नक्सल-मुक्त मध्यप्रदेश की ओर कदम, रोजगार से बदल रही है तस्वीर
भोपाल।
मध्यप्रदेश को नक्सल-मुक्त बनाने के लक्ष्य पर राज्य पुलिस लगातार काम कर रही है। अब पुलिस सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों को रोजगार देकर उनकी जिंदगी बदलने की कोशिश कर रही है। मंडला और बालाघाट जैसे जिलों में पुलिस की यह पहल धीरे-धीरे असर दिखा रही है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबे समय से गरीबी, बेरोजगारी और जानकारी की कमी बड़ी समस्या रही है। इसी का फायदा उठाकर नक्सली युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाते थे। इसे रोकने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस ने अब रोजगार और प्रशिक्षण को हथियार बनाया है।
मंडला में युवाओं को मिल रहा रोजगार
मंडला जिले में पुलिस अधीक्षक रजत सकलेचा के नेतृत्व में युवाओं को निजी कंपनियों से जोड़ा जा रहा है। यहां “एकल सुविधा केंद्र” के जरिए ग्रामीण युवाओं को नौकरी की जानकारी दी जाती है और उनका चयन कराया जाता है।
11 दिसंबर 2025 को बिछिया क्षेत्र के 15 ग्रामीण युवाओं का चयन किया गया। इन सभी को नियुक्ति पत्र दिए गए और फिर प्रशिक्षण के लिए L&T कंपनी के लखनादौन स्थित सेंटर भेजा गया। इससे पहले भी मंडला में रोजगार मेला लगाया गया था, जिसमें कई युवाओं को नौकरी मिली थी।
पुलिस का कहना है कि अब गांव के युवाओं में नौकरी को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। उन्हें यह समझ आ रहा है कि सही रास्ता अपनाकर भी अच्छी जिंदगी बनाई जा सकती है। इससे युवाओं का शहरों की ओर पलायन भी कम हो रहा है और वे गलत संगत से भी दूर रह रहे हैं।
बालाघाट में महिलाओं पर खास फोकस
बालाघाट जिला भी नक्सल प्रभावित माना जाता है। यहां पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा के नेतृत्व में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। महिलाओं को रोजगार और ट्रेनिंग देकर उन्हें मजबूत किया जा रहा है।
CII के सहयोग से छिंदवाड़ा में रोजगार मेला लगाया गया, जिसमें 25 ग्रामीण महिलाओं का चयन हुआ। इनमें से पहले चरण में 4 महिलाओं को दो महीने के प्रशिक्षण के लिए भेजा गया है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन महिलाओं को ताज होटल में नौकरी दी जाएगी। बाकी महिलाओं को भी आने वाले समय में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
जब महिलाएं प्रशिक्षण के लिए रवाना हुईं, तो उनके परिवार के लोग भी वहां मौजूद थे। उन्होंने पुलिस की इस पहल की तारीफ की और कहा कि इससे गांव की महिलाओं को नई पहचान और आत्मविश्वास मिल रहा है।
नक्सलवाद पर सीधा असर
रोजगार और कौशल प्रशिक्षण से नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जब युवाओं और महिलाओं को काम मिलता है, तो वे भटकते नहीं हैं और नक्सली गतिविधियों से दूर रहते हैं। पुलिस और जनता के बीच भरोसा भी बढ़ रहा है।
यह पहल केंद्र सरकार के “नक्सल-मुक्त भारत” और राज्य सरकार के “सुरक्षित मध्यप्रदेश” के लक्ष्य को मजबूत कर रही है। पुलिस अब सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं संभाल रही, बल्कि लोगों के भविष्य को भी सुरक्षित कर रही है।
आगे भी जारी रहेगा प्रयास
मध्यप्रदेश पुलिस का कहना है कि आने वाले समय में ऐसे रोजगार आधारित कार्यक्रम और बढ़ाए जाएंगे। युवाओं और महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़कर नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की कोशिश जारी रहेगी।
रोजगार के जरिए शांति, सुरक्षा और विकास यही नक्सल-मुक्त मध्यप्रदेश की असली राह बन रही है।
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