नक्सल अभियान में सर्वोच्च बलिदान देने वाले हॉक फोर्स निरीक्षक को उमड़ी श्रद्धांजलि, हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई

छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे संयुक्त अभियान में अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए मध्यप्रदेश हॉक फोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा को गुरुवार को उनके पैतृक गांव नरसिंहपुर जिले के ग्राम बोहानी में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद की पार्थिव देह जब गांव पहुँची, तो पूरा क्षेत्र गम और गर्व से भर उठा। परिजनों ने मुखाग्नि दी, वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वयं कंधा देकर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।

ग्राम बोहानी पहुँचने से पहले बालाघाट और नरसिंहपुर शहर में श्रद्धांजलि यात्राएँ निकाली गईं, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए। रास्ते में घरों की छतों पर खड़े नागरिकों ने शहीद पर फूल बरसाए और ‘भारत माता की जय’ तथा ‘आशीष शर्मा अमर रहें’ के नारों से वातावरण को भावपूर्ण बना दिया। मुक्तिधाम तक निकली अंतिम यात्रा में पाँच हजार से अधिक लोग शामिल हुए, जिसने गांव को मानो एक विशाल जनसैलाब में बदल दिया।

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madhya-pradesh-ashish-sharma-martyr Photograph: (MPINFO)

मुख्यमंत्री का भावुक संदेश और सहायता घोषणा

अंतिम संस्कार में पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि आशीष शर्मा ने देश और समाज की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर अमर मिसाल पेश की है। उन्होंने घोषणा की कि:

शहीद के छोटे भाई को नियमों में शिथिलता देते हुए सब इंस्पेक्टर का पद दिया जाएगा।

परिवार को एक करोड़ रुपये की सम्मान निधि प्रदान की जाएगी।

शहीद आशीष शर्मा के नाम पर गांव में एक पार्क और एक खेल मैदान बनाया जाएगा।

सीएम ने कहा कि आशीष शर्मा का बलिदान न सिर्फ प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है और सरकार सदैव उनके परिवार के साथ खड़ी रहेगी।

कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

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नक्सल अभियान में बहादुरी का प्रतीक बने आशीष

बुधवार को छत्तीसगढ़ के बोरतलाव–कुर्रेझर के घने जंगलों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की संयुक्त टीम द्वारा चलाए जा रहे नक्सल–विरोधी अभियान में निरीक्षक आशीष शर्मा अग्रिम पंक्ति में डटे रहे। अभियान के दौरान उन्होंने असाधारण रणनीतिक नेतृत्व और साहस का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की।

नरसिंहपुर जिले के ग्राम बोहानी में 21 फरवरी 1994 को जन्मे आशीष ने बीएससी के बाद 4 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश पुलिस में अपनी सेवाएं प्रारम्भ कीं। वर्ष 2018 में वे प्रतिनियुक्त पर हॉक फोर्स में शामिल हुए और लगातार संवेदनशील अभियानों की अग्रिम पंक्ति में सक्रिय रहे।
हर्राटोला मुठभेड़ में बहादुरी के लिए उन्हें उप निरीक्षक से निरीक्षक पद पर विशेष पदोन्नति दी गई थी।

उनकी वीरता के सम्मान में उन्हें दो बार वीरता पदक, इसके अतिरिक्त दुर्गम सेवा पदक और आंतरिक सेवा पदक भी प्राप्त हुए थे। उनका अनुशासित, संवेदनशील और साहसी व्यक्तित्व पूरी हॉक फोर्स में प्रेरणा का स्रोत माना जाता था।

शहीद के प्रति जनता की श्रद्धा और सम्मान

परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के लिए आशीष केवल एक अधिकारी नहीं, बल्कि कर्तव्यनिष्ठ, सरल, विनम्र और नेतृत्व क्षमता से भरपूर इंसान थे।
गांव में उनके सम्मान में जमा हुए हजारों लोगों ने बताया कि आशीष बचपन से ही शांत, संवेदनशील और दृढ़ इच्छाशक्ति वाले थे। देश सेवा के प्रति उनका सपना बचपन से था, जिसे उन्होंने अपने बलिदान से पूरी तरह सार्थक कर दिया।

गृह ग्राम में शहीद की पार्थिव देह को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। जवानों ने शस्त्र झुकाकर उन्हें अंतिम सलामी दी। परिवारजन बिलखते रहे, लेकिन गांव-समाज ने एक स्वर में कहा कि “आशीष ने जीवन नहीं, अमरता पाई है।”

शौर्य, समर्पण और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दिया गया यह सर्वोच्च बलिदान मध्यप्रदेश पुलिस और पूरे प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
उनकी स्मृति सदैव प्रेरणा देती रहेगी।

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