सरकार ने इंडिगो पर कड़ा कदम उठाने की तैयारी शुरू, यात्रियों को मिले विकल्प
इंडिगो एयरलाइन को हाल ही में अपने परिचालन संकट के चलते बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार अब उसकी फ्लाइट शेड्यूल में 5 प्रतिशत की कटौती करने की तैयारी कर रही है। अगर यह कदम लागू होता है, तो इंडिगो की लगभग 110 दैनिक उड़ानें अन्य एयरलाइंस को आवंटित की जा सकती हैं। सरकार का मानना है कि इंडिगो के परिचालन संकट का असर पूरे विमानन क्षेत्र और यात्रियों पर पड़ रहा है। आने वाले हफ्तों में अतिरिक्त 5 प्रतिशत कटौती भी लागू की जा सकती है। इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है और इसके संचालन में किसी भी तरह की बाधा सीधे यात्रियों की संख्या और सेवा पर असर डालती है।
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नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने संसद में स्पष्ट किया कि इंडिगो पर ऐसी कार्रवाई की जाएगी जो भविष्य के लिए उदाहरण बने। यह बयान ऐसे समय आया जब सोशल मीडिया और हवाई अड्डों पर यात्रियों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा था। कई यात्रियों ने शिकायत की थी कि उनकी उड़ानें बिना पूर्व सूचना के रद्द कर दी जा रही हैं और वैकल्पिक व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। डीजीसीए द्वारा इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसके जवाब में एयरलाइन ने कहा कि इतनी बड़ी गड़बड़ी के सटीक कारणों का पता लगाना अभी मुश्किल है, क्योंकि समस्याएँ कई स्तरों पर उत्पन्न हुई हैं। एयरलाइन ने शुरुआती कारणों के रूप में परिचालन दबाव और स्टाफिंग चुनौतियों का उल्लेख किया।
इस बीच, पायलट संगठनों ने एयरलाइन के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने दावा किया है कि एयरलाइन को पहले से पता था कि संकट आने वाला है, लेकिन उसने जानबूझकर स्थिति को बिगाड़ने दिया ताकि नियामकीय राहत हासिल की जा सके। संस्था के अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा कि इंडिगो ने दिसंबर की शुरुआत से ही स्टाफिंग दबाव और सॉफ़्टवेयर समस्याओं के संकेत देख लिए थे, लेकिन सुधारात्मक कदम नहीं उठाए। उनके अनुसार, यह संकट अचानक नहीं आया बल्कि इसे बढ़ने दिया गया ताकि एयरलाइन को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (FDIL) में अस्थायी छूट मिल सके।
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पायलट संगठनों ने सरकार और DGCA से मांग की है कि इंडिगो के पायलट प्लानिंग सिस्टम, स्टाफिंग पैटर्न और परिचालन निर्णयों की स्वतंत्र जांच कराई जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि एयरलाइन ने जानबूझकर संकट को बढ़ने दिया है, तो यह न केवल यात्रियों के साथ धोखा है बल्कि विमानन सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है। इसलिए पायलटों ने एयरलाइन के शीर्ष प्रबंधन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने इंडिगो को दी गई सभी अस्थायी छूटें वापस लेने और एयरलाइन को सामान्य नियमों के तहत संचालित करने की भी मांग की।
सरकार का यह कदम विमानन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और यात्रियों को बेहतर विकल्प देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अगर फ्लाइट स्लॉट अन्य एयरलाइंस को दिए जाते हैं, तो यात्रियों को अधिक विकल्प मिल सकते हैं और बाजार में संतुलन बहाल हो सकता है। वहीं इंडिगो को भविष्य में अपने परिचालन और स्टाफिंग रणनीतियों में सुधार करना होगा ताकि यात्रियों को भरोसेमंद सेवा प्रदान की जा सके और विमानन सुरक्षा मानकों का उल्लंघन न हो।
इस संकट ने इंडिगो की छवि पर भी असर डाला है और यह एयरलाइन के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। यात्रियों की सुरक्षा, समय पर उड़ानें और परिचालन प्रबंधन को लेकर कंपनी को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। यदि एयरलाइन ने समय रहते स्थिति को नहीं संभाला, तो इसके प्रभाव लंबे समय तक विमानन उद्योग और भारतीय बाजार पर पड़ सकते हैं।
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