पाकिस्तान की कथित “सैन्य सफलता” का उल्लेख एकतरफा है,

और चीन की भूमिका पर आधारित विश्लेषण अमेरिकी–चीन प्रतिस्पर्धा की राजनीतिक पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए।

यह रिपोर्ट अगले कुछ दिनों तक भारत–अमेरिका–पाकिस्तान–चीन के रणनीतिक समीकरणों पर चर्चा का विषय बनी रह सकती है।

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