संथाली भाषा में संविधान के प्रकाशन पर पीएम मोदी की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के संविधान को संथाली भाषा में प्रकाशित किए जाने की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह कदम संविधान को आम लोगों तक पहुँचाने में बहुत मददगार होगा। जब संविधान लोगों की अपनी भाषा में होगा, तो उनके लिए अपने अधिकार और कर्तव्य की समझती ओर भी गहरी हो जाएगी।

PM Modi ने संथाली में संविधान के प्रकाशन को सराहया

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह काफी सराहनीय है और बताया कि संथाली भाषा में संविधान आने से संथाली समाज में संवैधानिक जागरूकता बढ़ेगी और लोग लोकतांत्रिक गतिविधियों में आसानी से भाग ले सकेंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत को संथाली समाज और उसकी संस्कृति पर गर्व है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ अनेक भाषाएँ , बोलिया और संस्कृतियाँ मानी जाती है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि देश का संविधान ज़्यादा से ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध हो। इससे हर नागरिक को यह महसूस होगा कि संविधान उनका भी है और वे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को संथाली भाषा में भारत के संविधान का औपचारिक लोकार्पण किया है। यह संविधान संथाली भाषा की अलचिकी लिपि में प्रकाशित किया गया है। इससे संथाली भाषा बोलने और पढ़ने वाले लोगों के लिए संविधान को समझना बेहद आसान माना जा रहा है। 

Santali भाषा में भारत का संविधान राष्ट्रपति ने इसे जारी किया

 यह भाषा आमतौर से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बोली जाती है। बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग इस भाषा का इस्तेमाल करते हैं। साल 2003 में संविधान के 92वें संशोधन के जरिए संथाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। और इसके बाद से इस भाषा को सरकारी स्तर पर पहचान मिली।

संविधान किसी भी देश की सबसे अहम किताब होती है। इसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य और सरकार की जिम्मेदारियों का ज़िक्र होता है। जब संविधान लोगों की समझ में आने वाली भाषा में होता है, तो वे अपने हक और जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से जान पाते हैं। यही वजह है कि संथाली भाषा में संविधान का प्रकाशन एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

संथाली भाषा में भारत के संविधान का प्रकाशन भाषाई सम्मान, सांस्कृतिक पहचान और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने वाला कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी सराहना इस बात को दिखाती है कि सरकार देश की सभी भाषाओं और समुदायों को समान महत्व देना चाहती है।

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