युवा रचनाकारों को तकनीकी मजबूती देने की केंद्र की बड़ी पहल

पणजी। भारत के मनोरंजन उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और रचनात्मक क्षेत्र को तकनीकी मजबूती प्रदान करने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल. मुरुगन ने कहा कि मंत्रालय की तरफ से एक ऐसे संस्थान की पहल की गई है, जो भारतीय मनोरंजन जगत के लिए वही भूमिका निभाएगा जो आईआईटी और आईआईएम देश की तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा के लिए निभाते हैं। यह नया संस्थान भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान कहलाएगा और इसे देश की उभरती हुई रचनात्मक ऊर्जा तथा तकनीक आधारित मनोरंजन उद्योग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है।

मनोरंजन जगत को तकनीकी शक्ति प्रदान करने की तैयारी

एल. मुरुगन के अनुसार यह संस्थान न केवल युवाओं को रचनात्मक प्रशिक्षण देगा बल्कि अत्याधुनिक तकनीकी कोर्स प्रदान करके उन्हें आधुनिक मनोरंजन उद्योग की मांगों के अनुकूल भी तैयार करेगा। आज मनोरंजन जगत में फिल्म निर्माण, एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, डिजिटल ग्राफिक्स, गेमिंग, वर्चुअल प्रोडक्शन जैसी तकनीक तेजी से विकसित हो रही है। ऐसे में भारत में एक समर्पित संस्थान की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। नई पहल उसी शून्य को भरने की कोशिश है।

मंत्री ने बताया कि यह प्रयास सीधे तौर पर ऑरेंज इकोनॉमी को ताकत देने वाला है। ऑरेंज इकोनॉमी से तात्पर्य उन उद्योगों से है जो रचनात्मकता, कला और संस्कृति पर आधारित होते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प में इन रचनात्मक उद्योगों को प्रमुख भूमिका दी गई है, क्योंकि ये उद्योग रोजगार के नए अवसर पैदा कर रहे हैं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की पहचान को और मजबूत बना रहे हैं।

युवा क्रिएटर्स को मिलेगा वैश्विक मंच और तकनीकी मार्गदर्शन

एल. मुरुगन ने यह भी कहा कि भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान युवा क्रिएटर्स को तकनीकी सहायता और उन्नत पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। यह संस्थान उन युवाओं के लिए वरदान साबित होगा जो डिजिटल क्रिएशन, फिल्ममेकिंग, एनीमेशन, वीएफएक्स या किसी अन्य रचनात्मक तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि आज युवा प्रतिभाएं छोटे शहरों से भी सामने आ रही हैं। रील्स, शॉर्ट फिल्म, एनीमेशन, डिजिटल आर्ट, गेमिंग—इन सबकी वजह से अवसरों का नया संसार खुला है। लेकिन इन प्रतिभाओं को पेशेवर स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए संरचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यह संस्थान उसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।

56वां भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव: आम जनता की भागीदारी से बदला स्वरूप

गोआ के पणजी में आयोजित 56वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में शामिल होने पहुंचे एल. मुरुगन ने बताया कि इस बार पहली बार आम लोगों की भागीदारी बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है। आईएफएफआई अब सिर्फ फिल्म जगत का मंच नहीं रह गया है, बल्कि यह जनता का उत्सव बन रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में युवा फिल्मकारों और डिजिटल क्रिएटर्स को मंच देने पर जोर बढ़ा है। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान शुरू की गई पहल में 75 युवा प्रतिभाओं को वैश्विक मंच दिया गया था। इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 130 युवा रचनात्मक प्रतिभाओं तक पहुंच गई है। यह भारत की बढ़ती रचनात्मक क्षमता और वैश्विक मंच पर भारतीय प्रतिभा की स्वीकार्यता को दर्शाता है।

युवा प्रतिभाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसरों का खुला द्वार

मंत्री ने बताया कि हर साल इस कार्यक्रम के माध्यम से नई प्रतिभाएं खोजी जाती हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का मौका मिलता है। आईएफएफआई का यह मंच कई युवाओं को दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं, प्रोडक्शन हाउसों और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स से जोड़ता है। इससे न केवल युवाओं को पेशेवर अवसर मिलते हैं बल्कि भारतीय मनोरंजन उद्योग को भी नई ऊर्जा और नए विचार प्राप्त होते हैं।

विकसित भारत के सपने में रचनात्मक उद्योगों की बड़ी भूमिका

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के संकल्प में रचनात्मक उद्योगों को नई मजबूती देने पर जोर है। भारत की युवा आबादी, डिजिटल क्रांति, इंटरनेट पहुंच और तेजी से बढ़ती रचनात्मक अर्थव्यवस्था इसे दुनिया के सबसे बड़े रचनात्मक बाजारों में बदलने की क्षमता रखती है।

भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान की यह पहल आने वाले समय में फिल्म उद्योग, एनीमेशन स्टूडियो, गेमिंग कंपनियों, डिजिटल कंटेंट और नए मीडिया क्षेत्रों को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।

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