मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर पहुंचकर पीड़ित परिवारों और अस्पतालों में भर्ती मरीजों से की मुलाकात

इंदौर, 31 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में दूषित पेयजल से फैली बीमारी ने भयावह रूप ले लिया है। भागीरथपुरा क्षेत्र में बुधवार को दो और लोगों की मौत हो गई, जिनमें पांच माह का एक मासूम बच्चा और एक बुजुर्ग शामिल हैं। इसके साथ ही दूषित पानी पीने से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब भी 150 से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, जबकि अब तक 1100 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है।

दूषित पानी से हो रही लगातार मौतों ने न केवल स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री Mohan Yadav बुधवार शाम इंदौर पहुंचे और अलग-अलग अस्पतालों में जाकर बीमार लोगों तथा उनके परिजनों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि पीड़ितों के इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही न हो और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

MOHAN YADAV
MOHAN YADAV Photograph: (MPINFO)

मासूम की मौत ने झकझोरा, परिजनों का फूटा गुस्सा

भागीरथपुरा में बुधवार को पांच माह के अव्यान साहू की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। मासूम की मां का कहना है कि सरकार बच्चों की मौतों को लेकर पूरी सच्चाई सामने क्यों नहीं ला रही है। उनका आरोप है कि निश्चित तौर पर और भी कई बच्चे दूषित पानी की चपेट में आए होंगे, जिनका सही आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है। परिजनों के अनुसार, अव्यान को बाहरी दूध पिलाया जाता था, जिसमें पानी मिलाया जाता था। आशंका है कि यही दूषित पानी उसकी मौत का कारण बना।

इसके अलावा बुधवार को एक बुजुर्ग की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। इससे पहले मंगलवार देर रात तक आठ लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी थी, जिनमें नंदलाल पाल, उर्मिला यादव, उमा कोरी, मंजुला पति दिगंबर, सीमा प्रजापत, गोमती रावत और संतोष बिगोलिया शामिल थे। लगातार हो रही मौतों से इलाके में मातम पसरा हुआ है और लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

पानी की सप्लाई पर संदेह, टैंकरों के सहारे गुजारा

बुधवार को भी भागीरथपुरा बस्ती में 100 से अधिक स्थानों से पानी के सैंपल लिए गए और जांच के लिए प्रयोगशालाओं में भेजे गए। सुबह बस्ती में नलों के माध्यम से पानी की सप्लाई शुरू की गई, लेकिन भय और अविश्वास के चलते अधिकांश लोगों ने उस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल नहीं किया। लोगों का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट पूरी तरह साफ नहीं आ जाती, तब तक नलों का पानी पीना जोखिम भरा है। ऐसे में प्रशासन की ओर से टैंकरों के जरिए पानी की आपूर्ति कराई जाती रही, हालांकि स्थानीय लोग इसे भी पर्याप्त नहीं बता रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दूषित पानी से फैली बीमारी के चलते उल्टी, दस्त, बुखार और डिहाइड्रेशन के गंभीर मामले सामने आए हैं। कई मरीजों की हालत नाजुक बनी हुई है, जिन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है।

इंदौर में दूषित पानी से डेढ़ सौ बीमार, 40 मरीज अस्पतालों में, 3 लोगों की  मौत से दहशत

हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी से हुई दस मौतों के मामले ने अब न्यायिक मोड़ भी ले लिया है। इस गंभीर प्रकरण को लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में बुधवार को दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से दो जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

मामले में एक जनहित याचिका अधिवक्ता Ritesh Inani द्वारा दायर की गई है, जबकि दूसरी याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग और प्रमोद द्विवेदी ने दाखिल की है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण आम लोगों की जान गई है और इसके लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए पीड़ितों के निशुल्क इलाज के भी निर्देश दिए हैं।

प्रशासन पर बढ़ता दबाव, जवाबदेही तय करने की मांग

दूषित पानी से हो रही मौतों ने इंदौर नगर निगम, जलप्रदाय विभाग और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि समय रहते पानी की गुणवत्ता की जांच और पाइपलाइन की मरम्मत की जाती, तो इतनी बड़ी त्रासदी टाली जा सकती थी। अब जनता दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस व्यवस्था की मांग कर रही है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह मामला केवल एक स्थानीय संकट नहीं, बल्कि प्रशासनिक जिम्मेदारी और जनस्वास्थ्य सुरक्षा की बड़ी परीक्षा बन गया है। आने वाले दिनों में सरकार और प्रशासन की कार्रवाई पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हुई हैं।

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