जैविक खेती, प्राकृतिक कृषि मॉडल और कृषि नवाचार को मजबूत आधार देने पर प्रधानमंत्री का जोर

कोयंबटूर, 19 नवंबर (हि.स.)। कोयंबटूर का कोडिसिया परिसर बुधवार को कृषि क्षेत्र के एक बड़े ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत जैविक एवं प्राकृतिक कृषि सम्मेलन 2025 का औपचारिक उद्घाटन किया। तीन दिवसीय सम्मेलन तमिलनाडु जैविक कृषि महासंघ की ओर से आयोजित हो रहा है, जिसमें दक्षिण भारत के पांच राज्यों—तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी—के हजारों किसान, जैविक कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और कृषि उत्पादों के प्रदर्शक शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ की 21वीं किस्त भी जारी की, जिसके माध्यम से 9 करोड़ से अधिक किसानों को डीबीटी प्रणाली द्वारा 18,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचाई गई। कोयंबटूर जिले के 44,837 किसान भी इस किस्त से लाभान्वित हुए।

जैविक किसानों ने किया विशेष स्वागत, स्टॉलों का निरीक्षण कर किसानों से संवाद

कोडिसिया परिसर पहुंचने पर किसानों ने प्रधानमंत्री का अनोखे ढंग से स्वागत किया। उन्हें स्मृति-चिह्न के रूप में पारंपरिक ‘गाय गाड़ी’ भेंट की गई, जो जैविक खेती की मूल अवधारणा का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने जैविक तरीकों से उत्कृष्ट उत्पादन करने वाले किसानों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। बाद में वे विभिन्न स्टॉलों पर भी गए, जहां जैविक उत्पादों और पारंपरिक कृषि तकनीकों का प्रदर्शन किया गया था।

किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और प्रधानमंत्री से उत्साहपूर्वक सेल्फी ली। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से भी बातचीत की, उनसे भारतीय प्राकृतिक खेती की परिभाषा को वैश्विक मंच पर मजबूत करने की दिशा में काम तेज करने का आग्रह किया।

तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। उनके साथ विभिन्न कृषि संगठनों और सरकारी प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इसे और अधिक व्यापक संवाद का मंच बनाया।

Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025
Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025 Photograph: (UNI)

प्रधानमंत्री ने किया प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आह्वान

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती (organic farming), जैविक विधियों और रसायन-मुक्त कृषि का भविष्य भारत का भविष्य है। उन्होंने कहा कि यह पद्धति न केवल 21वीं सदी के कृषि संकटों का समाधान है, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर टिकाऊ कृषि का अग्रणी देश बनाने की क्षमता भी रखती है।

उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे ‘एक एकड़–एक मौसम’ के मॉडल को अपनाएं। इस मॉडल के तहत किसान अपने खेत के कम-से-कम एक हिस्से में एक मौसम के लिए प्राकृतिक खेती शुरू करें, ताकि वे खुद इसकी उपयोगिता, कम लागत और मिट्टी की उर्वरता में सुधार को अनुभव कर सकें। उन्होंने कहा कि इस छोटे प्रारंभिक प्रयोग से बड़ा अंतर पैदा होगा और धीरे-धीरे किसान पूरी भूमि पर प्राकृतिक पद्धति अपना सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने चेताया कि रसायनों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी की संरचना खराब हो रही है और लागत लगातार बढ़ती जा रही है। प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण से ही इसका समाधान संभव है।

दक्षिण भारत को बताया प्राकृतिक खेती का मजबूत केंद्र

प्रधानमंत्री (pm modi) ने दक्षिण भारत की कृषि परंपराओं का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह क्षेत्र सदियों से प्राकृतिक और जैविक खेती का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की कलिंगारायण नहर प्रणाली, पंचगव्य, जीवामृत, अच्छादान और बीजामृत जैसी विधियां भारतीय परंपराओं की धरोहर हैं, जो मिट्टी को जीवन देती हैं और फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं।

उन्होंने बताया कि केरल और कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली बहु-मंजिला खेती (multi-layer farming) प्राकृतिक खेती का उत्कृष्ट नमूना है, जहां एक ही भूमि पर फल, सब्जियां, मसाले और औषधीय पौधों की एक साथ खेती की जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस मॉडल को पूरे देश में फैलाने की जरूरत है।

Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025
Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025 Photograph: (UNI)

प्राकृतिक खेती को लेकर सरकार की नीति और दूरदर्शिता

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट और मजबूत नीति के साथ आगे बढ़ रही है। किसानों को प्रशिक्षण, तकनीक और वित्तीय सहायता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि कृषि अनुसंधान संस्थानों को भी अपने पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती के मॉड्यूल शामिल करने को कहा गया है।

उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से अपील की कि वे प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर खेतों को अपनी प्रयोगशाला बनाएं और किसानों के साथ मिलकर नई तकनीकों पर काम करें। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि “भारत वैश्विक प्राकृतिक कृषि हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है और युवा इसे एक आधुनिक, स्केलेबल अवसर के रूप में देख रहे हैं।”

कृषि क्षेत्र में पिछले वर्षों में आए बदलावों का उल्लेख

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में आए सकारात्मक बदलावों का विस्तृत उल्लेख किया। उन्होंने कहा:

कृषि निर्यात लगभग दोगुना हुआ है

किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई

जैव-उर्वरकों पर जीएसटी में कमी से किसानों को राहत

रसायन-मुक्त खेती को लेकर व्यापक प्रशिक्षण अभियान

छोटे और सीमांत किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए अतिरिक्त सहायता

प्रधानमंत्री ने कहा कि “पारंपरिक ज्ञान, आधुनिक विज्ञान, सरकारी सहयोग और किसानों की मेहनत—इन चारों की संयुक्त शक्ति भारत को टिकाऊ, समृद्ध और विश्वस्तरीय कृषि प्रणाली की ओर ले जा रही है।”

Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025
Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025 Photograph: (UNI)

सुरक्षा, तैयारियां और जन समर्थन

प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर शहर में सुरक्षा के अतिविशिष्ट प्रबंध किए गए। कोयंबटूर शहर में पाँच-स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया। कोडिसिया परिसर सहित प्रमुख क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया। कोयंबटूर-अविनाशी रोड पर पुलिस ने विशेष निगरानी रखी।

सम्मेलन स्थल पर भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने प्रधानमंत्री का जोशीला स्वागत किया। पूरे क्षेत्र में उत्साह और उमंग का वातावरण देखा गया।

Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025
Narendra Modi inaugurates the South India Natural Farming Summit-2025 Photograph: (UNI)

प्रधानमंत्री का ग्रामीण भारत और कृषि के भविष्य पर विश्वास

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नई कृषि दिशा, प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ता रुझान और किसानों की नवाचार भावना आने वाले दशकों में न केवल भारतीय कृषि को मजबूत बनाएगी, बल्कि वैश्विक खाद्य प्रणाली में भी भारत की भूमिका को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। उन्होंने दक्षिण भारत को इस राष्ट्रीय आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में बताया और कहा कि “जब किसान समृद्ध होता है, तब देश समृद्ध होता है।”

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