नई दिल्ली: वीर बाल दिवस पर प्रतिभा, साहस और सेवा का राष्ट्रीय सम्मान

वीर बाल दिवस के पावन अवसर पर शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के 20 असाधारण प्रतिभाशाली बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किया। इस गरिमामय समारोह में खेल, साहस, समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान एवं नवाचार, कला और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले बच्चों को सम्मानित किया गया। इनमें उभरते क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी भी शामिल रहे, जिनकी उपलब्धियों ने कम उम्र में ही राष्ट्रीय पहचान बनाई है।

राष्ट्रपति का संदेश: बच्चों ने देश का गौरव बढ़ाया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि इन बच्चों ने अपने कार्यों से न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज और पूरे देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपने बच्चों की प्रतिभा, साहस और संवेदनशीलता के बल पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि देश के बच्चे कम उम्र में ही सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना के साथ आगे आ रहे हैं।

VEER BAL PURASKAR

वीर बाल दिवस और साहिबजादों का स्मरण

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वर्ष 2022 से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसके पीछे सिख इतिहास का एक अत्यंत प्रेरक अध्याय जुड़ा हुआ है। उन्होंने गुरु गोविंद सिंह और उनके चार साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि लगभग 320 वर्ष पूर्व सत्य और न्याय की रक्षा के लिए उन्होंने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। राष्ट्रपति ने विशेष रूप से बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की वीरता का उल्लेख किया, जिन्हें अत्याचार के सामने झुकने से इनकार करने पर जीवित दीवार में चिनवा दिया गया था। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस केवल शौर्य का स्मरण नहीं, बल्कि देशप्रेम और राष्ट्रीय एकता का उत्सव भी है।

देशभक्ति और मानवता का सुरक्षित भविष्य

राष्ट्रपति ने कहा कि जिस देश के बच्चे उच्च आदर्शों और देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत होते हैं, उस देश की मानवता और भविष्य दोनों सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे न केवल अपने सपनों को साकार कर रहे हैं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी समझ रहे हैं, जो भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।

शहीद उधम सिंह को नमन

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने यह भी उल्लेख किया कि आज महान क्रांतिकारी उधम सिंह की जयंती का पावन अवसर है। उन्होंने देशवासियों की ओर से उन्हें सादर नमन करते हुए कहा कि उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम का अमर अध्याय है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

20 बच्चों की असाधारण उपलब्धियां

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के माध्यम से बच्चों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि अन्य बच्चे भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सम्मानित सभी 20 बच्चों ने अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया है। इनमें सबसे कम उम्र की वाका लक्ष्मी प्राज्ञिका केवल सात वर्ष की हैं, जो यह दर्शाता है कि प्रतिभा की कोई आयु सीमा नहीं होती।

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वीरता और मानवीय संवेदना के उदाहरण

राष्ट्रपति ने अजय राज और मोहम्मद सिदान पी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सूझबूझ और साहस से दूसरों के जीवन की रक्षा की। उन्होंने उन बच्चों को भी श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने दूसरों की जान बचाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। राष्ट्रपति ने नौ वर्षीय व्योमा प्रिया और 11 वर्षीय कमलेश कुमार का उल्लेख करते हुए कहा कि आज उनके माता-पिता ने यह पुरस्कार ग्रहण किया है। उन्होंने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए सेवा

राष्ट्रपति ने शवण सिंह की भी विशेष प्रशंसा की, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों तक दूध, पानी और लस्सी पहुंचाने का कार्य किया। उन्होंने कहा कि ऐसे उदाहरण समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं और यह दिखाते हैं कि सेवा और करुणा की भावना बच्चों में कितनी गहराई से बस चुकी है।

गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने पुरस्कार विजेता बच्चों की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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