एसटीएफ की छापेमारी में खुला बड़ा फर्जीवाड़ा, दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े वीडियो मिलने पर खुफिया एजेंसियां सतर्क
नोएडा। उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने सोमवार तड़के एक ऐसे शातिर ठग को गिरफ्तार किया है, जो कभी खुद को रॉ अधिकारी तो कभी सेना का मेजर बताकर अलग-अलग सोसाइटी में रह रहा था। यह आरोपी न केवल फर्जी पहचान के सहारे लोगों को धोखा दे रहा था, बल्कि एक महिला जज से शादी भी कर चुका था, जो वर्तमान में बिहार के छपरा में तैनात हैं।
एसटीएफ के अनुसार आरोपी एक कंपनी बनाकर भारी भरकम नकली लेन-देन दिखा कर उसका मूल्य बढ़ाने और फिर शेयर बाजार में उसे जारी कर लोगों से ठगी करने की योजना बना रहा था। टीम ने उसके पास से फर्जी आईडी, क्रेडिट-डेबिट कार्ड, फर्जी पुलिस वेरिफिकेशन लेटर, चेक बुक, पैन व आधार कार्ड सहित बड़ी मात्रा में जाली दस्तावेज जब्त किए हैं। आरोपी के टैब में दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े वीडियो मिलने पर खुफिया एजेंसियां भी उससे गहन पूछताछ कर रही हैं।
कैसे पकड़ा गया फर्जी रॉ अधिकारी
अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ (नोएडा यूनिट) राजकुमार मिश्रा ने बताया कि बीती रात उपनिरीक्षक अक्षय परमवीर कुमार त्यागी और उनकी टीम को सूचना मिली कि एक व्यक्ति, जो कभी अपने आपको मेजर अमित और कभी रॉ का डायरेक्टर बताता है, पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट सोसाइटी, ग्रेटर नोएडा में रहता है।
दिल्ली में हाल ही में हुए बम ब्लास्ट की वजह से इस सूचना को अत्यंत गंभीर माना गया और तुरंत टीम बनाकर छापेमारी की गई।
जब टीम संबंधित फ्लैट पहुंची, तो दरवाजा एक महिला ने खोला। उसी समय एक व्यक्ति वहां आया जिसने अपना नाम सुमित कुमार, पुत्र स्वर्गीय बृजनंदन शाह बताया। तलाशी में उसके पर्स से एक तथाकथित कैबिनेट सेक्रेट्रिएट, भारत सरकार का पहचान पत्र मिला, जिसमें उसे जॉइंट सेक्रेटरी और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के डायरेक्टर (ऑपरेशन) के रूप में दिखाया गया था।
आईडी पर उसका ब्लड ग्रुप, सर्विस नंबर, जन्मतिथि और पिता का नाम भी अंकित था—मगर यह सब फर्जी निकला।
रॉ अधिकारियों की जांच में हुआ खुलासा
एसटीएफ को शक होने पर रॉ के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया गया। उन्होंने मौके पर मौजूद पहचान पत्रों की जांच की और स्पष्ट किया कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति कभी भी उनके विभाग में तैनात नहीं रहा है।
जो आईडी कार्ड और कागजात मिले, वे पूरी तरह फर्जी थे।
फ्लैट मालिक भी फर्जी पहचान के झांसे में आए
फ्लैट की मकान मालकिन मंजू गुप्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उनके यहां किरायेदार मेजर अमित कुमार हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर के लेटरहेड पर मेजर अमित के नाम से पुलिस वेरिफिकेशन कराकर दिया था, जिसकी फोटो कॉपी मकान मालकिन ने व्हाट्सएप पर भेजी।
लेकिन जांच में यह वेरिफिकेशन लेटर भी जाली निकला। आरोपी ने हर स्तर पर अपनी पहचान को मजबूती देने के लिए कई सरकारी कागजात की नकली प्रतियां तैयार की थीं।
पत्नी भी रही भ्रमित, बताया—पति गृह मंत्रालय में गोपनीय नियुक्ति पर
जब एसटीएफ ने आरोपी की पत्नी कुसुम, जो छपरा (बिहार) में न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं, से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनके पति गृह मंत्रालय में कार्यरत हैं और “गोपनीय नियुक्ति” पर तैनात हैं।
इससे यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी ने अपनी पत्नी तक को असली पहचान के बारे में गुमराह कर रखा था।
कई धाराओं में मुकदमा दर्ज
आरोपी सुमित पर थाना सूरजपुर में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं
319(2), 318(4), 338, 336(3), 340
तथा आईटी एक्ट 2008 की धारा 66D के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
एसटीएफ और खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं, विशेषकर इस बात को लेकर कि उसके पास दिल्ली ब्लास्ट से संबद्ध वीडियो कैसे पहुंचे और उसके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल हो सकता है।
फर्जीवाड़े का नेटवर्क कितना बड़ा? जांच गहन
प्राथमिक जांच से स्पष्ट है कि आरोपी लंबे समय से उच्च पदों का झूठा बहाना बनाकर लोगों को धोखा दे रहा था। उसकी योजनाओं में कंपनी बनाकर बड़े लेन-देन दिखाने और शेयर बाजार में प्रवेश कर लोगों से करोड़ों की ठगी करने की साजिश भी शामिल थी।
जांच एजेंसियों का मानना है कि आरोपी के नेटवर्क और आर्थिक गतिविधियों की विस्तृत जांच से कई और खुलासे हो सकते हैं।
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