इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025 में बड़े बदलाव, समुद्री माहौल और रणनीतिक दृष्टिकोण को मिला नया स्वरूप
नेवी डे पर भारतीय समुद्री सिद्धांत का नया संस्करण जारी

नई दिल्ली, 02 दिसंबर। भारतीय नौसेना के लिए मंगलवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने ‘भारतीय समुद्री सिद्धांत’ के नए संस्करण को जारी किया। यह दस्तावेज न केवल नौसेना की रणनीतिक दिशा तय करता है, बल्कि भारत की क्षेत्रीय भूमिका, समुद्री उपस्थिति और राष्ट्रीय सुरक्षा में समुद्री शक्ति के महत्व को भी रेखांकित करता है।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत एक समुद्री शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को लगातार मजबूत कर रहा है और इस सिद्धांत का उद्देश्य देश को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में विकसित करना है, जो समुद्री सुरक्षा, व्यापार, क्षमता निर्माण और सामरिक संतुलन के महत्व को भली-भांति समझता हो।

समुद्री सिद्धांत: नौसेना का सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक दस्तावेज

‘इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन’ भारतीय नौसेना की रणनीति और संचालन की प्राथमिक नींव मानी जाती है। इसका पहला संस्करण 2004 में तैयार हुआ था, फिर 2009 में इसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। 2015 में हल्के संशोधन हुए थे, लेकिन 2025 का यह नया संस्करण पूरी तरह से विस्तृत और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप है।

इस सिद्धांत में नौसेना की भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और यह समझाया गया है कि समुद्र में की जाने वाली प्रत्येक कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक उद्देश्यों से कैसे जुड़ी होती है। यह दस्तावेज सिर्फ संदर्भ ग्रंथ नहीं, बल्कि नौसेना के हर स्तर का संचालन, प्रशिक्षण, योजना और क्षमता विकास का मुख्य आधार है।

समुद्री वातावरण में आए बदलावों को शामिल किया गया

पिछले दस वर्षों में समुद्री वातावरण में भारी बदलाव आए हैं:

नयी तकनीकी चुनौतियां

मल्टी-डोमेन सुरक्षा खतरे

समुद्री सीमाओं में बढ़ता तनाव

पड़ोसी देशों की बढ़ती नौसैनिक गतिविधियां

ग्रे-ज़ोन और हाइब्रिड वॉरफेयर

इन सबको देखते हुए इंडियन मैरीटाइम डॉक्ट्रिन 2025 को पूरी तरह नया स्वरूप दिया गया है। यह समुद्री सुरक्षा की वर्तमान जटिलताओं और चुनौतियों को पहचाने हुए भविष्य के लिए रणनीतिक दिशा तय करता है।

भारत 2047 के समुद्री विज़न से जुड़ा महत्वपूर्ण दस्तावेज

भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 को भारत के बड़े राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जोड़ा गया है, जिसमें समुद्री शक्ति को विकसित भारत 2047 का आधार स्तंभ माना गया है। यह दस्तावेज भारत सरकार की बड़ी योजनाओं और अभियानों को भी अपने ढांचे में समाहित करता है:

सागरमाला

पीएम गति शक्ति

समुद्री भारत दृष्टि 2030

समुद्री अमृत काल दृष्टि 2047

महासागर योजना

इन सभी पहलों में समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक नौवहन, बंदरगाह विकास और समुद्री संसाधनों के उपयोग को राष्ट्रीय विकास की केंद्रीय धुरी माना गया है।

नो-वॉर नो-पीस: संघर्ष और शांति के बीच नई अवधारणा

इस सिद्धांत का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें ‘नो-वॉर नो-पीस’ को औपचारिक रूप से एक स्वतंत्र वर्ग के रूप में शामिल किया गया है। आज अधिकांश संघर्ष इसी अनिश्चित वातावरण में होते हैं:

न घोर युद्ध

न पूर्ण शांति

इस स्थिति को समझना नौसेना जैसे बलों के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि अधिकांश समुद्री तनाव इसी क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं।

ग्रे-ज़ोन, हाइब्रिड वॉरफेयर और अनियमित युद्ध की रणनीतियों को समझना आधुनिक समुद्री सुरक्षा का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 इन सभी रणनीतियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।

स्पेस, साइबर और संज्ञानात्मक क्षेत्र पर भी जोर

नया सिद्धांत यह स्वीकार करता है कि आधुनिक युद्ध केवल समुद्र या जमीन तक सीमित नहीं है। अब संघर्ष के तीन नए क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण हो चुके हैं—

अंतरिक्ष

साइबर

संज्ञानात्मक युद्ध

इन क्षेत्रों में क्षमताएं विकसित करना समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यही कारण है कि सिद्धांत में इन डोमेनों को विशेष स्थान दिया गया है।

नए युग की तकनीक: मानव रहित प्रणाली और स्वचालित प्लेटफार्मों का समावेश

नौसेना की भविष्य की रणनीति में बिना चालक दल वाले सिस्टम, स्वचालित प्लेटफॉर्म और उन्नत तकनीक की बड़ी भूमिका होगी। यह सिद्धांत ऐसे सभी उपकरणों के उपयोग और एकीकरण को प्राथमिकता देता है, जिनसे निगरानी, सुरक्षा, प्रतिक्रिया और आक्रामक क्षमताएं बढ़ेंगी।

त्रि-सेवा संयुक्तता: सैन्य तालमेल को मिली नई दिशा

भारतीय समुद्री सिद्धांत को त्रि-सेवा संयुक्त सिद्धांत के साथ समन्वित किया गया है। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं— थलसेना, नौसेना और वायुसेना— के बीच बेहतर इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करना है। आधुनिक युद्ध में संयुक्त अभियान सफलता की सबसे बड़ी कुंजी होते हैं, और यह सिद्धांत उसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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