मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा: बहुविवाह पर रोक सामाजिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम
गुवाहाटी, 27 नवंबर (हि.स.)। असम विधानसभा ने गुरुवार को असम प्रोहिबिशन ऑफ पॉलिगैमी बिल, 2025 को ध्वनिमत से पारित कर राज्य में बहुविवाह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। यह फैसला न सिर्फ राज्य की सामाजिक संरचना में बड़ा परिवर्तन लाने वाला कदम माना जा रहा है, बल्कि इसे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा द्वारा वादा किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की दिशा में उठाया गया व्यावहारिक और निर्णायक कदम भी बताया जा रहा है।
विधानसभा में इस विधेयक को पारित करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने दो टूक कहा कि यदि उनकी सरकार अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद दोबारा सत्ता में लौटती है तो नई सरकार के पहले ही सत्र में यूसीसी लाकर उसे बिना किसी देरी के लागू किया जाएगा।
उन्होंने इसे “सामाजिक समानता और व्यक्तिगत कानूनों की एकरूपता की दिशा में महत्वपूर्ण पहल” बताया।
सभी समुदायों पर लागू होगा कानून, दंड का कठोर प्रावधान
सरकार द्वारा पारित इस विधेयक में बहुविवाह को स्पष्ट रूप से एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। ऐसे मामलों में 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान रखा गया है, ताकि समाज में लम्बे समय से चले आ रहे दुरुपयोग और महिलाओं के प्रति होने वाले अन्याय को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री सरमा ने सदन में जोर देकर कहा कि यह कानून धर्म के आधार पर किसी समुदाय को निशाना नहीं बनाता, बल्कि यह पूरी तरह “धर्म निरपेक्ष” है। उनके अनुसार,
“हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन—सभी समुदायों में बहुविवाह के मामले सामने आते रहे हैं। इसलिए कानून सभी पर समान रूप से लागू होगा और किसी भी समाज के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।”
अनुसूचित जनजातियों को छूट, संशोधन प्रस्ताव खारिज
विधेयक के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों और 6वीं अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों को इस कानून से मुक्त रखा गया है। राज्य सरकार का तर्क है कि इन समुदायों के अपने परंपरागत सामाजिक कानून और प्रथाएं हैं, जिन्हें संविधान ने सुरक्षा दी है।
विधानसभा में एआईयूडीएफ और माकपा ने विधेयक में संशोधन मांगते हुए कुछ समुदायों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा और स्पष्टता का मुद्दा उठाया, लेकिन सत्ता पक्ष की संख्या बल के आगे सभी संशोधन ध्वनिमत से खारिज कर दिए गए।
“लव-जिहाद” पर भी कानून लाएगी सरकार, फरवरी तक प्रस्ताव
बहुविवाह प्रतिबंध विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सरमा ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकार फरवरी के अंत तक छलपूर्वक विवाह के खिलाफ एक नया विधेयक पेश करेगी, जिसका उद्देश्य ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करना होगा, जिन्हें आम भाषा में “लव-जिहाद” के मुद्दों से जोड़ा जाता रहा है।
सरमा ने कहा कि ऐसे मामलों में धोखे से किए गए विवाह न सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ाते हैं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से भी जुड़ा गंभीर मुद्दा हैं। इसलिए सरकार एक ऐसा कानून लाएगी जो “दिल और दिमाग दोनों को सुरक्षित करेगा।”
राजनीतिक रूप से अहम संदेश, 2026 चुनावों की पृष्ठभूमि में बड़ा कदम
असम में बहुविवाह पर रोक लगाने का यह निर्णय केवल सामाजिक सुधार का कदम नहीं माना जा रहा, बल्कि भाजपा सरकार द्वारा आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए दिए गए बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूसीसी को पहले सत्र में लागू करने का वादा चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।
सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं के अधिकारों, पारिवारिक स्थिरता और समाज में समानता लाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित होगा।
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