दिल्ली, आगरा और एनसीआर से मजबूत कनेक्टिविटी ने बढ़ाया निवेशकों का भरोसा

चन्द्र किशोर शर्मा/लखनऊ, 30 दिसंबर।
उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा में यमुना एक्सप्रेस-वे अब केवल एक सड़क परियोजना नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीति और निर्णायक नेतृत्व का सशक्त प्रतीक बनकर उभरा है। जिस मार्ग को कभी केवल दिल्ली और आगरा को जोड़ने वाले कॉरिडोर के रूप में देखा जाता था, वही आज प्रदेश के औद्योगिक पुनर्जागरण की रीढ़ के रूप में पहचाना जा रहा है। योगी सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे को महज यातायात सुविधा तक सीमित न रखते हुए इसे निवेश, रोजगार और नियोजित शहरीकरण के सबसे बड़े इंजन के रूप में विकसित किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर आधारित विकास का ऐसा मॉडल अपनाया है, जिसने प्रदेश की छवि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी है। एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक क्लस्टर, आधुनिक शहरी केंद्र और लॉजिस्टिक्स हब का तेज़ी से विकास इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियां अब केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि जमीन पर ठोस परिणाम देने वाली साबित हो रही हैं। यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र आज उस नए उत्तर प्रदेश की पहचान बन रहा है, जहां निवेशकों को भरोसा, युवाओं को रोजगार और प्रदेश को आर्थिक मजबूती मिल रही है।

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प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन दीपक मैनी का मानना है कि यमुना एक्सप्रेस-वे के आसपास विकसित हो रही परियोजनाएं उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का काम कर रही हैं। उनके अनुसार, यह क्षेत्र प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के माध्यम से सरकार ने नियोजित विकास का ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया है, जो उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय और वैश्विक निवेश मानचित्र पर मजबूती के साथ स्थापित करेगा। 3000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला यह औद्योगिक विकास क्षेत्र दो चरणों में विकसित किया जा रहा है। इसमें औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक और मिश्रित भूमि उपयोग की स्पष्ट योजना बनाई गई है, जिससे अनियोजित शहरीकरण पर प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा शुरू से स्पष्ट रही है कि विकास केवल बड़े शहरों तक सीमित न रहे, बल्कि उसका लाभ आसपास के जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंचे। यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे विकसित हो रहा औद्योगिक क्लस्टर इसी सोच का प्रत्यक्ष परिणाम है। बेहतर सड़क नेटवर्क, निर्बाध बिजली आपूर्ति, जल निकासी और अन्य आधारभूत सुविधाओं के साथ यह क्षेत्र निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है।

दिल्ली, आगरा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से मजबूत कनेक्टिविटी ने यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र को लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग के लिए आदर्श बना दिया है। इसके साथ ही जेवर में बन रहा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस पूरे क्षेत्र को वैश्विक पहचान देने जा रहा है। योगी सरकार ने एयरपोर्ट को केंद्र में रखकर औद्योगिक शहरों, लॉजिस्टिक्स हब और रोजगार केंद्रों की एक पूरी श्रृंखला विकसित करने की योजना तैयार की है, जिससे प्रदेश के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में कई बड़ी और रणनीतिक परियोजनाएं आकार ले रही हैं। जेवर के पास एचसीएल फॉक्सकॉन की ओसैट यूनिट स्थापित की जा रही है, जिसका भूमि पूजन जनवरी 2026 में संभावित बताया जा रहा है। इसके साथ ही एक हजार एकड़ में सेमीकंडक्टर और ईएमसी पार्क विकसित किया जा रहा है, जो भारत के हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग मिशन को मजबूती देगा। मेडिकल डिवाइस पार्क और डेटा सेंटर पार्क का विकास भी इसी क्षेत्र में किया जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को नया आयाम मिलेगा।

इसके अलावा विवो, एलजी और हावेल्स जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा यहां फैक्ट्रियों की स्थापना की जा चुकी है या प्रक्रिया में है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब की मंजूरी मिल चुकी है, जिससे सड़क, रेल और हवाई परिवहन का बेहतर समन्वय संभव होगा। एयरपोर्ट एक्सप्रेस-वे और आरआरटीएस के माध्यम से कनेक्टिविटी और मजबूत की जा रही है। वर्तमान में दो सौ से अधिक नई फैक्ट्रियां निर्माणाधीन हैं, जिनसे बड़े स्तर पर रोजगार सृजन की उम्मीद है। सेमीकंडक्टर पार्क, लॉजिस्टिक्स हब और हाई-टेक इंडस्ट्रियल जोन के रूप में विकसित हो रहा यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश की औद्योगिक पहचान को नई ऊंचाई देगा। जेवर एयरपोर्ट और औद्योगिक जोन के कारण रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में भी नए अवसर तेजी से उभर रहे हैं।

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