विज्ञान भवन में राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह का शुभारंभ, उत्कृष्ट कारीगरों को सम्मानित किया गया

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में सोमवार को राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह (08 से 14 दिसंबर) का शुभारंभ भव्य रूप से किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने समारोह में उपस्थित होकर हस्तशिल्प क्षेत्र से जुड़े 36 कारीगरों, 12 शिल्प गुरुओं तथा नवाचार आधारित दो कारीगर-डिज़ाइनर सहयोग पुरस्कारों को वर्ष 2023 और 2024 के लिए सम्मानित किया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में 20 महिला कारीगर भी शामिल रहीं, जो देश में बढ़ती महिला भागीदारी का सशक्त प्रमाण हैं।

समारोह में केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, कपड़ा राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा, वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शमी राव और विकास आयुक्त हस्तशिल्प अमृत राज सहित अनेक अधिकारी, उद्योग प्रमुख और कारीगर मौजूद रहे।

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राष्ट्रपति का संदेश: ‘हस्तशिल्प हमारी सांस्कृतिक आत्मा और करोड़ों लोगों की आजीविका’

समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हस्तशिल्प केवल परंपरा और संस्कृति का वाहक ही नहीं, बल्कि आजीविका का सशक्त स्रोत भी है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से कमज़ोर वर्गों को सहारा देता आया है और आज भी देशभर में 32 लाख से अधिक लोग इससे जुड़े हुए हैं, जिनमें 68 प्रतिशत महिलाएं हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिल्पकला केवल कौशल ही नहीं, बल्कि सम्मान और पहचान भी देती है। उन्होंने इसे पर्यावरण अनुकूल क्षेत्र बताते हुए कहा कि हस्तशिल्प टिकाऊ जीवनशैली को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुर्मु ने सामाजिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास के लिए इस उद्योग को और अधिक प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई।


हस्तशिल्प निर्यात में भारी वृद्धि: ‘सरकारी नीतियों ने दिया बड़ा प्रोत्साहन’

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि वस्तु एवं सेवा कर की दरों में कमी से हस्तशिल्प निर्यात को अत्यधिक लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में हस्तशिल्प निर्यात 25,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2031-32 तक इसे एक लाख करोड़ रुपये तक पहुँचाने का है।

उन्होंने कहा कि सरकारी पहल के कारण अब देश के ग्रामीण कारीगरों के उत्पाद सीधे अमेरिका, इंग्लैंड और दुनिया के किसी भी हिस्से में उपलब्ध हो सकते हैं।

गिरिराज सिंह ने यह भी बताया कि बाँस, रेमी और फ्लैक्स जैसे टिकाऊ तंतु तेजी से अपनाए जा रहे हैं, जिससे शिल्पकला में स्थिरता और गुणवत्ता दोनों बढ़ रही हैं। 336 हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (जी.आई.) टैग मिलने के बाद भारत का वैश्विक हस्तशिल्प बाज़ार में स्थान और मजबूत हुआ है।


शिल्पकार हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षक: राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा

कपड़ा राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि शिल्पकला केवल वस्तुएँ नहीं बनाती, बल्कि सम्मान, आत्मविश्वास और आशा का निर्माण भी करती है।
उन्होंने कहा कि कारीगरों की कला हमारे गाँवों की पहचान, परंपराओं की गरिमा और पूरे देश का गौरव है। यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और भारत की सांस्कृतिक आत्मा को नई ऊर्जा देती रहेगी।


पुरस्कार, सम्मान और मुख्य उद्देश्य

समारोह में गिरिराज सिंह ने राष्ट्रपति को अशोक प्रतीक चिन्ह से सुसज्जित स्मृति चिन्ह और हस्तनिर्मित कैटलॉग भेंट किया।
विजेताओं को 3.5 लाख रुपये की नकद राशि, 20 ग्राम स्वर्ण पदक, ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम् और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, कारीगरों की आजीविका को मज़बूत करना और भारत की बहुमूल्य हस्तशिल्प विरासत को नई पहचान दिलाना है।

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rashtriya-hastshilp-puraskar-2024-president-murmu-news Photograph: (X)


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