कच्छ: सुबह साढ़े चार बजे नींद से जागे लोग
गुजरात के कच्छ जिले में शुक्रवार तड़के भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए। सुबह करीब 4:30 बजे धरती हिली, जिससे कई इलाकों में लोग नींद से जाग गए और घरों से बाहर निकल आए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.4 दर्ज की गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था, जिस कारण इसकी तीव्रता मध्यम होने के बावजूद झटके स्पष्ट रूप से महसूस किए गए।
कम तीव्रता, लेकिन सतह के पास केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने जानकारी दी कि भूकंप सतह के काफी करीब था। विशेषज्ञों के अनुसार जब भूकंप का केंद्र कम गहराई पर होता है, तो उसकी ऊर्जा सीधे सतह तक पहुंचती है और झटके अधिक तीव्र महसूस होते हैं। यही कारण रहा कि 4.4 तीव्रता का यह भूकंप भी लोगों के लिए डर का कारण बन गया। हालांकि राहत की बात यह रही कि अब तक किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान या हताहत होने की सूचना नहीं मिली है।
भूकंपीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील कच्छ
कच्छ क्षेत्र भूकंप के लिहाज से देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है। यह इलाका भूकंपीय क्षेत्र-5 के अंतर्गत आता है, जिसे भारत का सबसे अधिक जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां की भौगोलिक संरचना और भूगर्भीय गतिविधियां इसे बड़े भूकंपों के लिए संवेदनशील बनाती हैं। यही कारण है कि कच्छ में आने वाला हर छोटा या मध्यम भूकंप भी प्रशासन और विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन जाता है।
2001 की भयावह यादें अब भी ताजा
कच्छ के लोगों के मन में वर्ष 2001 का विनाशकारी भूकंप आज भी गहरी छाप छोड़ता है। उस भूकंप ने हजारों लोगों की जान ले ली थी और पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी। घर, इमारतें, सड़कें और बुनियादी ढांचा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। उसी त्रासदी की पृष्ठभूमि में आज भी कच्छ में जब भी धरती हिलती है, तो लोगों में भय स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है।
देश के अन्य हिस्सों में भी लगातार झटके
इस सप्ताह भारत के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप दर्ज किए गए हैं। गुरुवार को असम के उदलगुरी जिले में 3.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र करीब 19 किलोमीटर की गहराई में था। इससे पहले बुधवार को बंगाल की खाड़ी में 4.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। उसी दिन सिक्किम के गंगटोक में 3.3 और मंगन में 3.0 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। राजस्थान के जालौर जिले में भी 3.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र केवल 5 किलोमीटर की गहराई में था। इसके अलावा 23 दिसंबर को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 2.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था।
विशेषज्ञों की चेतावनी और सलाह
लगातार अलग-अलग हिस्सों में आ रहे भूकंपों ने वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के कई क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील हैं और यहां हल्के से मध्यम स्तर के झटके अक्सर आते रहते हैं। कच्छ जैसे उच्च जोखिम वाले इलाकों में लोगों को सतर्क रहने, भूकंपरोधी निर्माण मानकों का पालन करने और आपदा प्रबंधन से जुड़ी बुनियादी जानकारियां रखने की सलाह दी जाती है।
फिलहाल स्थिति सामान्य, निगरानी जारी
कच्छ जिले में शुक्रवार सुबह आए भूकंप के बाद प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल किसी प्रकार के नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं है। फिर भी क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।
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