लोकसभा में 150 वर्ष की विशेष चर्चा राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप में बदली, कई दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं

लोकसभा में वंदेमातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को हुई विशेष चर्चा राजनीतिक टकराव का बड़ा मंच बन गई। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता की वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने और संसद का कीमती समय व्यर्थ बहस में लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि वंदेमातरम् कांग्रेस के लिए हमेशा पवित्र रहा है और पार्टी इसके महत्व को सम्मानपूर्वक स्वीकार करती है, लेकिन सरकार इसके नाम पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रही है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार का असली मकसद यह चर्चा नहीं, बल्कि इतिहास को नए सिरे से तोड़-मरोड़कर महान नेताओं पर आरोप लगाना और जल्द होने वाले बंगाल चुनावों में राजनीतिक लाभ लेना है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि “मोदीजी जितने समय प्रधानमंत्री रहे हैं, उतना समय नेहरूजी ने देश की आज़ादी के लिए जेल में बिताया था।”

उन्होंने सुझाव दिया कि सत्ता पक्ष अगर नेहरू पर सभी आरोप एक बार में संसद में चर्चा के लिए रख दे, तो उसके बाद सदन गरीबों, महिलाओं, महंगाई और बेरोज़गारी जैसे असली मुद्दों पर फोकस कर सकेगा।

‘वंदेमातरम् हमारी आत्मा का हिस्सा’ – प्रियंका गांधी

प्रियंका ने कहा कि वंदेमातरम् देश के कण-कण में बसता है और इस पर बहस करना संविधान निर्माताओं का अपमान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर स्वयं गीत की केवल दो पंक्तियों को अपनाए जाने के समर्थक थे और संविधान सभा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित किसी ने इसका विरोध नहीं किया था।

प्रियंका गांधी ने यह भी याद दिलाया कि वंदेमातरम् पहली बार 1896 में कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था और इसे अंग्रेजों के खिलाफ जनता को एकजुट करने वाले गीत के रूप में इतिहास में दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तथ्यों को नज़रअंदाज़ करके विवाद पैदा करते हैं।


वंदेमातरम् चर्चा में विपक्षी दलों की धारदार टिप्पणियाँ

अखिलेश यादव का हमला: बीजेपी उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी अपना बताना चाहती है जिनसे उसका कोई संबंध नहीं

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा इतिहास को अपने अनुसार गढ़ने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि वंदेमातरम् सिर्फ बोलने का नहीं, बल्कि इसके मूल्यों का पालन करने का विषय है। उन्होंने याद दिलाया कि अंग्रेज इस गीत से इतने घबराए थे कि कई इलाकों में इसे गाने पर देशद्रोह तक लगाया गया।

टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार: ‘बंकिम दा कहना नाटक… भाजपा के वैचारिक पूर्वज दया–याचिकाएं लिखते थे’

टीएमसी ने प्रधानमंत्री पर बंगाल की सांस्कृतिक विरासत का राजनीतिक उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वंदेमातरम् स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा था, और आज भाजपा उसी इतिहास को विकृत कर रही है।

द्रमुक सांसद ए. राजा: ‘गीत को धार्मिक विवाद में बदला गया’

राजा ने कहा कि वंदेमातरम् के कुछ अंशों में मूर्ति–पूजा के संदर्भ होने के कारण ऐतिहासिक विरोध हुआ था। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री आज किस तरह का विभाजन देख रहे हैं, जबकि गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि कहीं अधिक जटिल रही है।

जदयू, टीडीपी और लोजपा के नेता: वंदेमातरम् राष्ट्र की आत्मा

कई दलों के सांसदों ने वंदेमातरम् को मातृभूमि का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसे धर्म, जाति या राजनीति की सीमाओं में बाँधना गलत है।

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर: ‘वंदेमातरम् राष्ट्रभक्तों के लिए ऊर्जा, राष्ट्रविरोधियों के लिए एलर्जी’

भाजपा ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्रगीत का अपमान करने का आरोप लगाया। ठाकुर ने कहा कि नेहरू ने जिन्ना को खुश करने के लिए गीत का हिस्सा हटाया और इतिहास में कई बार कांग्रेस ने इसे तिरस्कृत किया।

शिवसेना (यूबीटी) और अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार पर आरोप लगाया

विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा सांस्कृतिक प्रतीकों और परंपराओं को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है और इससे समाज में अनावश्यक ध्रुवीकरण पैदा हो रहा है।


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