राइट-टू-रिकॉल की अवधि ढाई साल से बढ़कर तीन साल; प्रत्यक्ष चुनाव से बदलेगा नगरीय प्रशासन का ढांचा
विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ नगर पालिका संशोधन विधेयक
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को नगर पालिका संशोधन विधेयक-2025 सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के पास होने के साथ ही प्रदेश में अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाएगा। पहले यह चुनाव पार्षदों एवं पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता था।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह बदलाव उन प्रावधानों का हिस्सा है, जो पहली बार दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा लागू किए गए कानून में संशोधन के रूप में आए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्णय स्थानीय स्वशासन को मजबूत करेगा और जनता को सीधे नेतृत्व चुनने का अधिकार देगा।
राइट-टू-रिकॉल की अवधि अब तीन साल
विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान मंत्री विजयवर्गीय ने स्पष्ट किया कि पहले राइट-टू-रिकॉल की अवधि ढाई साल रखी गई थी, जिसे अब बढ़ाकर तीन साल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा:
“लोकतंत्र की मजबूती के लिए यह आवश्यक है कि अध्यक्ष को कुछ समय कार्य करने का अवसर मिले। इसलिए इसे पाँच साल की बजाय तीन साल पर रखा गया है।”
यह प्रावधान जनता को यह अधिकार देता है कि यदि उनका चुना हुआ अध्यक्ष जनहित में काम न करे, तो तीन वर्ष बाद उसे पद से हटाया जा सके।
प्रत्यक्ष चुनाव से खत्म होगी वार्ड-विशेष की राजनीति
मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि कोविड काल के बाद से अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से हो रहा था। इस प्रक्रिया पर सभी दलों ने सवाल उठाए थे।
उन्होंने कहा:
प्रत्यक्ष चुनाव से अध्यक्ष पूरे नगर के हित में काम करेगा।
अभी कई बार अध्यक्ष वार्ड-विशेष को प्राथमिकता देता है, जिससे संसाधनों का असमान वितरण होता है।
नया प्रावधान इस प्रवृत्ति को समाप्त करेगा।
उन्होंने विधानसभा को बताया कि इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री से चर्चा की गई और सभी दलों ने समर्थन दिया।
कांग्रेस विधायकों ने उठाए सवाल: हॉर्स ट्रेडिंग, लंबित चुनाव और अतिक्रमण का मुद्दा
चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि राइट-टू-रिकॉल की प्रक्रिया को लेकर स्पष्टता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि—
चुनावों में हॉर्स ट्रेडिंग बढ़ती है, इसे रोकने के उपाय जरूरी हैं।
मंडी सहकारिता के चुनाव 10-12 वर्षों से लंबित हैं, उन्हें तुरंत करवाया जाना चाहिए।
प्रत्यक्ष चुनाव से पार्षदों का महत्व कम हो जाएगा, इस पर विचार होना चाहिए।
उन्होंने अतिक्रमण से जुड़े मामलों में भी मंत्री से ठोस नीति की मांग की।
कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने सदन में दल-बदल की समस्या उठाई। उन्होंने कहा कि:
“जिस प्रकार राष्ट्रीय दलों में दल-बदल कानून लागू है, वैसे ही नगर पालिका और नगर निगमों में भी यह लागू होना चाहिए।”
कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा कि
“जहां विधायक और पार्षद बिकते हों, वहां राइट-टू-रिकॉल से नई खरीद-फरोख्त शुरू हो जाएगी।”
नेता प्रतिपक्ष ने भी जताई चिंता, कहा—“हॉर्स ट्रेडिंग तो हर स्तर पर होती है”
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि विधेयक का विरोध नहीं किया गया, बल्कि सुधारों की मांग की गई है। उन्होंने कहा—
हॉर्स ट्रेडिंग सभी स्तरों पर होती है, विधायक, सांसद, जनपद, जिला पंचायत
इस विधेयक का राजनीतिक लाभ अधिक है, सीधे जनता को लाभ कम दिखता है
अध्यक्ष का पूरा कार्यकाल सुरक्षित होना चाहिए
विधेयक को मिला समर्थन: जनता से चुनाव कराने पर सहमति
भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह ने कहा कि जनता से सीधे अध्यक्ष चुनने का निर्णय लोकतंत्र को मजबूत करेगा।
कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौर ने भी समर्थन दिया, लेकिन शंका जताई कि यह प्रावधान कहीं उन अध्यक्षों को बचाने के लिए न हो जिनके खिलाफ जनता आक्रोशित है।
उन्होंने कहा कि:
“मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूँ, क्योंकि इससे हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लगेगी।”
राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने कहा कि—
“देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलता है। अब अध्यक्ष जनता के माध्यम से चुना जाएगा, इसलिए यह परिवर्तन आवश्यक था।”
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